शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद भी बांग्लादेश की स्थिति काबू (Bangladesh Crisis) में नहीं है. अभी बांग्लादेश में सेना का शासन है. वहां की हालत तेजी से बदल रहा है. ऐसे में भारतीय कंपनियों (Indian Companies in Bangladesh) पर भी बांग्लादेश की हालत का असर पड़ सकता है. डाबर से लेकर ट्रेंट तक कई भारतीय कंपनियों का बांग्लादेश में बाजार या सप्लाई चेन कंपोनेंट के रूप में भागीदारी है.
बांग्लादेश में जिन भारतीय कंपनियों ने निवेश किया है, उसमें मैरिको, इमामी, डाबर, एशियन पेंट्स, पिडिलाइट, गोदरेज, सन फार्मा, टाटा मोटर्स और हीरो मोटोकॉर्प शामिल हैं. संकट के और बढ़ने से इन कंपनियों पर डायरेक्ट और इनडायरेक्ट असर होगा.
कपड़ा इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद
बांग्लादेश में अशांति के कारण भारत का कपड़ा सेक्टर के लिए एक अवसर साबित हो सकती है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के कपड़ा सेंटर तिरुपुर को ऑर्डरों में 10 प्रतिशत की ग्रोथ की उम्मीद है. बांग्लादेश में मौजूदा हालत के कारण अमेरिका तथा यूरोप के प्रमुख ब्रांडों का भरोसा भारत की ओर बढ़ सकता है, जो भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए फायदेमंद होगा.
किन कंपनियों पर कितना होगा असर?
LIC ने बंद किया दफ्तर
बांग्लादेश में संकट के बीच एशिया की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने बांग्लादेश में ऑफिस 7 अगस्त तक बंद कर दिया है. LIC ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा, "बांग्लादेश में मौजूदा सामाजिक-राजनीतिक स्थिति के कारण एलआईसी ऑफ बांग्लादेश लिमिटेड का ऑफिस 05 अगस्त 2024 से 07 अगस्त 2024 तक की अवधि के दौरान बंद रहेगा."
बांग्लादेश में क्यों हुआ ऐसा?
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में अधिकांश कोटा खत्म कर दिया, जिस कारण वहां के छात्रों का गुस्सा फुट पड़ा. 93 फीसदी सरकारी नौकरियां बिना कोटा के योग्यता के आधार पर होंगी. इस बीच, बांग्लादेश में उपद्रवी हावी हो चुके हैं. बांग्लादेश में फिलहाल सेना का शासन है.