पाकिस्तान पहले से अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट (Pakistan Economic Crisis) से जूझ रहा है और उसकी मदद के लिए कोई भी आगे नहीं आ रहा है. इस बीच चीन (China), जो उसकी छोटी-मोटी मदद के लिए अपने हाथ बढ़ा रहा है, उसके साथ भी रिश्तों में खटास आती नजर आ रही है. दरअसल, बदहाल इकोनॉमी और आतंकी घटनाओं ने पाकिस्तान में सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए देश में चीनी नागरिकों द्वारा चलाए जा रहे कारोबारों (Chinies Business) को बार-बार बंद कराया जा रहा है, जो दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में रोड़ा अटकाने का काम कर सकता है.
पाकिस्तान में बंद कराए जा रहे चीनी व्यापार
निक्केई एशिया की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की कराची पुलिस बार-बार अस्थायी तौर पर चीनी नागरिकों द्वारा संचालित कारोबारों को जबरन बंद करा रही है. हालांकि, ऐसा पुलिस देश में आतंकी हमलों से बचाव के मद्देनजर कर रही है, लेकिन आतंकवादी घटनाओं की वजह से पहले ही काफी खराब हो चुके अपने रिश्तों को संभालने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान का ये कदम उल्टा उसके लिए भारी पड़ता जा रहा है.
इससे चीनी व्यापारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है, जो दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में खटास लाने का काम कर सकता है. वहीं दूसरी ओर भूख से तड़पती पाकिस्तानी जनता पहले ही देश की सरकार के खिलाफ आक्रोशित है, उस पर अब उसे लगने लगा है कि चीन उसके देश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाकर उसकी जमीन पर कब्जे की फिराक में हैं.
सुरक्षा कारणों के मद्देनजर हो रही कार्रवाई
Pakistan में चीन के कारोबारों को बंद कराने की लिस्ट लंबी होती जा रही है. इस सबसे चलते पिछले महीने बीते महीने ही चीन ने इस्लामाबाद स्थित अपने दूतावास में कॉन्स्यूलर सेक्शन को बंद कर दिया था. निक्केई एशिया ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि चीन ने अपने नागरिकों को पाकिस्तान में बिगड़ते सुरक्षा हालातों को लेकर चेतावनी जारी की थी और हर स्थिति के लिए अलर्ट रहने को कहा था. इसके बाद से ही पाकिस्तान सरकार ने चीनी व्यापारियों का कारोबार बंद कराना शुरू कर दिया था.
रिपोर्ट में एक पाकिस्तानी पुलिस अधिकारी के बयान का जिक्र किया गया था. इसमें नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने बताया था कि बार-बार चेतावनी के बावजूद, कई चीनी स्वामित्व वाले व्यवसाय सुरक्षा प्रोटोकॉल को लागू करने में विफल रहे, जब तक कि संतोषजनक सुरक्षा व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक उन्हें सील कर दिया गया है.
चीन में भी बढ़ रहा आर्थिक संकट
वेस्टर्न मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में भी आर्थिक हालात बहुत अच्छे नहीं हैं. देश के कई राज्यों पर कर्ज उसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का करीब 44 फीसदी तक हो गया है. इसमें कहा गया है कि लगभग 31 चीनी राज्यों पर 782 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. ऐसे में दूसरे देशों में उसके कारोबार पर होने वाला असर इस समस्या को और भी बढ़ाने वाला साबित हो सकता है.
इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा भी किया जा रहा है कि पाकिस्तान में आतंकी हमलों को मुद्दा बनाकर चीनी व्यापारियों का कारोबार बंद कराने का कदम पाकिस्तानी सरकार चीन पर उसे दिए कर्ज को माफ करने या फिर उसे चुकाने की टाइमलाइन बढ़ाने का दबाव बनाने के लिए उठा रही है.
पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज का आंकड़ा यहां पहुंचा
पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. विदेशी कर्ज का ये आंकड़ा अब बढ़कर 100 अरब डॉलर के पार पहुंच चुका है. वहीं महंगाई की मार के चलते देश की जनता रोटी को मोहताज है. इस संकट से उबरने के लिए पाकिस्तान लगातार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मदद की गुहार लगा रहा है और उससे 1.1 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की मांग कर रहा है. हालांकि, अभी तक IMF की ओर से इसे मंजूरी नहीं दी गई है. पाकिस्तान पर मौजूदा विदेशी कर्ज में करीब 35 फीसदी हिस्सा केवल चीन का ही है, इसमें चीन के सरकारी वाणिज्यिक बैंकों का कर्ज भी शामिल है.