नौकरीपेशा शख्स के लिए बचत के तौर पर प्रॉविडेंट फंड यानी ईपीएफ की रकम सबसे अहम होती है. इस रकम के जरिए लोग अपने भविष्य के लिए फंड जुटा पाते हैं. इस फंड पर सरकार की ओर से हर साल ब्याज भी दिया जाता है. ये ब्याज पीएफ खाताधारक को मिलता है. हर बार ब्याज की दर संशोधित होती रहती है.
बीते वित्त वर्ष यानी 2019-20 के लिए पीएफ पर 8.50 प्रतिशत की दर से ब्याज दिए जाएंगे, जो 7 साल में सबसे कम है. ये रकम दो किस्तों में दी जाएगी. आपको बता दें कि इसके दायरे में करीब 6 करोड़ लोग आते हैं. मतलब ये कि 6 करोड़ लोगों को दो किस्तों में ब्याज दिया जाएगा.
क्या लिया गया फैसला
प्रॉविडेंट फंड पर 8.50 प्रतिशत की तय दर में से फिलहाल 8.15 प्रतिशत ब्याज ही ईपीएफ खातों में डाला जायेगा. शेष 0.35 प्रतिशत ब्याज का भुगतान इस साल दिसंबर तक अंशधारकों के ईपीएफ खातों में कर दिया जायेगा. आपको यहां बता दें कि अब तक सरकार एकमुश्त में भुगतान करती रही है.
क्यों लिया गया फैसला?
दरअसल, ईपीएफओ ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में किये गए अपने कुछ निवेश को बाजार में बेचने की योजना बनाई थी. ईपीएफ अंशधारकों को 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज का पूरा भुगतान करने के लिये यह निर्णय लिया गया था लेकिन कोविड-19 के कारण बाजार में भारी उठापटक के चलते ऐसा नहीं किया जा सका.
बीते कुछ सालों की ब्याज दर
मार्च, 2019 में समाप्त वित्त वर्ष के लिए ईपीएफओ ने 8.65 फीसदी ब्याज दर का ऐलान किया था. वित्त वर्ष 2017-18 में ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों को 8.55 फीसदी की दर से ब्याज दिया था. ये वो साल था जब ईपीएफओ ने पांच साल में सबसे कम 8.55 फीसदी की दर से ब्याज उपलब्ध कराया था. वहीं 2016-17 में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.65 फीसदी पर था. जबकि 2015-16 में 8.80 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था. इसी तरह, 2013-14 और 2014-15 में ईपीएफ पर 8.75 फीसदी का ब्याज दिया गया था. 2012-13 में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.50 फीसदी था.