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अर्पिता मुखर्जी को कुछ भी नहीं मिलेगा वापस? 4 फ्लैट, 4 कार, अकूत कैश और सोने का 'काला खजाना'

Arpita Mukherjee House ED Raid: डायमंड सिटी के फ्लैट पर 22 जुलाई को छापा पड़ा. बेलघोरिया के दो फ्लैट पर 27 जुलाई को छापा पड़ा, और चिनार पार्क का फ्लैट जहां 28 जुलाई को ईडी दबिश दी. अब तक अर्पिता के चार फ्लैट्स पर ED छापेमारी कर चुकी है. 

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 शिक्षक भर्ती घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) का अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) पर शिकंजा कसता जा रहा है. जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है, वैसे-वैसे ईडी को अर्पिता के कई राज की जानकारी मिल रही है. 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का पर्दाफाश हो चुका है. 

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दरअसल, अर्पिता मुखर्जी के घर से पहले ED ने नोटों का जखीरा बरामद किया. फिर जांच आगे बढ़ी तो एजेंसी को अर्पिता के चार फ्लैटों की जानकारी मिली, और फिर ईडी को अर्पिता की लग्जरी कारों का पता चला है. हालांकि जांच एजेंसी उन कारों तक पहुंचती, उससे पहले ही वो कारें गायब हो गईं. 

अर्पिता की यह चारों कारें उनके डायमंड सिटी कॉम्प्लेक्स से गायब बताई जा रही हैं, ये चार कारें Mercedes Benz, Audi A4, Honda CRV और Honda City है. इनमें से 2 कारें- एक होंडा सिटी (Honda City) और दूसरी ऑडी (Audi) अर्पिता मुखर्जी के नाम पर हैं. जांच एजेंसी इन कारों की तलाश में CCTV फुटेज को खंगाल रही है. 

अर्पिता मुखर्जी के घर से कितनी रकम मिली है. 

पहली छापेमारी
कैश- 21 करोड़ 90 लाख रुपये
सोनाा- 70 लाख रुपये का बरामद

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दूसरी छापेमारी
कैश- 27 करोड़ 90 लाख रुपये
सोना- 4 करोड़ 31 लाख रुपये का बरामद 

दरअसल, पश्चिम बंगाल में शिक्षा घोटाले की जड़े खंगालने में लगी ईडी फुल एक्शन में है. एजेंसी पार्थ चटर्जी से जुड़े करीब 17 ठिकानों पर छापा मार चुकी है. एक दर्जन से ज्यादा नए ठिकानों पर छापेमारी की तैयारी है. डायमंड सिटी के फ्लैट पर 22 जुलाई को छापा पड़ा. बेलघोरिया के दो फ्लैट पर 27 जुलाई को छापा पड़ा, और चिनार पार्क का फ्लैट जहां 28 जुलाई को ईडी दबिश दी. अब तक अर्पिता के चार फ्लैट्स पर ED छापेमारी कर चुकी है. 

आम आदमी के लिए 50 करोड़ कैश का मतलब क्या है ये समझिए, ये इतनी बड़ी रकम है कि 59 हजार 800 लोगों के खाते में 10-10 हजार रुपये डाले जा सके. इतनी बड़ी रकम कि करीब 6225 लोगों को मुफ्त में किफायदी स्कूटी या मोटरसाइकिल दी जा सके. 

अकूत कैश बरामद

ईडी को मिली जानकारी के मुताबिक अब तक 50 करोड़ कैश बरामद हुआ है. लेकिन कहा जा रहा है कि 70 करोड़ कैश अभी भी कई ठिकानों में छिपाकर रखा गया है. मतलब ये कि कालेधन की पूरी खेप का पता लगना अभी बाकी है. 

ED के रडार पर अर्पिता की ये तीन कंपनियां-
पहली कंपनी- ईडी की रडार पर अर्पिता मुखर्जी की पहली कंपनी Symbiosis Merchants Private Limited है. अर्पिता को इस कंपनी का 21 मार्च 2011 को डायरेक्टर बनाया गया था. कागजों पर यह कंपनी विभिन्न प्रकार के सामानों के थोक का व्यापार करती है. इस कंपनी में अर्पिता के अलावा 1 जुलाई 2021 को कल्याण धर भी डायरेक्टर बनाए गए थे. 

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दूसरी कंपनी- दूसरी कंपनी नाम Sentry Engineering Private Limited है. इस कंपनी में अर्पिता 9 नवंबर 2011 को डायरेक्टर नियुक्त किया गया था. दिलचस्प बात यह है कि इस फर्म को 2001 में 1 करोड़ रुपये की शेयर पूंजी के साथ शुरू किया गया था. हालांकि, 2011 में अर्पिता की नियुक्ति के बाद कल्याण धर को भी 2018 में कंपनी का निदेशक बनाया गया था. अब तक, इस फर्म में केवल दो निदेशक हैं - अर्पिता और कल्याण धर. कागज पर, यह कंपनी विशेष मशीनरी का निर्माण करती है. 

तीसरी कंपनी- Arpita Echhay Entertainment Private Limited कंपनी से अर्पिता 2014 में जुड़ी थीं. इस कंपनी में भी अर्पिता के अलावा कल्याण धर डायरेक्टर हैं. खास बात ये है कि तीनों कंपनियों में अर्पिता के अलावा कल्याण धर डायरेक्टर हैं. 

ईडी ने 23 जुलाई को अर्पिता के फ्लैट पर पहली बार छापा मारा था. इस दौरान ईडी को करीब 21 करोड़ रुपये कैश मिला था. इतना ही नहीं ईडी ने अर्पिता के घर से 20 मोबाइल और 50 लाख रुपये की ज्वैलरी भी बरामद की थी. ईडी को अर्पिता के घर से करीब 60 लाख की विदेशी करेंसी भी मिली थी. इसके बाद ईडी ने अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया था. 


ED का नियम ये कहता है... 
फिलहाल यह मामला प्रवर्तन निदेशालय के पास है. इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जो भी कैश, ज्वैलरी, घर और गाड़ी बरामद हुई है, वो फिलहाल ईडी के कब्जे में ही रहेगा. जब तक मामला सुलझ नहीं जाता है. इस दौरान किसी भी संपत्ति की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती है. अगर सीज संपत्ति के तौर पर कोई घर है, तो उसमें आरोपी रह सकता है, बेच या किराये पर नहीं लगा सकता है. 

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नियम के मुताबिक ईडी द्वारा अटैच संपत्ति का ब्योरा PMLA कोर्ट को दिया जाएगा. ED को अधिकतम 6 महीने के अंदर PMLA एक्ट के तहत कोर्ट जब्त सामानों की पूरी सूची सौंपनी होती है. जिसमें कैश, घर, ज्वैलरी और गाड़ी और दूसरे जब्त सामान होते हैं.

अर्पिता की मुश्किलें बढ़ीं

अर्पिता के लिए राह आसान नहीं 
कोर्ट में जब तक मामला चलेगा, तब तक अटैच संपत्ति पर पूरी तरह से ईडी का कब्जा रहेगा. अगर आरोपी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दोषी पाए जाते हैं, तो फिर ईडी इन संपत्तियों को सरकार के हवाले कर देगी. सबसे पहले कैश को ट्रांसफर किया जाता है. 

हालांकि अगर इस मामले में अर्पिता मुखर्जी कहती हैं कि ये जब्त संपत्ति उनकी है. तो फिर उन्हें इनके सबूत देने होंगे. उन्हें कोर्ट को बताना होगा कि इतनी संपत्ति कहां से आई, और आय का जरिया क्या है? ईडी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (Money Laundering Act) में पेनॉल्टी लगा सकता है. 

इस केस में जितनी बड़ी रकम बरामद हुई है, उससे ये साफ है कि जल्द ही इस मामले आयकर विभाग का भी हस्तक्षेप होने वाला है. ऐसे में अर्पिता मुखर्जी के लिए ये साबित करना आसान नहीं रहेगा, कि ये संपत्ति उनकी है. अगर वो इसमें नाकाम रहती हैं तो जब्त संपत्ति पर सरकार का अधिकार हो जाएगा. कैश तुरंत सरकारी खाते में ट्रांसफर हो जाएगा और बाकी संपत्तियों को बेचकर राशि सरकार को मिल जाती है. इसके लिए कानून में प्रावधान है. लेकिन इस प्रक्रिया में लंबा वक्त लगता है.  

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क्या कहता है आयकर नियम?
आयकर नियम के मुताबिक अघोषित आय पकड़े जाने पर टैक्स के साथ-साथ पेनॉल्टी का भी प्रावधान है. जिसमें टैक्स स्लैब के हिसाब से 300 फीसदी तक टैक्स और पेनॉल्टी लगाया जा सकता है. अघोषित संपत्ति के मामले में आयकर विभाग द्वारा अधिकतम 33 फीसदी का टैक्स लगता है. जिसमें 3 फीसदी सरचार्ज होता है. उसके बाद 200 फीसदी तक पेनॉल्टी लगाया जा सकता है. 

नियम के मुताबिक अगर पकड़ी गई संपत्ति चालू वित्त में अर्जित की गई है तो फिर उसपर कुल 84 फीसदी टैक्स और पेनॉल्टी वसूला जाएगा. लेकिन अगर यह काली कमाई बीते वर्षों की है, तो फिर उसपर 99% तक टैक्स और पेनॉल्टी वसूला जा सकता है. 

 

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