देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के एक कार्यक्रम में कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को अपने रोलओवर जोखिम और इंटरकनेक्टेड जोखिम की निगरानी करनी चाहिए.
कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने NBFC को कहा कि देश में वित्तीय समावेशन को और गहरा बनाने का प्रयास करना चाहिए. उन्होंने FICCI के पहले एनबीएफसी शिखर सम्मेलन में एनबीएफसी को जोंबी ऋण देने के प्रति आगाह किया.
उन्होंने कहा, 'प्रत्येक एनबीएफसी को अपने रोलओवर जोखिम और इंटरकनेक्टेड जोखिम पर नजर रखने की जरूरत है. भारत में एनबीएफसी सेगमेंट के रूप में उनका सुझाव महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह क्षेत्र आईएल एंड एफएस संकट के बाद गंभीर तनाव में रहा है जो 2018 में प्रकाश में आया था.'
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सीईए ने प्रौद्योगिकी के उपयोग पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग कहीं अधिक हो सकता है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी माना कि यह वित्तीय क्षेत्र ही है, जिसे भारत की विकास गाथा (ग्रोथ स्टोरी) का नेतृत्व करना है.
कोई बैंकिंग प्रणाली व्यवस्थित रूप से अल्पपूंजीकृत हो जाती है और नए उधार को एक सख्त पर्यवेक्षी निगरानी के तहत नहीं रखा जाता है, तो अर्थव्यवस्था को क्रेडिट त्रुटिपूर्ण आवंटन की समस्या से काफी नुकसान हो सकता है, जिसे 'ऋण सदाबहारिकरण' या 'जोंबी ऋण' के रूप में जाना जाता है.