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रतन टाटा (Ratan Tata) किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. देश की आजादी के पहले से टाटा घराना कारोबार जगत (Corporate World) में अपनी धमक जमाए हुए है. रतन टाटा की शख्सियत देखें, तो वो सिर्फ एक बिजनेसमैन ही नहीं, बल्कि एक सादगी से भरे नेक और दरियादिल इंसान, लोगों के लिए आदर्श और प्रेरणास्रोत भी हैं. वे अपने समूह से जुड़े छोटे से छोटे कर्मचारी को भी अपना परिवार मानते हैं और उनका ख्याल रखने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते, इसके कई उदाहरण सामने हैं. लेकिन, उनके बदले की भी एक कहानी है, जो बड़ी दिलचस्प है और एक मिसाल है.
टाटा समूह का ये है इतिहास
सबसे पहले बात करते हैं रतन टाटा के नेतृत्व वाले टाटा ग्रुप (Tata Group) की, तो बता दें आजादी से पहले शुरू हुई कंपनियों में टाटा समूह का नाम सबसे ऊपर आता है. देश को नमक से लेकर लग्जरी कार तक बनाकर देने वाले समूह के कारोबार की शुरुआत 1868 में हुई थी. आज आईटी सेक्टर (IT Sector) की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस (TCS), मेटल सेक्टर में टाटा स्टील (Tata Steel), ऑटो सेक्टर में टाटा मोटर्स (Tata Motors) के साथ इंडियन होटल कंपनी (Indian Hotel Company) इस समूह का हिस्सा है.
इसके अलावा एअर इंडिया (Air India) के जरिए जहां टाटा समूह एविएशन सेक्टर में बड़ा नाम है, तो वाहनों के मामले में जैगुआर (Jaguar) और लैंड रोवर (Land Rover) ब्रांड भी टाटा के हाथ आ चुके हैं. जमशेदजी टाटा द्वारा 1903 में इंडियन होटल्स कंपनी की स्थापना की गई थी. मुंबई में ताजमहल पैलेस (Taj Hotel Mumbai) आज देश की पहचान बन चुका है.
अपनी कंपनी में कर्मचारी की तरह काम
बड़े कारोबारी ग्रुप की कमान संभालने से पहले रतन टाटा (Ratan Tata) ने एक कर्मचारी की तरह 70 के दशक में टाटा स्टील (Tata Steel), जमशेदपुर में काम किया. बारीकियां समझीं और फिर अपनी मेहनत और काबिलियत की दम पर घरेलू कारोबार को बुलंदियों पर पहुंचाने का काम किया. रतन टाटा की कुछ खास बातों पर नजर डालें जो लोगों के लिए प्रेरणा हैं...
1- काम का मतलब पूजा
रतन टाटा के लिए काम करने का मतबल पूजा करना है. उनका कहना है कि काम तभी बेहतर होगा, जब आप उसकी इज्जत करेंगे.
2- सभी से प्यार भरा व्यवहार
टाटा चेयरमैन की सबसे बड़ी खासियत है उनका हमेशा शांत और सौम्य स्वभाव. वे अपने साथ कंपनी के छोटे से छोटे कर्मचारी तक से बड़े प्यार से मिलते हैं, उनकी जरूरतों को समझते हैं और उनकी दर मदद करते हैं.
3- लोगों का साथ बेहद जरूरी
दिग्गज उद्योगपति के मुताबिक, अगर आपको किसी काम में सफलता पाना है, तो उस काम की शुरुआत भले ही आप अकेले कर रहे हों, लेकिनउसे बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए लोगों का साथ जरूरी है. साथ मिलकर ही दूर तक चल सकते हैं.
ऑटो दिग्गज Ford को ऐसे झुकाया
ये बात साल, 90 के दशक की है, जब टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने अपनी कार टाटा इंडिका (Tata Indica) तो लॉन्च किया. लेकिन, उस समय टाटा की कारों की सेल उस हिसाब से नहीं हो रही थी, जैसा रतन टाटा ने सोचा था. टाटा इंडिका को खराब रिस्पांस मिलने और लगातार बढ़ते घाटे के चलते उन्होंने पैसेंजर कार डिवीजन (Passenger Car Business) को बेचने का फैसला कर लिया था और इसके लिए में अमेरिकन कार निर्माता कंपनी Ford Motors से बात की.
फोर्ड चेयरमैन ने उड़ाया था मजाक
जब रतन टाटा ने अपने पैसेंजर कार बिजनेस को Ford Motors को बेचने का फैसला किया. तो Ford के चेयरमैन Bill Ford ने उनका मजाक उड़ाया था. बिल फोर्ड ने उनसे कहा था कि अगर आपको कुछ जानकारी नहीं है, तो फिर आपने पैसेंजर कार डिवीजन की आखिर शुरुआत ही क्यों की? बिल यहीं नहीं रुके और उन्होंने कहा कि अगर हम आपके इस बिजनेस को खरीदते हैं, तो ये आपके ऊपर एक एहसान होगा.
Bill Ford की बातें उनके दिलो-दिमाग में घर कर गईं. इस मीटिंग के बाद उन्होंने पैसेंजर कार बिजनेस को बेचने का फैसला टाल दिया और फिर भारत में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में क्रांति लाने के लक्ष्य में जुट गए. उन्होंने साबित किया कि असफलता, सफलता की ही सीढ़ी होती है. उन्होंने अपना पूरा फोकस Tata Motors को नए मुकाम पर पहुंचाने में लगा दिया और एक दशक से भी कम समय में उन्होंने खुद को इस सेक्टर का बादशाह बनाकर फोर्ड के गलत बर्ताव का ऐसा बदला लिया जो हमेशा याद किया जाएगा.
फोर्ड चेयरमैन के बदल गए सुर
करीब नौ साल बाद जहां टाटा मोटर्स नई बुलंदियों को छूने के लिए आगे बढ़ रही थी, तो वहीं Ford Motors दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई थी. इस दौरान रतन टाटा के समूह ने फोर्ड के Jaguar और Land Rover ब्रांड को खरीदने की पेशकश कर डाली. इस डील को लेकर जब रतन टाटा और बिल फोर्ड की मीटिंग हुई, तो Ford के चेयरमैन Bill Ford के सुर बदले हुए थे. उन्होंने इस पेशकश के लिए रतन टाटा को थैंक्यू बोला और कहा, आप जैगुआर-लैंड रोवर (JLR) को खरीदकर हमारे ऊपर एक बहुत बड़ा उपकार कर रहे हैं.
रतन टाटा से जुड़ी खास बातें
जानवरों से लगाव: रतन टाटा को जानवरों खासतौर पर स्ट्रे डॉग्स से खासा लगाव है. वे कई गैर सरकारी संगठनों और Animal Shelters को दान भी करते रहते हैं.
हर विपदा में आए आगे: बीते दो सालों में पूरी दुनिया समेत भारत ने कोरोना महामारी का सामना किया. इस दौरान रतन टाटा ने दिल खोलकर मदद की. कोविड-19 के दौरान संक्रमण से बचाव के लिए सहयोग देते हुए 500 करोड़ रुपये दान किए. इसका उपयोग पीपीई किट, टेस्टिंग किट और अन्य सामानों के लिए हुआ.
छात्रों की शिक्षा में योगदान: रतन टाटा आर्थिक तंगी से जूझने वाले छात्रों को भी मदद देने में आगे हैं. उनका ट्रस्ट ऐसे छात्रों को स्कॉलरशिप देता है. ऐसे छात्रों को J.N. Tata Endowment, Sir Ratan Tata Scholarship और Tata Scholarship के जरिए मदद दी जाती है.
रतन टाटा का सबसे बड़ा दर्द
बीते दिनों रतन टाटा (Ratan Tata) ने बुजुर्गों की सेवा के लिए एक स्टार्टअप गुड फेलोज (Startup Goodfellows) में निवेश का ऐलान किया है. इस मौके पर उन्होंने अपने अकेलेपन का दर्द भी बयां किया था.उन्होंने कहा था कि 'आप नहीं जानते कि अकेले रहना कैसा होता है? जब तक आप अकेले समय बिताने के लिए मजबूर नहीं होते तब तक अहसास नहीं होगा.' 84 वर्षीय बैचलर टाटा ने आगे कहा था कि जब तक आप वास्तव में बूढ़े नहीं हो जाते, तब तक किसी को भी बूढ़े होने मन बिल्कुल भी नहीं करता. उन्होंने बुजुर्गों की अकेलेपन की समस्या दूर करने के लिए ऐसे स्टार्टअप शुरू होना खुशी की बात है
एअर इंडिया को फिर अपना बनाया
रतन टाटा में 69 साल बाद अपनी एअर इंडिया को वापस अपने समूह में शामिल करने में सफलता पाई. लंबे अर्से बाद एअर इंडिया में सरकार की पूरी हिस्सेदारी टाटा संस की सब्सिडियरी कंपनी टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर कर दी गई. ये सौदा 18,000 करोड़ रुपये में हुआ. गौरतलब है कि एअर इंडिया की शुरुआत अप्रैल 1932 में हुई थी. इसकी स्थापना उद्योगपति जेआरडी टाटा ने की थी. उस समय एयरलाइन का नाम टाटा एयरलाइंस था. एयरलाइन की पहली कॉमर्शियल उड़ान 15 अक्टूबर 1932 को भरी गई थी.
हर घर कार का वादा निभाया
टाटा चेयरमैन की इच्छा थी कि देश के हर घर में कार हो और उन्होंने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए लखटकिया कार टाटा नैनो (Tata Nano) लॉन्च की. नैनो के लॉन्च के मौके पर रतन टाटा ने कहा था कि मैंने अपना वादा निभाया और हमने ऐसी कार बना दी जिसे सभी खरीद सकते हैं, वो भी जिनके पास ज्यादा पैसे नहीं हैं. इसके अलावा भी देश के इस उद्योगपति से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं जो मिसाल हैं और लोगों के प्रेरणा बनती हैं. टाटा ग्रुप का देश की प्रगति में योगदान का सिलसिला लगातार जारी है.