भांग, गांजा या चरस का नाम सुनते ही मन में पहला ख्याल आता है- 'नशीले पदार्थ', लेकिन अगर नशे से इतर देखें तो भांग का पौधा या कैनाबिस कई तरह के औषधीय गुण भी रखता है. इससे जुड़ी चीजों की इंडस्ट्री अरबों डॉलर की है और भारत में भी इससे जुड़े कई स्टार्टअप काम कर रहे हैं.
AIIMS Delhi में 3 साल से अधिक समय तक कैनाबिस पौधे और उससे जुड़े एडिक्शन पर शोध कर चुके डॉ. अनिल शेखावत बताते हैं कि भांग 'Cannabis Sativa' प्रजाति का पौधा है. इस पौधे को हिस्सों में बांटा जाए तो सबसे ऊपरी हिस्सा इसके फूल और फल का आता है. इसके बाद आती हैं पत्तियां. फिर तना और अंत में जड़. सबसे ऊपर वाले पार्ट यानी पौधे के फल-फूल वाले हिस्से को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है. यदि सूखने के बाद इसका तेल भी निकाल लिया जाए तो यह चरस बन जाता है. जबकि इसकी पत्तियों से भांग बनती है. इसके तने और जड़ों का इस्तेमाल इंडस्ट्रियल यूज के लिए किया जाता है.
(आगे हम भांग के लिए कैनाबिस शब्द का ही इस्तेमाल करेंगे क्योंकि आम बोलचााल की भाषा में भले ही इसे भांग कहा जाता है, लेकिन इस पौधे से भांग के अलावा अन्य उत्पाद भी निकलते हैं. इससे हमें समझने में आसानी होगी).
कैनाबिस को आम बोलचाल की भाषा में भले ही भांग कहा जाता है, लेकिन इस पौधे से भांग के अलावा अन्य उत्पाद भी निकलते हैं. डॉ शेखावत के मुताबिक कैनाबिस यानी भांग के पौधे में CBN,THC, CBG और CBD जैसे 100 से भी अधिक कंपाउंड पाए जाते हैं. जिनमें से Tetrahydrocannabinol (THC) और Cannabinoid (CBD), दुनिया भर में चर्चा का विषय बने रहते हैं. THC का इस्तेमाल नशे में होता है, वहीं CBD का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है.
भारत में इससे जुड़े करीब 100 स्टार्टअप कर रहे काम
IIHA (Indian Industrial Hemp Association) के प्रेसिडेंट रोहित शर्मा के अनुसार, भारत में लगभग 100 ऐसे स्टार्टअप हैं जो हेम्प से जुड़े प्रोडक्ट्स पर काम कर रहे हैं. बता दें कि IIHA पहली संस्था है, जिसे भारत में पहली बार वैध रूप से इसकी खेती और इससे प्रोडक्ट बनाने की अनुमति मिली.
Hampa wellness के Co-founder रजनीश पुंज के मुताबिक मेडिसिन और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए Cannabis Sativa के पौधे को वातावरण नियंत्रण करके उगाया जाता है. जिसे हेम्प या इंडस्ट्रियल हेम्प भी कहते हैं. इससे पौधे में THC की मात्रा कम हो जाती है. इसका इस्तेमाल न्यूट्रिशन, पर्सनल केयर वेलनेस और इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट बनाने के लिए किया जाता है.
पुंज ने बताया कि वर्तमान में भारत में हेम्प का मार्केट का साइज वैध रूप से 50 करोड़ से ज्यादा का है. लेकिन इसके ग्रोथ रेट देखते हुए यह कहा जा सकता है कि जल्द ही यह अरब डॉलर इंडस्ट्री बन सकती है. US की रिसर्च फर्म Grand View Research की Industrial Hemp market size, share और Trend analysis रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में हेम्प का ग्लोबल मार्केट साइज $4.71 अरब डॉलर था.
सबसे बैलेंस अनाज माना जाता है इसका बीज
रजनीश पुंज ने कहा कि कैनाबिस को अथर्ववेद में पांच सबसे महत्वपूर्ण पौधों में से एक माना गया है. इसके बीज को सबसे बैलेंस अनाज माना जाता है. इसके बीज में प्रोटीन, ओमेगा 3,6 और 9, फाइबर, फैट, विटामिन और मिनरल का जबरदस्त मिश्रण है. इसके अलावा इसमें Edestin प्रोटीन पाया जाता है, जिसे सेलुलर DNA और Antibodies का बैकबोन भी कहते हैं.
कितने लोग गांजा-चरस की लत के शिकार
UN की World Drug Report, 2018 के अनुसार, 15-64 की उम्र वाली विश्व की 3.9% आबादी यानी लगभग 28-30 करोड़ लोग कैनाबिस को ‘रिक्रिएशनल’ यानी नशे के लिए इस्तेमाल करते हैं. वहीं, भारत में Social Justice and Empowerment Ministry ने AIIMS दिल्ली के साथ मिलकर 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का सर्वे किया. इस सर्वे के अनुसार, भारत में 10-75 वर्ष के 3.1 करोड़ लोग गांजा-चरस का इस्तेमाल करते हैं. जबकि UN की World Drug Report 2020 में ड्रग के तौर पर इस्तेमाल होने वाले सब्सटांस में नंबर एक पर रखा गया है.
गांजा-चरस के इस्तेमाल में यूपी टॉप पर
यूपी, दिल्ली, सिक्किम, छ्त्तीसगढ़ और पंजाब गांजा-चरस का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाले टॉप पांच राज्य हैं. इनमें यूपी एक नंबर पर है. इन पांचों राज्यों में राष्ट्रीय औसत से अधिक गांजा और चरस का इस्तेमाल किया जाता है.
यदि इसकी खेती करनी हो तो क्या करना होगा?
Hampa Wellness के Co-founder रजनीश पुंज ने बताया कि अभी भारत में केवल दो राज्य उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में ही इसके खेती की अनुमति है. यदि किसी व्यक्ति को इसकी खेती करनी है तो उसे आयुष मंत्रायल से एक लाइसेंस लेना होता है. वहीं, यदि कोई कंपनी इसे प्रोसेस करके कोई प्रोडक्ट बनाना चाहती है तो उसे आयुष मंत्रायल और एक्साइज डिपार्टमेंट लाइसेंस लेने की जरुरत होती है. इसके अलावा यदि कंपनी फूड प्रोडक्ट्स बनाना चाहती है तो उसे FSSAI से भी लाइसेंस लेना अनिवार्य है.
कैनाबिस का कौन-सा हिस्सा भारत में बैन है?
आपको बता दें कि भांग जो कैनाबिस की पत्तियों से तैयार किया जाता है कभी-भी भारत में अवैध नहीं था. NDPS Act, 1985 के अनुसार, इसके पत्तियों को औषधियों और बीजों के न्यूट्रिशनल इस्तेमाल की अनुमति है. जबकि कैनाबिस के फल और फूल वाला हिस्सा ही अवैध है, जिससे गांजा और चरस तैयार किया जाता है.
Disclaimer
कैनाबिस का इस्तेमाल खतरनाक परिणाम ला सकता है. वहीं, दूसरी तरफ इसकी इंडस्ट्री बहुत तेजी से बढ़ रही है. इस इंडस्ट्री में सैकड़ों स्टार्टअप काम कर रहे हैं और उद्यमियों समेत कई राज्य भी इसकी खेती और प्रोसेसिंग को लीगल करने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में कैनाबिस पर शोध कर रहे शोधकर्ताओं और डॉक्टर्स की राय बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है. हम किसी भी तरह के नशे या इससे जुड़ी चीजों के सेवन का समर्थन नहीं करते हैं.