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चीन ने किया मोदी सरकार के इस कदम का बचाव, यूरोपीय देश कर रहे आलोचना

लेख में कहा गया कि भारत भले ही गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन भारत की अपनी जरूरतें भी बड़ी हैं. लेख में कहा गया, 'भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होकर भी इसके वैश्विक निर्यात में छोटा सा हिस्सा रखता है.

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भारत ने लगाई निर्यात पर रोक
भारत ने लगाई निर्यात पर रोक
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गेहूं का निर्यात बढ़ाने के बाद भारत ने लगाई रोक
  • रूस-यूक्रेन जंग के चलते ग्लोबल फूड क्राइसिस

भारत सरकार ने हाल ही में गेहूं के निर्यात (India Export Ban) को रोकने का फैसला किया है. भारत के इस फैसले की कई यूरोपीय देश (European Countries) आलोचना कर रहे हैं. हालांकि पड़ोसी देश चीन (China) ने इस निर्णय पर सबसे हैरान करने वाला रुख अपनाया है. चीन ने न सिर्फ भारत के इस फैसले का बचाव किया है, बल्कि उसने पश्चिमी देशों की कड़ी आलोचना भी कर दी.

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सरकारी अखबार ने किया भारत का बचाव

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स (Global Times) में छपे एक लेख में भारत के गेहूं निर्यात रोक का बचाव किया गया. लेख में कहा गया कि भारत भले ही गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन भारत की अपनी जरूरतें भी बड़ी हैं. लेख में कहा गया, 'भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होकर भी इसके वैश्विक निर्यात में छोटा सा हिस्सा रखता है. वहीं दूसरी ओर अमेरिका (US), कनाडा (Canada), यूरोपीय देश (EU) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) आदि गेहूं के बड़े निर्यातकों में से हैं.'

भारत की आलोचना नहीं कर सकते पश्चिमी देश

लेख में आगे कहा गया, 'अगर कुछ पश्चिमी देश ग्लोबल फूड क्राइसिस की आशंका में गेहूं का निर्यात कम करने का निर्णय लेते हैं, तो वे भारत की आलोचना करने की स्थिति में नहीं होते हैं. भारत के ऊपर खुद ही अपनी विशाल आबादी का पेट भरने के लिए फूड सप्लाई (Food Supply) को सुरक्षित रखने का भारी दबाव है. भारत के ऊपर आरोप लगाने से समस्या का समाधान नहीं होगा. हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि गेहूं का निर्यात रोकने के भारत के फैसले से इसकी कीमतें कुछ बढ़ेंगी. पश्चिमी देश भारत समेत विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (Developing Economies) पर आरोप लगाना चाहते हैं.'

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ग्लोबल टाइम्स ने बताई संकट की मूल वजह

लेख में गेहूं समेत अन्य खाने-पीने की चीजों की वैश्विक कीमतें बढ़ने के असल कारण भी बताए गए. बकौल ग्लोबल टाइम्स, ग्लोबल मार्केट में फूड प्राइसेज (Global Food Prices) बढ़ने और फूड सप्लाई की कमी का असल कारण यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) व रूस के ऊपर पश्चिमी देशों की पाबंदियां (Western Sanctions on Russia) हैं. जी7 (G7) समूह के विकसित देश भारत की आलोचना करने में जल्दी के बजाय खुद ही गेहूं का निर्यात बढ़ाकर फूड मार्केट में सप्लाई को स्थिर क्यों नहीं करते हैं? भारत को इसके लिए ब्लेम करने से कोई फायदा नहीं होगा.

प्रधानमंत्री मोदी यूरोप दौरे में कर रहे थे दावे

ताजी रोक से पहले रूस-यूक्रेन की लड़ाई (Russia-Ukraine War) के चलते उत्पन्न संकट का लाभ उठाकर भारत गेहूं के निर्यात को बढ़ा रहा था. हालिया यूरोप दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) गेहूं का निर्यात बढ़ाने के भारत के फैसले को जोर-शोर से सार्वजनिक मंचों पर परोस भी रहे थे. प्रधानमंत्री दावा कर रहे थे कि भारत संकट के समय दुनिया का पेट भरने के लिए आगे आ रहा है. इसके कुछ ही दिनों के बाद निर्यात पर रोक के फैसले ने कइयों को हैरान कर दिया. हालांकि भारत ने यह फैसला देश के कई हिस्सों में जारी हीटवेब के चलते आगामी रबी फसल खराब होने की आशंका को लेकर लिया है.

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जर्मनी के एग्रीकल्चर मिनिस्टर ने की आलोचना

ग्लोबल टाइम्स के ताजा आलेख को जर्मनी (Germany) के एग्रीकल्चर मिनिस्टर Cem Ozdemir की एक हालिया टिप्पणी से जोड़कर देखा जा रहा है. जर्मन मिनिस्टर ने Stuttgart में एक प्रेस कांफ्रेंस में भारत का नाम लिए बिना कहा था, 'अगर हर कोई एक्सपोर्ट पर पाबंदियां लगाने लगे या अपने बाजार को बंद करने लगे, तो इससे संकट और बढ़ेगा.' ग्लोबल टाइम्स के लेख में कहा गया कि हर देश को अपना लोकल प्रोडक्शन बढ़ाने की जरूरत है, ताकि आसन्न संकट के समय आयातिक अनाजों पर निर्भरता कम की जा सके. चीन ने खुद भी खाने-पीने की चीजों के बढ़ते दाम का दंश झेला है. चीन की सरकार ने असर को कम करने के लिए नई नीतियां लागू की हैं.

 

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