चीन की रियल एस्टेट दिग्गज कंपनी एवरग्रांड ग्रुप (Evergrande Group) ने अमेरिका में खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है. कंपनी ने न्यूयॉर्क की एक अदालत में चैप्टर-15 के तहत दिवालियापन संरक्षण के लिए आवेदन किया है. इस चैप्टर के तहत विदेशी कंपनियों की संपत्ति को अमेरिका में सुरक्षा मिलती है. चैप्टर-15 रिस्ट्रक्चरिंग से गुजर रही गैर-अमेरिकी कंपनियों को ऐसे लेनदारों से बचाता है, जो उन पर मुकदमा करने या अमेरिका में उनकी संपत्ति जब्त करने की कोशिश करते हैं.
कंपनी पर कितना कर्ज?
न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, एवरग्रांड की सहयोगी कंपनियों, तियानजी होल्डिंग और सीनरी जर्नी ने भी मैनहट्टन दिवालियापन अदालत में चैप्टर 15 के तहत संरक्षण के लिए आवेदन दिया है. साल 2021 से ही एवरग्रांडे ग्रुप 300 अरब डॉलर से अधिक की देनदारियों से जूझ रहा है. कंपनी 2021 में कर्ज का भुगतान नहीं कर सकी थी. तब उसने इसका कारण कोविड संक्रमण को बताया था. इसके बाद अमेरिका में हड़कंप मच गया था.
कंपनी के कर्ज के भुगतान नहीं करने से अन्य बिल्डरों पर भी इसका प्रभाव पड़ा और लोन नहीं चुकाने की एक सीरीज की शुरुआत हो गई. प्रमुख डेवलपर्स रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट को पूरा करने में असफल रहे. इसकी वजह से घर खरीदारों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. एवरग्रांड कई महीनों से एक ऑफशोर कर्ज के रिस्ट्रक्चरिंग समझौते पर काम कर रही है.
कंपनी ने लेनदारों को दिया था विकल्प
एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, एवरग्रांड ने लेनदारों को अपने कर्ज को कंपनी द्वारा जारी किए गए नए नोटों और दो सहायक कंपनियों, एवरग्रांडे प्रॉपर्टी सर्विसेज ग्रुप और एवरग्रांड न्यू एनर्जी व्हीकल ग्रुप में इक्विटी में बदलने का विकल्प दिया था. एवरग्रांड ने जुलाई 2021-2022 में 113 अरब से अधिक का नेट घाटा दर्ज किया था.
एवरग्रांड ग्रुप ने दिवालियापन के लिए ऐसे समय में आवेदन दाखिल किया है, जब चीन में रियल स्टेट इंडस्ट्रीज की हालत बुरी तरह से खराब हो चुकी है. पिछले हफ्ते चीन की एक और रियल स्टेट की दिग्गज कंपनी कंट्री गार्डन ने बताया था कि पहले छह महीने में उसे 7.6 अरब डॉलर तक की भारी-भरकम का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
चीन की इकोनॉमी की हालत खराब
कोविड के बाद चीन इकोनॉमी के मोर्चे पर जूझ रहा है. उसकी जीडीपी दर की ग्रोथ लगातार अनुमान से कम दर्ज की जा रही है. चीन में बेरोजगारी दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. ऐसे में रियल स्टेट सेक्टर का लगातार असफल होना उसके लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है.
कैसे कर्ज के बोझ तले दबी कंपनी?
जानकारों की मानें तो एवरग्रांड पर कर्ज के बोझ के बढ़ने की बड़ी वजह इसकी एग्रेसिव पॉलिसी रही है. पिछले कुछ साल में रियल स्टेट की इस दिग्गज कंपनी ने अपने ऊपर लदे कर्ज को नजरअंदाज कर विस्तार पर फोकस किया. कंपनी ने इस बात की भनक किसी को भी नहीं लगने दी कि उसके ऊपर इतना बड़ा कर्ज का बोझ है.
कंपनी की आर्थिक स्थिति बाहर नहीं आने की वजह से लोगों का भरोसा कंपनी पर बना रहा. लेकिन जब 2020 में चीन की सरकार ने कंपनियों की वित्तीय स्थिति को लेकर निगरानी बढ़ाई तो, एवरग्रांड की पोल खुल गई. कंपनी में करीब 2 लाख कर्मचारी करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, चीन में ये कंपनी हर साल 38-40 लाख रोजगार पैदा करती है.