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रिज्यूमे में ऐसी-ऐसी हॉबी लिखकर किया अप्लाई, बॉस ने पूछा- फिर काम कब करोगे...

भारतीय कंपनियों में वर्क कल्चर और 90 घंटे वर्क वीक को लेकर जारी बहस के बीच Tatler Asia COO परमिंदर सिंह ने अपनी एक X पोस्ट में लिखा, 'मुझे लगा ऐसे मैनेजर विलुप्त हो चुके हैं, लेकिन अब पता चला कि ऐसा नहीं है.'

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रिज्यूमे में गिटार बजाने की हॉबी लिखना पड़ा कैंडिडेट को महंगा
रिज्यूमे में गिटार बजाने की हॉबी लिखना पड़ा कैंडिडेट को महंगा

एक ओर देश में 90 घंटे के कार्य सप्ताह (90Hours Work Week) के मुद्दे पर बहस जारी है, तो वहीं दूसरी ओर एक और दिलचस्प मामला सामने आया है. एक कंपनी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) ने इस बहस के बीच अपनी ही कंपनी में वर्क कल्चर से जुड़ा एक पुराना वाकया याद किया. उन्होंने बताया कि उनके पुराने बॉस ने महज इस वजह से एक कैंडिडेट का रिज्यूमे रिजेक्ट कर दिया, क्योंकि उसमें कैंडिडेट ने अपनी योग्यता के साथ ही कई तरह की हॉबी भी लिखी थीं, जिनमें गिटार बजाना जैसे शौक शामिल थे. इस पर बॉस ने ये कहकर उसे नौकरी देने से इनकार कर दिया कि 'काम कब करोगे?'     

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गिटार बजाना-मैराथन दौड़ना पड़ा भारी
बिजनेस टुडे पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, टैटलर एशिया (Tatler Asia) के सीओओ परमिंदर सिंह (Parminder Singh) ने कंपनियों में वर्क कल्चर और काम के घंटों को लेकर चल रही बहस के बीच याद करते अपने एक पुराने भारतीय बॉस से जुड़ा हुआ किस्सा बताया. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह घटना तब की है जब वह भारत में कंपनी के मार्केटिंग टीम का हिस्सा थे. उन्होंने कहा कई कंपनियों में किसी के रिज्यूमे में लिखे Extra-Curriculars दोधारी तलवार की तरह साबित हो सकते हैं. क्योंकि ये नौकरी की आवश्यकताओं के अनुरूप हो भी सकते हैं और नहीं भी. उन्होंने कहा कि इससे जुड़ा मामला उनकी ही कंपनी का हैं, जहां बॉस ने कैंडिडेट के रिज्यूमे को इसलिए रिजेक्ट कर दिया, क्योंकि उनने अपनी हॉबी में गिटार बजाना और मैराथन में हिस्सा लेना बताया था.  

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'ये सब करेगा, तो काम कब करेगा...'
आमतौर पर स्पोर्ट्स से जुड़ी एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज को रिज्यूमे में लिखना फायदे का सौदा साबित होता है, लेकिन ऐसा हर जगह हो ये जरूरी नहीं. टैटलर सीओओ ने परिमिंदर सिंह ने बताया कि इस कैंडिडेट का रिज्यूमे उनकी ही टीम के लिए था, लेकिन इसमें गिटार बजाने और मैराथन में हिस्सा लेने का जिक्र देखने के बाद उनके बॉस ने उस उम्मीदवार को नौकरी पर रखने की अनुमति नहीं दी, जबकि वह कैंडिडेट एक अच्छा मार्केटर था. परमिंदर के मुताबिक, 'मेरे बॉस ने मुझे उस कैंडिडेट को नौकरी पर रखने से मना कर दिया, यह कहते हुए कि यह आदमी यह सब करता है तो काम कब करेगा?' उन्होंने अपनी ट्विटर (अब X) पोस्ट में इसका जिक्र किया है. 

सीओओ बोले- 'मुझे बेहद अफसोस...'
Tatler Asia COO ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें इस बात का खेद है कि वे उस युवा उम्मीदवार को अपनी टीम में नौकरी पर नहीं रख सके थे. उन्होंने भारतीय कंपनियों में वर्क कल्चर पर छि़ड़ी बहस के बीच कहा कि जब ये मामला सामने आया था, उस समय में मैं भारत से दूर था और मुझे लगा था कि चीजें बदल गई होंगी, लेकिन ऐसा लगता है कि ऐसा नहीं हुआ है. उन्होंने गूगल (Google) का उदाहरण देते हुए कहा कि गूगल में मेरे समय में एक नीति थी कि अगर आप ओलंपिक में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं, तो आप कंपनी ऑफिस में जाकर नौकरी पा सकते हैं. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, 'मुझे लगा कि ऐसे मैनेजर विलुप्त हो चुके हैं, लेकिन अब पता चला कि वे विलुप्त नहीं हैं.' 

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90 घंटे वर्क वीक पर बहस क्यों? 
यहां बता दें कि देश में इस समय सप्ताह में 90 घंटे काम (90Hours Work) का मुद्दा गर्माया हुआ है और सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है. दरअसल, इंजीनियरिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी एल एंड टी (L&T) के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी कंपनी के कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम सलाह देते हुए कहा था कि मुझे अफसोस है कि मैं आपको रविवार को काम पर नहीं बुला पा रहा. इस साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि, 'आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहारोगा? घर में कम और ऑफिस में ज्यादा समय बिताएं.' SN Subrahmanyan की इस टिप्पणी पर बॉलीवुड से लेकर बिजनेस जगत की हस्तियों ने उनकी कड़ी आलोचना की और 90 घंटे काम पर बहस तेज हो गई.  

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