जिस आर्थिक संकट से आज पाकिस्तान (Pakistan Economic Crisis) जूझ रहा है, ठीक वैसे ही हालात बीते साल श्रीलंका (Sri Lanka Crisis) में देखने को मिले थे. कर्ज का बोझ, खाली सरकारी खजाना और महंगाई का कोहराम, देश में हालात इतने खराब हो गए थे कि राष्ट्रपति को भी देश छोड़ना पड़ा था. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने देश में हालात ठीक करने के लिए श्रीलंका को 3 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दी और इसकी पहली किस्त भी जारी कर दी. लेकिन अब दूसरी किस्त में रोड़ा अटकता दिख रहा है और देश के लिए मुसीबत खड़ी करने वाला है चीन (China), जिसके कर्ज तले दबकर ही देश दिवालिया हुआ था. आइए विस्तार से जानते हैं पूरे मामले को...
IMF पैकेज की दूसरी किस्त पर संकट
खाने-पीने को तरसती जनता और पेट की आग बुझाने के लिए जान की बाजी लगाने को मजबूर लोग, पेट्रोल-डीजल से लेकर बिजली तक की किल्लत और राजनीतिक घमासान बीते साल श्रीलंका को दुनियाभर में चर्चा का विषय बनाए हुए था. आईएमएफ की मदद के बाद से देश के हालातों में सुधार देखने को मिला और महंगाई भी रिकॉर्ड हाई स्तर से नीचे आई. लेकिन, पिछले महीने आईएमएफ अधिकारियों ने पीटर ब्रेउर के नेतृत्व में श्रीलंका की यात्रा की और बेलआउट पैकेज की पहली समीक्षा में उसे असफल ग्रेड दे दिया. इसकी वजह से पैकेज के तहत उसे मिलने वाली 330 मिलियन डॉलर की दूसरी किस्त अभी तक नहीं मिल सकी है.
फाइनेंशियल गारंटी देने में आनाकानी
निक्केई एशिया की हालिया रिपोर्ट में इस मामले को उजागर किया गया है. इसमें बताया गया है कि श्रीलंका को मिलने वाले बेलआउट पैकेज (IMF Bailout Package) में अड़ंगा लगाने वाला और कोई नहीं बल्कि चीन है, जिसके कर्ज तले दबकर देश दिवालिया हो गया. अब एक बार फिर चीन की तरफ से उसे बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, IMF ने बेलआउट पैकेज को मंजूरी देने के साथ ही कुछ शर्तें भी लगाई हैं. इनमें से एक ये है कि श्रीलंका को लोन देने के मामले में बड़े कर्जदाता उसे फाइनेंशियल गारंटी दें. अब श्रीलंका को सबसे ज्यादा कर्ज तो चीन ने दिया है, लेकिन समीक्षा में उसने ही श्रीलंका को अयोग्य बता दिया. इससे पैकेज की किस्त पर संकट आ गया है.
श्रीलंका को सबसे ज्यादा कर्ज चीन ने दिया
श्रीलंका की स्थिति खराब करने में विदेशी कर्ज, खासतौर पर चीन से लिए गए कर्ज का बड़ा हाथ रहा है. बीते साल देश के हालातों पर जारी की गई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि श्रीलंका पर चीन का तकरीबन 5 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज (Debt On Sri Lanka) है. वहीं देश में हालात हर बीतते दिन के साथ बिगड़ते गए और आखिरकार मई 2022 में देश दिवालिया (Defaulter) घोषित कर दिया गया. बता दें कि किसी देश को दिवालिया तब घोषित किया जाता है जब वहां की सरकार दूसरे देशों या अंतरराष्ट्रीय संगठनों से लिया गया उधार या उसकी किस्त समय पर नहीं चुका पाती.
चीनी राष्ट्रपति से बात करेंगे विक्रमसिंघे
कर्ज का बोझ डालने के बाद अब श्रीलंका (Sri Lanka) में सुधर रहे हालात चीन का रास नहीं आ रहे हैं. रिपोर्ट की मानें तो China की बेरुखी के चलते श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने इसी महीने चीन जाने का प्लान भी तैयार कर दिया है. वहां 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' की 10वीं सालगिरह में वे शामिल हो सकते हैं और इस दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग (Xi Jinping) से इस फाइनेंशियल गारंटी के मुद्दे पर बात कर सकते हैं. हालांकि, चीन का रवैया कैसा रहता है, ये देखने वाली बात होगी.