RBI की सालाना रिपोर्ट में बैंकों की सेहत में सुधार को लेकर बड़ा दावा किया गया है. RBI के मुताबिक सात साल बाद 2021-22 में बैंकों की बैलेंस शीट ने पहली बार दोहरे अंकों में बढ़ोतरी दर्ज की है. इस बढ़ोतरी के साथ ही बैंकों की एसेट क्वालिटी में सुधार आया है और उनकी कैपिटल पोजीशन बेहतर हो गई है.
सरकारी बैंकों का शानदार प्रदर्शन
बैंकों की बैलेंस शीट में सुधार के बीच सरकारी बैंकों का दमदार प्रदर्शन जारी है. RBI के मुताबिक जमा और कर्ज के मामले में सरकारी बैंकों की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कमर्शियल बैंकों में होने वाले कुल डिपॉजिट में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 62 फीसदी है. अगर बात कर्ज की है तो यहां पर भी 58 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सरकारी बैंकों का दबदबा कायम है.
सितंबर में 10 साल की उच्चतम क्रेडिट ग्रोथ
कर्ज की मांग के मामले में भी 2022 ने बेहतरीन संकेत दिखाए हैं. RBI के मुताबिक सितंबर में बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ 10 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) और रिटर्न ऑन एसेट्स (RoA) भी 2014-15 के स्तर तक सुधर गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल सितंबर में बैंकों के कुल कर्ज के मुकाबले बैंकों के ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (GNPAs) कम होकर 5 फीसदी पर आ गए. वहीं कुल कर्ज के मुकाबले GNPAs मार्च 2022 में 5.8 फीसदी थे. इस गिरावट की वजह बैंकों की कर्ज नीतियों में सख्ती के साथ ही GNPAs की रिकवरी और राइट ऑफ थे.
राइट ऑफ ने कम किया बैड लोन का बोझ
2021-22 में NPAs में गिरावट की बड़ी वजह कर्जों को राइट ऑफ करना यानी बट्टे खाते में डालना रहा. इस वजह से भी बैंकों की बैलेंस शीट पर से डूबे कर्जों की कमी हो गई. बट्टे खाते में बैंक वो कर्ज डालते हैं जिनके वसूलने की अब कोई उम्मीद नहीं बचती है. वैसे तो ये रकम एक तरह से डूब जाती है लेकिन राइट ऑफ कर देने से ये बैलेंस शीट से भी खत्म हो जाती है.
इस राइट ऑफ से सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट में काफी सुधार हुआ है. इसके साथ ही एसेट क्वालिटी में सुधार की वजह कर्जों का अपग्रेडेशन रहा जिससे निजी बैंकों को फायदा हुआ है. जब कोई कर्ज ब्याज और बाकी बकाए के साथ ही मूल रकम को चुकाने पर NPA से बाहर आ जाता है तो उसे लोन अपग्रेडेशन कहते हैं. दरअसल, किसी कर्ज खाते के 90 दिनों तक असक्रिय रहने पर उसे NPA करार दिया जाता है. लेकिन वहीं अगर NPA को लोन अपग्रेडेशन में डाला जाता है तो इसका मतलब है कि उसपर एक तय तारीख तक के सभी बकाए चुका दिए गए हैं.
रीस्ट्रक्चर्ड लोन खाते और नकदी समस्या
RBI ने आगाह किया है कि जरा सी लापरवाही करने पर रीस्ट्रक्चर्ड लोन खाते बैंकों के लिए मुसीबत बन सकते हैं. इसके लिए RBI ने हिदायत दी है कि बैंकों को लोन की रीस्ट्रक्चरिंग के लिए पूरी प्रक्रिया का सावधानी से पालन करना चाहिए. RBI का कहना है कि दबाव वाले कर्जों को लेकर समाधान प्रक्रिया समय से पूरी कर लेनी चाहिए जिससे बैंकों की सेहत पर ज्यादा असर ना पड़े. नकदी की समस्या पर RBI ने कहा है कि हाल के महीनों में इसमें कमी आई है और 1 से ज्यादा बार ये कम भी हो गई है लेकिन प्रॉडक्टिव सेक्टर्स को किसी तरह की नकदी की कमी नहीं होने दी जाएगी.
नई बैंक ब्रांच खुलने की रफ्तार बढ़ी
RBI की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार 2 साल तक कम होने के बाद 2021-22 में कमर्शियल बैंकों की नई ब्रांच खुलने की रफ्तार 4.6 फीसदी बढ़ी है. नई ब्रांच खुलने की रफ्तार बढ़ने की वजह टियर-4,5 और 6 शहरों में नई ब्रांच खुलना रहा. ये ऐसे सेंटर्स हैं जहां पर अभी भी ज्यादातर कामकाज बैंकों में जाकर ही किया जाता है. ऐसे में इन जगहों पर बैंक नई ब्रांच खोल रहे हैं. इस बीच टियर-1 और 2 शहरों में एक बार फिर इससे पिछले साल के मुकाबले नई ब्रांचों की संख्या में गिरावट आई है. लेकिन कुल ब्रांचों में से आधी से ज्यादा टियर-1 और 3 शहरों में खोल गई हैं.
ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड की रकम घटी
RBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-22 में देश में बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी के बावजूद इन मामलों में शामिल रकम 2020-21 के मुकाबले आधी से भी कम रह गई है. RBI के मुताबिक 2021-22 में 60,389 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़े 9,102 मामले सामने आए हैं. जबकि 2020-21 में ऐसे मामलों की संख्या 7,358 थी और इनमें 1.37 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई थी. वहीं अगर बात करें उधारी गतिविधियों की तो इनमें धोखाधड़ी के मामलों में गिरावट आई है. 2021-22 में उधारी गतिविधियों के 1112 मामले सामने आए हैं जिनमें 6,042 करोड़ रुपये की रकम शामिल थी. 2020-21 में धोखाधड़ी के 1477 मामलों में 14,973 करोड़ रुपये की रकम शामिल रही थी.
कार्ड-इंटरनेट से ज्यादा धोखाधड़ी
RBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक धोखाधड़ी में ज्यादा हिस्सा कार्ड या इंटरनेट से होने वाले लेनदेन का है. इसके अलावा नकदी में होने वाली धोखाधड़ी भी बढ़ रही है जिनमें एक लाख रुपये या ज्यादा रकम वाले धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं. इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए RBI ने फिर दोहराया है कि ग्राहकों को OTP और CVV किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही RBI ने चेताया है कि धोखेबाज नए-नए तरीके आजमाकर पैसे ठग रहे हैं जिससे लोगों को सावधान रहना चाहिए.