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Budget 2021: पेट्रोल की कीमत सेंचुरी मारने को तैयार, क्या बजट में रोक पाएगी सरकार?

करीब 29 रुपये की लागत वाला पेट्रोल इतना महंगा बिक रहा तो इसकी वजह यह है कि करीब 53 रुपये जनता टैक्स के रूप में ही दे रही है. अब लोगों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री बजट में ऐसा कुछ ऐलान करेंगी, जिससे आम जनता को कुछ राहत मिले.

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पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने की हो रही मांग
पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने की हो रही मांग
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पेट्रोल कीमत का करीब 62% हिस्सा टैक्सेज का
  • सरकार की एक्साइस ड्यूटी से मोटी कमाई
  • बजट में कोई रास्ता निकालने की उम्मीद

पेट्रोल-डीजल के भाव आसमान छू रहे हैं. दिल्ली में पेट्रोल का रेट 86 रुपये लीटर के पार हो गया है. कई शहरों में तो पेट्रोल 90 रुपये पार हो गया है और ऐसा लगता है क‍ि जल्दी ही सेंचुरी लगा लेगा. करीब 29 रुपये की लागत वाला पेट्रोल इतना महंगा बिक रहा तो इसकी वजह यह है कि करीब 53 रुपये जनता टैक्स के रूप में ही दे रही है. अब लोगों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री बजट में ऐसा कुछ ऐलान करेंगी, जिससे आम जनता को कुछ राहत मिले.

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पेट्रोल-डीजल से सरकारी खजाने में जमकर आमदनी 

तेल के दाम देश में रिकॉर्ड ऊंचाई पर चल रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान तेल की मांग काफी कम हो गई  थी, लेकिन सरकार ने टैक्सेज बढ़ाकर पेट्रोलियम से अपने राजस्व को और बढ़ाने का कमाल कर लिया. कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट आ गई थी, इसका फायदा भी तेल कंपनियों को मिला. पेट्रोलियम पर सबसे ज्यादा टैक्स लगाने के मामले में भारत दुनिया के टॉप 5 देशों में से है. 

 पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी (बिक्री कर) कलेक्शन में इस वित्त वर्ष में जबरदस्त बढ़त हुई है. अप्रैल से नवंबर 2020 तक सरकार का एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन बढ़कर 1,96,342 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि इसके एक साल पहले की अवध‍ि में यह 1,32,899 करोड़ रुपये ही था.

यह संग्रह इस बात के बावजूद है कि इन आठ महीनों के दौरान 1 करोड़ टन कम डीजल की बिक्री हुई. इस दौरान सिर्फ 4.49 करोड़ टन डीजल की बिक्री हुई. सरकार ने लॉकडाउन के दौरान ही पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी थी. 

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आम आदमी से लेकर ट्रांसपोर्टर्स तक सभी बेहाल

पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से आम आदमी से लेकर ट्रांसपोर्टर्स तक सभी बेहाल हैं. कोरोना के दौरान सैलरी में कटौती, काम-धंधा मंदा पड़ने से आम आदमी पहले से काफी परेशान है, अब जब वह काम पर लौट रहा है तो उसे महंगे पेट्रोल की मार सहनी पड़ रही है. 

गौरतलब है कि ट्रांसपोर्टर्स पहले से ही काफी परेशान हैं. टोल टैक्सेज काफी बढ़ गए हैं. कोरोना की वजह से उनका कारोबार महीनों तक ठप रहा. पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से से माल भाड़ा भी बढ़ता जा रहा है. ट्रांसपोर्टर्स की लागत का करीब 55 फीसदी हिस्सा ईंधन का ही होता है. 

ट्रांसपोर्टर और कई एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटानी चाहिए ताकि इन ईंधन के आसमान छूते दाम कम हों. इससे मंदी और कोरोना की वजह से परेशान लोगों को राहत मिलेगी.  

 इसे देखें: आजतक LIVE TV 

जीएसटी में शामिल करने की मांग 

पेट्रोल-डीजल को लेकर एक बड़ी मांग यह की जाती है कि इन्हें जीएसटी के दायरे में लाया जाए. अगर ऐसा हुआ तो पेट्रोल-डीजल के दाम में भारी गिरावट आ सकती है. इसकी वजह यह है क‍ि जीएसटी की अध‍िकतम दर 28 फीसदी है.

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अगर आज भी देखें तो करीब 29 रुपये के बेसिक रेट के हिसाब से दिल्ली में पेट्रोल घटकर 40 रुपये लीटर पर आ सकता है. लेकिन संकट की इस घड़ी में जब सरकार के पास राजस्व के स्रोत कम रह गए हैं, पेट्रालियम सेक्टर दुधारु गाय बनी हुई है. 

अभी किस तरह से लगता है टैक्स 

अभी पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारें वैट लगाती हैं. वहीं, कई जगहों पर ट्रांसपोर्ट और लोकल बॉडी टैक्स की वजह से पेट्रोल की कीमतें और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं. वहीं, जीएसटी में शामिल होने पर इस पर सिर्फ एक ही टैक्स लगेगा. 

उदाहरण के लिए 16 जनवरी को दिल्ली में डीलर के लिए पेट्रोल की बेस प्राइस 28.50 रुपये प्रति लीटर थी (भाड़े आदि को मिलाकर). इस पर एक्साइज ड्यूटी थी 32.98 रुपये लीटर और वैट था 19.55 रुपये लीटर, डीलर का कमीशन था 3.67 रुपये लीटर और कुल खुदरा कीमत थी 84.60 रुपये लीटर.

इस तरह 84.60 रुपये लीटर के पेट्रोल में कुल 52.53 रुपये का टैक्स यानी करीब 62 फीसदी हिस्सा टैक्स ही था. बेस प्राइस पर यह टैक्स 184 फीसदी हो जाता है. अब अगर इस पर जीएसटी के दायरे में आ जाए और अध‍िकतम 28 फीसदी की जीएसटी दर भी इस पर लगाई जाए तो दिल्ली में इस बेस प्राइस पर भी टैक्स करीब 8 रुपये होगा और डीलर के कमीशन को जोड़ने के बाद पेट्रोल करीब 40 रुपये लीटर होगा. 

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क्या कर सकती हैं वित्त मंत्री 

पेट्रोलियम पर जहां केंद्र सरकार के एक्साइज में कटौती के लिए हाथ बंधे हुए हैं, वहीं इसे जीएसटी में लाने का राज्य सरकारें भी विरोध करेंगी क्योंकि यह उनके लिए भी वैट के रूप में कमाई का एक बड़ा स्रोत है. कई जानकार तो यहां तक कह रहे हैं कि इस बार अतिरिक्त सेस लगाया जा सकता है. यह सेस कोविड-19 सेस या किसी अन्य रूप में हो सकता है. इसलिए ऐसा लगता नहीं कि वित्त मंत्री इस बजट में कुछ खास कर पाएंगी. लेकिन अगर उन्होंने इसके लिए कोई रास्ता निकाला तो यह काफी राहत की बात होगी. 

 

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