भले ही भारत और कनाडा के बीच बीते कुछ वर्षों में तनाव बढ़ा है. लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापार अच्छा है, यानी सुगमता से व्यापार हो रहा है. दरअसल कूटनीतिक स्तर पर तनाव का असर अब ट्रेड पर भी पड़ने वाला है. इस समय तनाव की मुख्य वजह खालिस्तानी समर्थक संगठनों की गतिविधियां हैं. भारत का कहना है कि कनाडा सरकार खालिस्तानियों पर नकेल कसने में नाकाम रही है.
हालांकि तनाव और बयानबाजी के बीच भारत में आयोजित G-20 सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत पहुंच थे. सम्मेलन में भाग लेने के दो दिन बाद तक ट्रूडो भारत में ही रुके रहे. क्योंकि उनका निजी विमान खराब हो गया था. इस वजह से भी ट्रूडो की खूब किरकिरी हुई थी. भारत का आरोप है कि कनाडा में सक्रिय सिख अलगाववादियों पर ट्रूडो सरकार नकेल कसने में नाकाम रही है.
G-20 में ट्रूडो की हुई थी किरकिरी
अब दोनों देशों के बीच तनाव का सीधा असर ट्रेड पर दिख रहा है. क्योंकि G-20 की बैठक में शामिल होने के बाद कनाडा लौटते ही जस्टिन ट्रूडो भारत के साथ ट्रेड मिशन को रोकने का ऐलान कर दिया. उन्होंने इसका कोई कारण नहीं बताया. केवल उन्होंने कहा कि व्यापारिक संधि के लिए भारत के साथ वार्ता स्थगित कर दी गई है. जिससे अब कनाडा के साथ व्यापार आसान नहीं रह गया है. वैसे भारत और कनाडा के बीच आयात और निर्यात करीब-करीब बराबर है.
साल- 2022 में भारत कनाडा का 10वां बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर था. वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने कनाडा को 4.10 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया था. जबकि कनाडा ने भारत को 2022-23 में 4.05 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया. इससे एक साल पहले 2021-22 में भारत ने कनाडा को 3.76 अरब डॉलर का निर्यात किया था. वहीं साल 2021-22 में आयात का आंकड़ा 3.13 अरब डॉलर का रहा था. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार वर्ष 2021-22 में सात अरब डॉलर था, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 8.16 अरब डॉलर का हो गया.
यही नहीं, भारत और कनाडा के बीच व्यापार आसान होने की वजह से भारत ने बड़ा निवेश भी किया है. कनाडाई पेंशन फंडों ने भारत में 55 अरब डॉलर का निवेश किया है. जबकि कनाडा ने साल 2000 से लेकर अब तक भारत में 4.07 अरब डॉलर का सीधे निवेश किया है. भारत में फिलहाल कम से कम 600 कनाडाई कंपनियां काम कर रही हैं, जबकि 1000 और कंपनियां भारत में एंट्री के लिए कतार में हैं.
अगर भारत की बात करें तो भारतीय आईटी कंपनियों का कनाडा में बड़ा कारोबार है. इसके अलावा सॉफ्टवेयर, नेचुरल रिसोर्सेज और बैंकिंग सेक्टर में भारतीय कंपनियां सक्रिय हैं.
कनाडा से क्या-क्या खरीदता है भारत?
अब आपको बताते हैं कि भारत और कनाडा के बीच किन-किन चीजों की खरीद-बिक्री होती है. भारत से कनाडा आभूषण, बेशकीमती पत्थर, फार्मा प्रोडक्ट, रेडिमेड गारमेंट, ऑर्गेनिक केमिकल्स, लाइट इंजीनियरिंग सामान और आयरन एंड स्टील प्रोडक्ट मुख्य रूप से खरीदता हैं. जबकि कनाडा भारत को दालें, न्यूजप्रिंट, वुड पल्प, एस्बेस्टस, पोटाश, आयरन स्क्रैप, खनिज और इंडस्ट्रियल केमिकल बेचता है. दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग बराबर है.
कनाडा के लिए भारत एक बड़ा बाजार है. खासकर भारत कनाडा से दाल की खरीदारी करता है. भारत फिलहाल सालाना करीब 230 लाख टन दलहन की खपत है, जबकि पैदावार इससे कम होता है. इसलिए कनाडा के लिए भारतीय बाजार बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है. कनाडा मटर का बड़ा उत्पादक है, और दोबारा भारत निर्यात के बारे में सोच रहा था. लेकिन अब राह मुश्किल हो गई है.
व्यापार पर तनाव का असर
इसके अलावा दोनों देश एफटीए को लेकर भी बेहद करीब पहुंच गए थे, जो अब खटाई में पड़ता दिख रहा है. वैसे तो FTA दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने एक मील का पत्थर साबित होने वाला था. भारत और कनाडा ने व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के नए अवसर के लिए मार्च 2022 में समग्र व्यापार समझौते पर नए सिरे से बातचीत शुरू की थी. यह भी फैसला किया गया था कि शुरुआती प्रगति व्यापार समझौता (ईपीटीए) इसका पहला कदम होगा और उसके बाद समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) की ओर कदम बढ़ेंगे. जानकारी के मुताबिक दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर 6 दौर की बातचीत हो चुकी है. लेकिन अब फिर ये मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा.
क्या है FTA?
FTA के तहत जिन दो देशों में समझौते होते हैं, वो आपसी कारोबार के ज्यादा आइटमों पर ड्यूटी काफी कम कर देते हैं या खत्म कर देते हैं. भारतीय कंपनियां कनाडा के बाजारों में अपने टेक्सटाइल और लेदर के सामानों की ड्यूटी फ्री पहुंच की मांग कर रही हैं. इसके अलावा भारत कनाडा से प्रोफेशनल वीजा नियमों को सरल करने की मांग कर रहा है. दूसरी ओर कनाडा अपने डेयरी और कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खोलने की मांग कर रहा है. लेकिन अब तनाव की वजह बातचीत रुक गई है.
कनाडा के बारे में
कनाडा आर्थिक तौर पर एक मजबूत राष्ट्र है. इसकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा सोना, जस्ता, तांबा और निकल जैसे प्राकृतिक संसाधनों के खनन पर निर्भर करता है, जिनका दुनिया भर में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है. कई बड़ी तेल कंपनियों के साथ कनाडा भी तेल कारोबार में एक बड़ा खिलाड़ी है. हालांकि कनाडा की अर्थव्यवस्था में भारतीय मूल के लोगों के बड़ा योगदान है.