स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में खुदरा महंगाई दर दिसंबर तक आपकी जेब काटने वाली है. एसबीआई इकोरैप के अनुमान के मुताबिक दिसंबर तक खुदरा मुद्रास्फीति 7 फीसदी के आसपास ही रहेगी. दिसंबर के बाद ही महंगाई में कुछ राहत मिल सकती है.
लेकिन अब देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यम ने भरोसा जताया है कि लॉकडाउन में ढील के बाद अब आने वाले दिनों में खुदरा महंगाई दर में गिरावट आएगी. उन्होंने कहा कि सप्लाई चेन बाधित होने से मुद्रास्फीति बढ़ी है.
लगातार महंगाई दर में बढ़ोतरी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में खुदरा महंगाई की दर 6.93 फीसदी थी, जबकि पिछले साल जुलाई में यह आंकड़ा सिर्फ 3.15 फीसद था. जबकि जून- 2020 में महंगाई दर 6.23 फीसदी पर थी. पिछले एक साल में महंगाई दर दोगुनी हो गई है.
केवी सुब्रमण्यम ने पीटीआई से कहा कि कोरोना संकट की वजह से आपूर्ति चेन के टूटने पिछले कुछ महीनों में महंगाई दर तेजी से बढ़ी है. लेकिन जैसे-जैसे लॉकडाउन में छूट के साथ कारोबारी गतिविधियां बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आएगी.
RBI के लिए भी चिंता का विषय
उन्होंने बताया कि खासकर सब्जियों, दालों, मांस और मछली के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है. हालांकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में 0.58 प्रतिशत घटी है. लॉकडाउन के बीच आंकड़ों के अभाव में सरकार ने अप्रैल और मई के खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी नहीं किए थे.
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक का मानना है कि खुदरा महंगाई 4 फीसदी से 6 फीसदी के बीच रहे तो उसके लिए सुविधाजनक है और इससे ज्यादा होने पर उसे उचित कदम उठाना पड़ेगा. कोरोना संकट के बीच रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कई बार कटौती कर चुका है. महंगाई का आंकड़ा रिजर्व बैंक के तय दायरे से काफी ऊपर है.