अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी (US Speaker Nancy Pelosi) की हालिया एशिया यात्रा ने क्षेत्र में विवादों को जन्म दे दिया है. इस यात्रा (Nancy Pelosi Taiwan Visit) के कारण जहां अमेरिका (US) और चीन (China) खुलकर आमने-सामने आ गए हैं, वहीं ताइवान की खाड़ी (Taiwan Straight) में युद्ध शुरू होने का खतरा मंडराने लगा है. चीन लंबे समय से ताइवान को अपना हिस्सा बताता आया है, जबकि ताइवान खुद को अलग स्वतंत्र देश मानता है. पेलोसी की ताजा यात्रा ने इसी दशकों पुराने विवाद को फिर से हवा दे दी है. इस तनाव का परिणाम तो आने वाला समय ही बताएगा, अभी हम आपको ये बताते हैं कि आर्थिक लिहाज से चीन और ताइवान कहां ठहरते हैं.
चीन से इतना कम है ताइवान का क्षेत्रफल
ताइवान चीन के पड़ोस में स्थित एक छोटा देश है, जो चारों ओर से समुद्र से घिरा है. चीन भूगोल के हिसाब से दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है, जिसका कुल क्षेत्रफल (China Total Area) करीब 96 लाख वर्ग किलोमीटर है. क्षेत्रफल के हिसाब से चीन से आगे सिर्फ रूस (Russia), अमेरिका और कनाडा (Canada) हैं. वहीं ताइवान की गिनती दुनिया के सबसे छोटे देशों में की जाती है. ताइवान का क्षेत्रफल (Taiwan Total Area) महज 36,197 वर्ग किलोमीटर है. अर्थव्यवस्था के आकार (GDP Size) के हिसाब से दोनों देशों की तुलना कहीं नहीं ठहरती. चीन 13.6 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी (China Total GDP) के साथ एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है. वहीं ताइवान की जीडीपी का साइज (Taiwan Total GDP) महज 585.8 बिलियन डॉलर है.
प्रति व्यक्ति जीडीपी में चीन से आगे ताइवान
हालांकि प्रति व्यक्ति जीडीपी (Per Capita GDP) की बात करें तो ताइवान चीन से मीलों आगे निकल जाता है. Geo Rank के आंकड़ों के अनुसार, चीन की पर कैपिटा जीडीपी 9.8 हजार डॉलर बैठती है, जबकि ताइवान के मामले में यह आंकड़ा 25 हजार डॉलर हो जाता है. पर्चेज पावर पैरिटी को एडजस्ट करने के बाद चीन की पर कैपिटा जीडीपी (Per Capita GDP PPP Adjusted) 18 हजार डॉलर हो जाती है, तो ताइवान के मामले में यह 53 हजार डॉलर पर पहुंच जाता है. ताइवान में चीन की तुलना में महंगाई भी कम है. चीन में अभी खुदरा महंगाई की दर 2.1 फीसदी है तो ताइवान में यह दर महज 1.5 फीसदी है. ताइवान में चीन की तुलना में बेरोजगारी भी कम है. चीन में बेरोजगारी की दर 4.4 फीसदी है, जो ताइवान में 3.7 फीसदी है.
चीन की तुलना में ज्यादा फ्रीडम
चीन के बारे में सर्वविदित तथ्य है कि वहां एक पार्टी की तानाशाही वाली सरकार की व्यवस्था है, जबकि ताइवान में लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू है. इसका असर व्यवसायों से लेकर लोगों को मिलने वाली आजादी पर भी दिखता है. ताइवान का इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स (Economic Freedom Index) 77.1 है, जबकि चीन के लिए यह महज 59.5 प्वाइंट है. बिजनेस फ्रीडम इंडेक्स (Business Freedom Index) पर ताइवान का स्कोर 93.9 है, जबकि चीन का स्कोर 76.8 है. इसी तरह फाइनेंशियल फ्रीडम इंडेक्स (Financial Freedom Index) और इन्वेस्टमेंट फ्रीडम इंडेक्स (Investment Freedom Index) दोनों पैमानों पर ताइवान का स्कोर 60-60 है. वहीं चीन का इन दोनों पैमानों पर स्कोर महज 20-20 है.
10 साल में ताइवान ने की ऐसी तरक्की
ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के आंकड़ों के अनुसार, ताइवान अभी एशिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. एशिया में ताइवान से बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में चीन के बाद जापान (Japan), भारत (India), दक्षिण कोरिया (South Korea), इंडोनेशिया (Indonesia) और सऊदी अरब (Saudi Arab) का स्थान है. पिछले 10 साल के दौरान ताइवान की अर्थव्यवस्था ने तेजी से तरक्की की है. साल 2012 में ताइवान की जीडीपी का आकार 495.6 बिलियन डॉलर था, जिसे इस साल करीब 700 बिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है. अगर ऐसा होता है तो यह 10 साल में करीब 40 फीसदी की तरक्की होगी. ताइवान की जीडीपी में सबसे ज्यादा योगदान सर्विस सेक्टर का है, इसके बाद मैन्यूफैक्चरिंग का नंबर आता है. यूटिलिटीज, ट्रांसपोर्ट, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, माइनिंग, कंस्ट्रक्शन और एग्रीकल्चर जैसे सेक्टर भी ताइवान की इकोनॉमी में अच्छा-खासा योगदान देते हैं.
सेमीकंडक्टर के मामले में पूरी दुनिया निर्भर
ताइवान को एक और बात खास बनाती है. ताइवान को दुनिया का सेमीकंडक्टर हब माना जाता है. दुनिया की जितनी बड़ी टेक कंपनियां हैं, लगभग सभी ताइवान से सेमीकंडक्टर खरीदती हैं. ताइवान की TSMC अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी है और Apple, Qualcomm, Nvidia, Microsoft, Sony, Asus, Yamaha, Panasonic जैसी दिग्गज कंपनियां उसकी क्लांइट हैं. ताइपेई स्थित रिसर्च फर्म ट्रेंडफोर्स के आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के टोटल ग्लोबल रेवेन्यू में ताइवान की कंपनियों की हिस्सेदारी 60 फीसदी से अधिक रही. इसमें सबसे ज्यादा योगदान TSMC का ही रहा. दूसरे नंबर पर भी ताइवान की ही एक अन्य कंपनी UMC का कब्जा था. तीसरे स्थान पर दक्षिण कोरिया की कंपनी सैमसंग थी. उसके बाद चौथे स्थान पर अमेरिकी कंपनी Global Foundries कायम थी. चीन की कंपनी SMIC सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में पांचवें नंबर की कंपनी थी. इस तरह देखें तो सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर ताइवान का एकतरफा दबदबा है. कोरोना महामारी के दौरान इसका असर भी दिखा था, जब ताइवान की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री कोरोना की चपेट में आ गई थी. अभी तक दुनिया भर की टेक, स्मार्टफोन व ऑटो कंपनियां चिप शॉर्टेज का दंश झेल रही हैं.