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Chandrayaan-3 Landing: चंद्रयान-3 के लिए योगदान, L&T ने बनाया लॉन्च वाहन, BHEL ने बैट्री... गोदरेज की ये थी भूमिका

आज शाम को जब Chandrayaan-3 लैंडर विक्रम चंद्रमा पर जब सॉफ्ट लैंडिंग करेगा, तो एक बार फिर अग्रणी अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत हो जाएगी. इस मिशन की सफलता देश के Space Sector में इंडिया इंक की भूमिका को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देने में भी मदद करेगी.

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चंद्रयान-3 मिशन में टाटा स्टील से गोदरेज एयरोस्पेस ने मुहैया कराए उपकरण
चंद्रयान-3 मिशन में टाटा स्टील से गोदरेज एयरोस्पेस ने मुहैया कराए उपकरण

आज भारत के लिए बड़ा दिन है, भारत का मून मिशन यानी चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) शाम को चंद्रमा की सतह पर लैंड करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. चंद्रमा की सतह पर लैंड करते ही भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा. इसरो (ISRO) के इस महत्वाकांक्षी मिशन पर पूरे देश अपनी उम्मीद भरी नजरें गड़ाए हुए है.

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ये देश का तीसरा मून मिशन है, जिसे बीते 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया था. अब 40 दिन बाद लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) आज शाम 6:04 बजे चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करेंगे. इस मिशन में L&T से लेकर Godrej तक देश की कई बड़ी कंपनियों की अहम भूमिका है.  

लैंडिंग से पहले कहां है चंद्रयान-3, Live Tracker में देखें पल-पल की लोकेशन
 

400 से ज्यादा कंपनियों के लिए मील का पत्थर

बुधवार को जब Chandrayaan-3 लैंडर विक्रम चंद्रमा पर जब सॉफ्ट लैंडिंग करेगा, तो एक बार फिर अग्रणी अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत हो जाएगी. इस मिशन की सफलता देश के Space Sector में इंडिया इंक की भूमिका को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देने में भी मदद करेगी. एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि इस चंद्रयान-3 मिशन को देश की 400 से अधिक प्राइवेट कंपनियों के विकास में एक और मील का पत्थर मानते हैं. गौरतलब है कि चंद्रयान मिशन 615 करोड़ की लागत का है और इसके सफल होने के लिए देश में प्रार्थना कर रहा है. बता दें साल 2019 में चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग की वजह से मिशन खराब हो गया था. 

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स्पेस सेक्टर में तेजी से आगे बढ़ रहा भारत

अंतरिक्ष सेवाओं के मामले में भारत अभी पांचवे नंबर पर है, लिस्ट में पहले नंबर पर अमेरिका, दूसरे नबंर पर चीन, तीसरे नंबर पर जापान और चौथे नंबर पर ब्रिटेन है. भारत में 400 से ज्यादा कंपनियां स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम कर रही हैं. जिस तेजी से भारत में स्टार्ट-अप्स शुरू हो रहे हैं, उसे देखते हुए अनुमान है कि जल्द ही भारत अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच जाएगा. बात करें Chandrayaan-3 में भारतीय कंपनियों की भूमिका की, तो इसमें लॉर्सन एंड ट्रूबो, गोदरेज से लेकर Himson Industrial Ceramic जैसी कंपनियों की बड़ी भूमिका है और इन कंपनियों ने इस मिशन को गर्व की बात करार दिया है. 

चंद्रयान-3 मिशन में प्राइवेट कंपनियों की भूमिका

चंद्रयान श्रृंखला के सभी चंद्र मिशनों का नेतृत्व इसरो (ISRO) ने किया है, लेकिन उनके लिए घटकों की आपूर्ति में प्राइवेट सेक्टर की महत्वपूर्ण भागीदारी रही है. भारतीय अंतरिक्ष संघ के महानिदेशक (आईएसपीए), लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अनिल कुमार भट्ट (Anil Kumar Bhatt) ने आजतक के सहयोगी चैनल बिजनेस टुडे को बताया कि यह श्रेय भी इसरो को ही जाता है कि उसने ऐसे आपूर्तिकर्ताओं की पहचान की, जिन्होंने समय के साथ चंद्रयान श्रृंखला जैसे उच्च-स्तरीय मिशन का समर्थन करने की क्षमता विकसित की है. 

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अनिल कुमार भट्ट के मुताबिक, Chandrayaan-3 मिशन के लिए भी ISRO ने सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की कंपनियों से प्रौद्योगिकियां हासिल की हैं. उदाहरण के लिए, लॉन्च वाहन बूस्टर सेगमेंट और सबसिस्टम लार्सन एंड टुब्रो द्वारा तैयार किए गए थे, बैटरी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) द्वारा आपूर्ति की गई थी, इलेक्ट्रॉनिक पावर मॉड्यूल और परीक्षण और मूल्यांकन प्रणाली केरल राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (Keltron) और मिशन कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग वालचंद इंडस्ट्रीज (Walchand Industries) द्वारा की गई.

मिशन चंद्रयान-3 से जुड़ी स्पेशल कवरेज देखने के लिए यहां क्लिक करें  

https://www.aajtak.in/full-coverage/chandrayaan-3-mission

इन कंपनियों ने मुहैया कराए उपकरण 

इस मिशन के लिए ISRO को उपकरण और अन्य इक्विपमेंट्स सप्लाई करने वाली कंपनियों की लिस्ट में अनंत टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (ATL) और गोदरेज जैसे नाम भी शामिल हैं. जहां एटीएल इसरो के लॉन्च व्हीकल, सैटेलाइट, अंतरिक्ष यान पेलोड और ग्राउंड सिस्टम के लिए विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ-साथ यांत्रिक उप-प्रणालियों के निर्माण से जुड़ा है. इस कंपनी का मुख्यालय हैदराबाद है और इसके फाउंडर सुब्बा राव पावुलुरी हैं. इसके अलावा चंद्रयान-3 मिशन के लिए यान के रॉकेट इंजन और थ्रस्टर जैसे जरूरी कंपोनेट्स को मुंबई स्थित गोदरेज एयरोस्पेस (Godrej Aerospace) कंपनी ने मुहैया कराया है.

Godrej Aerospace 

Chandrayaan 3 मिशन में गोदरेज एयरोस्पेस की भूमिका की बात करें तो इस कंपनी ने चंद्रयान के कई जरूरी पार्ट्स तैयार किए हैं. यान के रॉकेट इंजन और थ्रस्टर का गोदरेज एयरोस्पेस द्वारा बनाया गया है. अगर ये मिशन पूरा होता है, तो फिर न केवल इसरो के लिए बल्कि गोदरेज ग्रुप के लिए गर्व का पल साबित होगा. चंद्रयान का विकास इंजन, CE20 और सैटेलाइट थ्रस्टर्स (Satellite Thrusters) को गोदरेज एयरोस्पेस की मुंबई स्थित बिखरोली फैसिलिटी (Vikhroli facility) में तैयार किया गया है.

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इसके अलावा मिशन के कोर स्टेज के लिए L110 इंजन का निर्माण भी गोदरेज कंपनी द्वारा ही किया गया है. ये पहली बार नहीं है जबकि कंपनी ने चंद्रयान मिशन में अपनी भूमिका निभाई है. इससे पहले भी चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के साथ मंगलयान मिशन के लिए भी कंपनी स्वदेशी रूप से विकसित कंपोनेंट्स मुहैया करा चुकी है.

Himson Industrial Ceramic

गोदरेज एयरोस्पेस के अलावा अन्य कंपनियों ने भी इसरो के Chandrayaan-3 मिशन में योगदान किया है. सूरत की एक कंपनी Himson Industrial Ceramic ने हिमसन इंडस्ट्रियल सिरेमिक ने चंद्रयान-3 के उपकरणों को अत्यधिक तापमान से बचाने के लिए महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स की सप्लाई की है. ये कंपनी इसरो के साथ बीते 30 साल से जुड़ी हुई है. कंपनी की ओर से तैयार किए गए Squibs 3,000 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर भी यान और इसके पार्ट्स को गर्मी से बचाने में कामयाब होंगे.

Tata Steel

टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा स्टील की ओर से चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग में अहम भूमिका निभाई गई है. दरअसल,  टाटा स्टील द्वारा तैयार की गई क्रेन (Crane) ने आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में लॉन्च वाहन LVM3 M4 (Fat Boy) को असेंबल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बुधवार को कंपनी की ओर से जारी किए गए बयान में इस सहयोग का जिक्र किया गया है. बता दें टाटा स्टील ने इस क्रेन का निर्माण जमशेदपुर स्थित टाटा ग्रोथ शॉप (Tata Growth Shop) में किया गया था.

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Larsen And Toubro

लार्सन एंड टुब्रो (L&T) की बात करें तो कंपनी की ओर से चंद्रयान-3 में कई पार्ट्स को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस मामले पर एक बयान जारी करते हुए बीते दिनों कंपनी ने कहा बताया था कि उसने LVM-3 M-4 को बनाने में अपना योगदान दिया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक कंपनी ने अपनी रेगुलेटरी फाइलिंग में बताया है कि चंद्रयान-3 के मध्यम और नॉडल बकेट फलेयर को कंपनी की महाराष्ट्र स्थित पवई के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में बनाया गया है. इसके अलावा चंद्रयान-3 के कुछ पार्ट्स का निर्माण कोयम्बटूर में भी हुआ है. ये कंपनी भी भारत के कई अन्य स्पेस प्रोग्राम जैसे चंद्रयान-1, चंद्रयान-2, गगनयान और मंगलयान जैसे मिशनों से जुड़ी रही है.

 

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