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GST कंपनसेशन भुगतान मामला: 12 राज्यों ने खुद उधार लेने वाला पहला विकल्प चुना

जीएसटी परिषद की अगली बैठक 19 सितंबर को होने वाली है. केंद्र ने साफ कर दिया है कि वह उधार नहीं लेगा बल्कि राज्यों की स्थिति बेहतर है, इसलिए वे ही उधार लें. केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि इसके लिए वह विशेष प्रावधान करेगी. हालांकि केंद्र की इस बात पर गैर-बीजेपी शासित राज्य तैयार होते नहीं दिखते.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 8 गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने नहीं चुना कोई विकल्प
  • जीएसटी का घाटा पाटने के लिए कर्ज लेने का प्रस्ताव
  • कई राज्य केंद्र के कर्ज लेने के प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) कानून के तहत जीएसटी कम्पनसेशन के भुगतान के मुद्दे पर कुल 12 राज्यों ने पहला विकल्प चुना है. इस विकल्प के तहत केंद्र सरकार ने राज्यों को पेशकश की है कि वे जीएसटी घाटे की कमी को पाटने के लिए उधार ले सकते हैं. वित्त मंत्रालय इसके लिए विशेष इंतजाम करेगा. इन राज्यों के लिए रिजर्व बैंक कर्ज का प्रबंध करेगा. हालांकि 8 गैर-बीजेपी शासित राज्य ऐसे भी हैं जिन्होंने कोई विकल्प नहीं चुना है. सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी. कुल 13 राज्यों ने केंद्र सरकार को कर्ज की योजना के बारे में अवगत करा दिया है. 

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चालू वित्त वर्ष में राज्यों द्वारा जीएसटी संग्रह में कुल कमी 2.35 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया था. इसमें से केंद्र की गणना के अनुसार, लगभग 97,000 करोड़ रुपये जीएसटी कार्यान्वयन के कारण है और बाकी 1.38 लाख करोड़ रुपये राज्यों के राजस्व पर कोरोनो वायरस महामारी का प्रभाव है.

जीएसटी परिषद की अगली बैठक 19 सितंबर को होने वाली है. केंद्र ने साफ कर दिया है कि वह उधार नहीं लेगा बल्कि राज्यों की स्थिति बेहतर है, इसलिए वे ही उधार लें. केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि इसके लिए वह विशेष प्रावधान करेगी. हालांकि केंद्र की इस बात पर गैर-बीजेपी शासित राज्य तैयार होते नहीं दिखते. इन राज्यों को केंद्र ने 7 दिन का मौका दिया था कि वे दो में से किसी एक विकल्प का चयन करें. इनमें 12 राज्यों ने पहले विकल्प को चुना है. जिन राज्यों ने पहले विकल्प को चुना है उनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, यूपी, उत्तराखंड और ओडिशा के नाम हैं.

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केंद्र ने पिछले महीने राज्यों को दो विकल्प दिए कि वे रिजर्व बैंक से या तो 97,000 करोड़ रुपये उधार लें या बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपये लें. 12 राज्यों ने रिजर्व बैंर द्वारा सुविधा प्राप्त विशेष विंडो से उधार लेने का विकल्प चुना, जबकि एक राज्य मणिपुर ने बाजार से उधार लेने का विकल्प चुना है. कुछ राज्यों ने अपने विचार जीएसटी परिषद के चेयरमैन को बताया है और उनका निर्णय अभी होना बाकी है.

केंद्र मजबूती से इस बात पर कायम है कि राज्यों को सुविधागत प्रक्रिया के जरिए उधार लेना चाहिए. दूसरी ओर बड़ी संख्या में राज्य इस बात पर अड़े हैं कि केंद्र को उधार लेना चाहिए और उन्हें जीएसटी एक्ट में किए गए वादे के मुताबिक बकाया का भुगतान करना चाहिए. दोनों के अपनी-अपनी बात पर अड़ने से जीएसटी से जुड़ा विवाद गहरा गया है. देश के तकरीबन 10 राज्य ऐसे हैं जो केंद्र की दलील से इत्तेफाक नहीं रखते और वे खुलकर विरोध कर रहे हैं. इन राज्यों का कहना है कि वे केंद्र के प्रस्ताव को ठुकरा देंगे. इन राज्यों की मांग है कि प्रधानमंत्री खुद इस मामले में हस्तक्षेप कर इसे सुलझाएं.

ये राज्य हैं विरोध में

पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, दिल्ली, पुडुचेरी, पंजाब और झारखंड ने खुले तौर पर केंद्र सरकार के प्रस्तावों को खारिज किया है. साथ ही इन राज्यों ने मांग की है कि केंद्र सरकार को उधार लेना चाहिए और राज्यों के बकाया का भुगतान करना चाहिए. केंद्र ने राज्यों को उधारी के लिए दो फॉर्मूले प्रस्तावित किए हैं और जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दिया था. अब यह समय गुजर गया है. हालांकि मामला जस का तस बना हुआ है.

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