केंद्र सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है. इसके तहत केंद्र 8 सितंबर से पहले जारी किए गए लेटर ऑफ क्रेडिट (LCs) द्वारा समर्थित 3,97,267 टन टूटे हुए चावल (Broken Rice) के शिपमेंट की अनुमति देगा. बुधवार को जारी एक अधिसूचना में इस बात की जानकारी साझा की गई है. गौरतलब है कि बीते महीने की शुरुआत में टूटे चावल के निर्यात (Export) पर बैन लगाने का ऐलान किया गया था.
8 सिंतबर को लगाया था बैन
केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना (Govt Notification) में कहा गया है कि भारत 8 सितंबर से पहले इश्यू किए गए ऋण पत्रों (लेटर ऑफ क्रेडिट) द्वारा समर्थित 3,97,267 टन के टूटे हुए चावल के शिपमेंट की अनुमति देगा. गौरतलब है कि बीते आठ सितंबर को निर्यात (Export) पर अचानक प्रतिबंध (Ban) के कारण कार्गो की लोडिंग को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया था. इससे बड़ी मात्रा में बंदरगाहों पर स्टॉक फंसा हुआ था.
सरकार ने इसलिए लिया है फैसला
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक (Rice Exporter) है. ग्लोबल चावल व्यापार में इसकी 40 फीसदी हिस्सेदारी है. भारत 150 से अधिक देशों को चावल का निर्यात करता है. लेकिन, देश के कुछ राज्यों में बारिश औसत से कम होने की वजह से धान का बुवाई क्षेत्र घटा है. ऐसे में घरेलू सप्लाई को बढ़ाने के लिए सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया था, जिससे देश के नागरिकों को चावल की कमी ना हो. इसके साथ ही सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी (Export Duty) लगाने का भी फैसला किया था.
व्यापारियों को मिलेगी बड़ी राहत
रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के इस कदम से करीब 10 लाख टन चावल फंस गया. राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (Rice Exporters Association) के अध्यक्ष बीवी कृष्णा राव का कहना है कि पहले से जारी लेटर ऑफ क्रेडिट (LCs) द्वारा समर्थित टूटे हुए चावल के निर्यात की अनुमति देने से व्यापारियों को राहत मिलेगी. क्योंकि बहुत सारे कार्गो फंसे हुए हैं और खरीदार तुरंत डिस्पैच का अनुरोध कर रहे हैं.
चीन में भारतीय टूटे चावल की डिमांड
राव ने कहा कि भारत में चावल के निर्यात पर प्रतिबंध से सबसे ज्यादा परेशानी कई कम आय वाले अफ्रीकी देशों के लिए खड़ी हो गई है. क्योंकि दूसरे देशों से खरीदारी में का मतलब है कि उन्हें बहुत अधिक कीमत चुकानी होगी. उन्होंने बताया कि भारतीय टूटा चावल अन्य की तुलना में कम से कम 30 फीसदी तक सस्ता मिलता है. भारतीय टूटे चावल की दुनिया के कई देशों में भारी मांग है और चीन इसका सबसे बड़ा खरीदार माना जाता है. चीन में टूटे चावल का इस्तेमाल मुख्य रूप से नूडल्स, शराब और पशुओं के लिए बनाए जाने वाले चारे के लिए किया जाता है.
बीते साल इतना हुआ निर्यात
रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल 2021 में 1.1 मिलियन टन की खरीद के साथ चीन भारतीय टूटे चावल का सबसे बड़ा खरीदार रहा था. बीते दिनों जारी अन्य रिपोर्ट्स की बात करें तो भारत ने 2021-22 के वित्त वर्ष में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था. इसमें 39.4 लाख टन बासमती चावल था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में गैर-बासमती चावल का निर्यात 6.11 अरब डॉलर का रहा. भारत ने 2021-22 के दौरान विश्व के 150 से अधिक देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया.