
प्रदूषण (Pollution) फैलाने और पर्यावरण (Environment) को नुकसान पहुंचाने के चलते पारंपरिक लाल ईंटों का बिजनेस (Red Bricks Business) अब ढलान पर है. हाल ही में बिहार सरकार ने लाल ईंट बनाने वाली चिमनियों को अब लाइसेंस नहीं देने का फैसला किया है. इस फैसले से ईंटों के पारंपरिक बिजनेस में व्यापक बदलाव का रास्ता साफ हो गया है.
बदलते हालात ने युवाओं के लिए नए बिजनेस के रास्ते भी खोले हैं. फ्लाई ऐश यानी राख से ईंटें (Fly Ash Bricks) बनाने का बिजनेस इनमें से एक है, जो बिहार सरकार के ताजा फैसले से सबसे ज्यादा फलने-फूलने वाला है. यह एक ऐसा बिजनेस है, जिसे छोटे इन्वेस्टमेंट (Investment) से शुरू किया जा सकता है और कुछ ही सालों में करोड़पति (Crorepati) बना जा सकता है.
अब नहीं मिलेगा लाल ईंट चिमनियों का लाइसेंस
आज हम आपको बताने वाले हैं कि कैसे मामूली इन्वेस्टमेंट से इस बिजनेस को शुरू कर मोटी कमाई की जा सकती है. इससे पहले आपको बिहार सरकार (Bihar Govt) के ताजा फैसले की जानकारी दे दें. बिहार सरकार ने मिट्टी की ऊपरी परत को बचाने के लिए लाल ईंट-भट्ठों को अब लाइसेंस नहीं देने का निर्णय पिछले ही महीने लिया है. नई व्यवस्था के अनुसार, अब नए लाल ईंट-भट्ठों को लाइसेंस नहीं मिलेगा. पुराने लाल ईंट-भट्ठे पहले की तरह काम कर सकते हैं. इसके अलावा सरकार ने यह भी फैसला किया है कि एनटीपीसी के थर्मल पावर प्लांट (NTPC Thermal Power Plant) के 300 किलोमीटर के दायरे में ईंट बनाने वाले कारोबारियों को सरकार खुद ही फ्लाई ऐश मुहैया कराएगी.
इस कारण सरकार देगी मुफ्त में फ्लाई ऐश
बिहार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मंत्री नीरज कुमार सिंह (Neeraj Kumar Singh) ने पिछले महीने एक कार्यक्रम में कहा था कि एनटीपीसी के थर्मल पावर प्लांट के 300 किलोमीटर के दायरे में आने वाले ईंट निर्माताओं (Bricks Makers) को मुफ्त में फ्लाई ऐश (Fly Ash) सरकार मुहैया कराएगी. दरअसल केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ऐसा करना अनिवार्य है. मंत्री ने कहा था कि कई ईंट कारोबारी फ्लाई ऐश नहीं मिल पाने की शिकायत कर रहे हैं. दूसरी ओर एनटीपीसी प्लांट से फ्लाई ऐश की आपूर्ति को लेकर धांधलियों की भी शिकायतें मिल रही हैं. अब राज्य सरकार इस पर लगाम लगाएगी और गाइडलाइन के दायरे में आने वाले कारोबारियों को खुद ही इसकी आपूर्ति करेगी.
फ्लाई ऐश ईंट से फायदे ही फायदे
आपको बता दें कि अकेले बिहार में अभी 500 फ्लाई ऐश ईंट निर्माता हैं. थर्मल पावर प्लांट से भारी मात्रा में निकलने वाला फ्लाई ऐश भी पर्यावरण के सामने संकट पैदा करता है. ऐसे में इसका सही से निस्तारण जरूरी हो जाता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार फ्लाई ऐश से ईंट बनाने के बिजनेस को प्रोत्साहित कर रही है. यह एक साथ में दो समस्या को समाप्त करता है. इससे न सिर्फ फ्लाई ऐश का इस्तेमाल सुनिश्चित होता है, बल्कि पारंपरिक ईंट बिजनेस से मिट्टी की ऊपरी परत को रहे नुकसान पर भी लगाम लगती है. इसका एक अन्य फायदा ये है कि यह घर बनाने की लागत भी कम कर देता है, क्योंकि फ्लाई ऐश से बनने वाली ईंटें लाल ईंटों की तुलना में सस्ती होती हैं.
इतने इन्वेस्टमेंट से शुरू कर सकते हैं बिजनेस
Entrepreneurindia की वेबसाइट पर फ्लाई ऐश ब्रिक्स बिजनेस को लेकर अपडेटेड प्रोजेक्ट डिटेल्स के अनुसार, फ्लाई ऐश से ईंट बनाने का बिजनेस 02 लाख रुपये के इन्वेस्टमेंट से शुरू किया जा सकता है. इसकी मैनुअल मशीन 02 लाख रुपये से मिलने लगती है. अगर ऑटोमैटिक मशीन की बात करें तो इन्वेस्टमेंट बढ़ जाता है. ऑटोमैटिक मशीन खरीदने के लिए 10-12 लाख रुपये इन्वेस्ट करने की जरूरत पड़ सकती है. जहां मैनुअल मशीन से हर रोज 3000 हजारें ईंटें बनाई जा सकती हैं, वहीं ऑटोमैटिक मशीन 01 घंटे में ही 1000 ईंटें बना देती है.
फ्लाई ऐश ईंट बिजनेस में इतना मुनाफा
इस बिजनेस के सामने अभी तक सबसे बड़ी चुनौती कच्ची सामग्रियों की अनुपलब्धता थी. अब सरकारी दखल से यह दिक्कत दूर हो चुकी है. अगर आप थर्मल पावर प्लांट के 300 किलोमीटर के दायरे में हैं, तब तो आपको कच्ची सामग्री की लागत की भी चिंता नहीं करनी है. सरकार खुद ही आपको फ्री में फ्लाई ऐश देगी. अगर आपको इसे बाहर से खरीदना पड़े, तब भी यह बिजनेस मुनाफे का सौदा है. कच्ची सामग्री खरीदने पर भी 01 ईंट बनाने की लागत 01 रुपये से ज्यादा नहीं बैठती है. वहीं इसे बाजार में 4.50 रुपये से 05 रुपये प्रति ईंट की दर से भाव मिल जाता है. यानी एक हजार ईंट पर ही 3,500 रुपये से 4000 रुपये तक का फायदा आप कमा सकते हैं. चूंकि लोग घर बनाना बंद नहीं करने वाले हैं और रियल एस्टेट प्रोजेक्ट भी आते रहने वाले हैं, इसकी डिमांड की समस्या ही नहीं है. वहीं लाल ईंटों पर पाबंदियों से भी फ्लाई ऐश ईंटों का बाजार बेहतर होगा.