आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व CEO और एमडी चंदा कोचर को बैंक से टर्मिनेट किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. इसके खिलाफ दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इंकार किया.
चंदा कोचर का कहना था कि बर्खास्तगी गलत तरीके से की गई है, जबकि उन्होंने खुद इस्तीफा दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब आपने खुद ही इस्तीफा दिया था, तो फिर यह क्यों कह रहे हैं कि आपको बर्खास्त किया गया.
क्या कहा चंदा के वकील ने
इस पर चंदा कोचर की तरफ से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्हें पहले बर्खास्त किया गया और फिर रिजर्व बैंक इसे इजाजत ली गयी. इसकी वजह से चंदा कोचर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है.
गौरतलब है कि चंदा कोचर पहले ICICI बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और मैनेजिंग डायरेक्टर थीं. ICICI-वीडियोकॉन लोन घोटोले में संलिप्तता के आरोप में उन्हें पिछले साल बर्खास्त कर दिया गया था.
मुकुल रोहतगी ने कहा, 'हमारे मुवक्किल की प्रतिष्ठा का क्या हुआ? उन्होंने करीब 30 साल तक बैंक के साथ काम किया है. उनको इस तरह से बर्खास्त करना गलत है. उनकी पूर्व मंजूरी के बिना बर्खास्त नहीं किया जा सकता. यह रिजर्व बैंक के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता.'
रोहतगी ने कहा कि इस मामले में सरकारी और निजी बैंक में कोई अंतर ही नहीं रह गया है. यह जरूरी है कि बैंकों के प्रमुखों का बचाव हो. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में किसी तरह का दखल देने से इंकार करते हुए चंदा कोचर को कोई राहत नहीं दी.
सितंबर में पति को किया गया था गिरफ्तार
गौरतलब है कि आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सितंबर महीने में गिरफ्तार कर लिया है. ICICI बैंक की कर्जदार कंपनी वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज द्वारा दीपक कोचर की कंपनी में निवेश को लेकर जांच चल रही थी.
इस मामले पर ईडी अधिकारी दीपक कोचर से पूछताछ भी कर रहे थे. दीपक कोचर के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज को दिए गए लोन का दुरुपयोग करने के आरोप में केस दर्ज है.
क्या है मामला
आरोप है कि दीपक कोचर की फर्म न्यूपावर रिन्यूएबल्स में 2010 में 64 करोड़ रुपए वीडियोकॉन ग्रुप और 325 करोड़ मैटिक्स फर्टिलाइजर के द्वारा निवेश किया गया था. ये निवेश ICICI बैंक से लोन मिलने के तुरंत बाद किया गया था.
इसकी वजह से आने वाले समय में चंदा कोचर के लिए भी मुश्किल बढ़ सकती है क्योंकि जांच एजेंसी ED वीडियोकॉन और मेटिक्स के अलावा अन्य कंपनियों को लोन देने की भी जांच कर रही है. जांच एजेंसी उन सभी लोन्स की जांच कर सकती है जो चंदा कोचर ने ICICI बैंक प्रमुख रहते हुए कपनियों को दिए थे.