देश में एक और बड़ा बैंकिंग घोटाला सामने आया है. सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (PNB) को ₹270.57 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड का सामना करना पड़ा है. ओडिशा की गुप्ता पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी ने इस घोटाले को अंजाम दिया है. बैंक ने इस धोखाधड़ी की जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को दे दी है. ये लोन भुवनेश्वर की स्टेशन स्क्वायर ब्रांच से लिया गया था.
PNB के मुताबिक, इस फ्रॉड की वजह से बैंक को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. गुप्ता पावर इंफ्रास्ट्रक्चर का लोन पहले ही नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) में तब्दील हो चुका था. अब इसे बैंक फ्रॉड के तौर पर RBI को रिपोर्ट किया गया है. बैंक ने नियमानुसार ₹270.57 करोड़ रुपये की प्रोविजनिंग भी कर दी है.
नीरव मोदी ने किया था बड़ा घोटाला
PNB में इससे पहले नीरव मोदी के ₹13,578 करोड़ के घोटाले का खुलासा हुआ था. बैंकिंग सेक्टर में PNB के अलावा भी कई बैंकों में इस तरह की फाइनेंशियल धोखाधड़ी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक 2024 में बैंक फ्रॉड के मामले 27% तक बढ़ गए हैं. 2024-25 की पहली छमाही में बैंकिंग धोखाधड़ी के कुल 18,461 मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें कुल ₹21,367 करोड़ का फ्रॉड किया गया है. अप्रैल-सितंबर 2023 में बैंकिंग फ्रॉड के 14,480 मामले सामने आए थे. बार-बार सामने आ रहे बैंक फ्रॉड के मामलों से ग्राहक परेशान हैं और सरकारी बैंकों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
PNB के शानदार तिमाही नतीजे
हालांकि, इसी दौरान PNB के वित्तीय नतीजे मजबूत रहे हैं. बैंक ने अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में ₹4,508 करोड़ का नेट प्रॉफिट हासिल किया है. 2023-24 की तीसरी तिमाही में बैंक को ₹2,223 करोड़ का शुद्ध मुनाफा हुआ था. 2024-25 की तीसरी तिमाही में पंजाब नेशनल बैंक की कुल इनकम ₹434,752 करोड़ रही और बैंक का ग्रॉस NPA घटकर 4.09% पर आ गया. नतीजे जारी करने के दौरान PNB के MD और CEO अशोक चंद्रा ने बताया कि बैंक अब टेक्निकली राइट-ऑफ अकाउंट्स से रिकवरी बढ़ाने पर फोकस कर रहा है. बैंक का लक्ष्य चौथी तिमाही में ₹41,600 करोड़ की रिकवरी करना है.
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला
PNB के इस ताजा घोटाले से पहले पिछले हफ्ते ही न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में भी ₹122 करोड़ का घोटाला सामने आया था. इसमें बैंक के GM और एक बिल्डर समेत 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पिछले दो साल से लगातार घाटे में चल रहा है. यहां पर घोटाला उजागर होने के बाद RBI ने बैंक पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं जिनमें निकासी पर भी रोक लग गई है. माना जा रहा है कि इस बैंक के खस्ताहाल होने की वजह इसका रियल एस्टेट सेक्टर में बड़ा एक्सपोजर है. न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की लोन बुक ₹1,174.85 करोड़ की है. मार्च 2024 तक इसमें कुल जमा रकम ₹2,436.38 करोड़ है. इसके 60% डिपॉजिट्स 1 से 3 साल की मैच्योरिटी वाले हैं.
रियल एस्टेट के मोह में डूबा न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक!
महज 4 साल में बैंक का रियल एस्टेट एक्सपोजर लगातार बढ़ता चला गया है. आंकड़ों के मुताबिक 2023-24 तक बैंक के कुल लोन में से 35.6% हिस्सा महज रियल एस्टेट सेक्टर को दिया गया है. ये हिस्सा 2019-20 में 11.4% था यानी, बैंक की निर्भरता इस सेक्टर पर लगातार बढ़ती जा रही है. 2023-24 के आखिर तक, बैंक का रियल एस्टेट एक्सपोजर ₹418.34 करोड़ तक पहुंच चुका था. बैंक का ग्रॉस एनपीए 7.96% तक पहुंच चुका है जो 2021-22 में 6.4% और 2022-23 में 7.5% था. हालांकि2023-24 में इसका नेट लॉस घटकर ₹22.8 करोड़ हो गया जो पिछले साल ₹42.1 करोड़ था.
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर प्रतिबंध
गवर्नेंस में खामियों की वजह से सख्त कार्रवाई करते हुए 13 फरवरी को, RBI ने बैंक पर 6 महीने का ट्रांजैक्शन बैन लगा दिया. इस फैसले के बाद, सैकड़ों ग्राहक अपने पैसे निकालने के लिए बैंक की शाखाओं पर पहुंच गए. बैंक को सुपरवाइजरी चिंताओं की वजह से मोरेटोरियम में डाल दिया गया है. हालांकि, ग्राहकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि 5 लाख रुपए तक की जमा रकम DICGC बीमा कवर के तहत सुरक्षित है. फिर भी इससे ज्यादा रकम बैंक में जमा करने वाले ग्राहकों के लिए ये मुश्किल वक्त है. अब सवाल है कि क्या सरकार और RBI इस बैंक को उबारने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे या फिर ये बैंक भी दूसरे को-ऑपरेटिव बैंकों की तरह पूरी तरह डूब जाएगा?