
अभी पूरी दुनिया की निगाहें एशिया (Asia) की ओर लगी हुई हैं. अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी (US Speaker Nancy Pelosi) की हालिया ताइवान यात्रा (Nancy Pelosi Taiwan Visit) के बाद एशिया में युद्ध छिड़ने का खतरा मंडरा रहा है. पेलोसी की यात्रा संपन्न होते ही चीन (China) ने ताइवान (Taiwan) के चारों ओर अब तक के सबसे बड़े युद्धाभ्यास (China Military Drill Around Taiwan) की शुरुआत की है. इसे सीधे तौर पर ताइवान और अमेरिका (US) को चुनौती देना समझा जा रहा है. वहीं ताइवान ने चीन के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि वह युद्ध की स्थिति के लिए भी पूरी तरह से तैयार है. अगर वास्तव में ताइवान की खाड़ी (Taiwan Straight) में युद्ध छिड़ता है तो वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (Chinese Economy) चीन को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
पहले ही सामने हैं ये चुनौतियां
कोरोना महामारी (Covid-19) के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से ही प्रभावित थी. अभी कोरोना महामारी के चलते उत्पन्न व्यवधान दूर हो ही रहे थे कि पूर्वी यूरोप (East Europe) में जंग की शुरुआत हो गई. फरवरी महीने में यूक्रेन के ऊपर रूस के हमला करते ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष नई चुनौती उत्पन्न हो गई. यूक्रेन-रूस युद्ध (Russia-Ukraine War) के कारण ग्लोबल सप्लाई चेन (Global Supply Chain) पर बुरा असर हुआ, खासकर अनाजों के वैश्विक बाजार में हालात बेकाबू हो गए. कई देशों में खाने-पीने की चीजों की कमी (Food Shortage) हो गई.
इसके साथ ही कच्चे तेल के भाव (Crude Oil Prices) आसमान पर पहुंच गए, जिसका खामियाजा विकासशील देशों (Developing Countries) को भुगतना पड़ा. अब अगर चीन और ताइवान के बीच युद्ध (China Taiwan War) की शुरुआत होती है तो ग्लोबल इकोनॉमी को सप्लाई चेन के बिखरने की स्थिति का सामना करना होगा. चीन को दुनिया की फैक्ट्री कहा जाता है, जबकि कई अहम इंडस्ट्रीज की रीढ़ माने जाने वाले सेमीकंडक्टर के लिए ताइवान हब है.
चीन का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास
चीन के सरकारी टेलीविजन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अभी चीन की सेना ताइवान के इर्द-गिर्द समुद्र में युद्धाभ्यास कर रही है. इस युद्धाभ्यास के तहत पानी और हवा में गोलीबारी भी शामिल है. ताइवान के बेहद करीब 6 लोकेशंस पर एक साथ हो रहा यह युद्धाभ्यास रविवार तक चलने वाला है. इस युद्धाभ्यास के कारण एक तरह से ताइवान के समुद्री रास्ते चारों तरफ से बंद हो गए हैं. उत्तर, पूर्व और दक्षिण में तो युद्धाभ्यास के लोकेशंस ताइवान से 12 नॉटिकल मील के दायरे में हैं. ताइवान चीन की इस हरकत को इंटरनेशनल ऑर्डर का उल्लंघन बता रहा है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान ने मिलिट्री के सीक्रेट लोकेशंस पर चीन के ड्रोन के उड़ान भरने का दावा किया है.
कई देश कर चुके चीन की आलोचना
चीन की इस हरकत पर अमेरिका व अन्य पश्चिमी देशों ने कड़ी आपत्ति व्यक्त की है. सात विकसित देशों के समूह G7 के विदेश मंत्रियों ने एक साझा बयान जारी कर चीन के कदम की निंदा की है. वहीं आसियान देशों के विदेश मंत्रियों ने भी चीन के युद्धाभ्यास पर चिंता व्यक्त की है. चीन ने अमेरिका के खिलाफ आर्थिक मोर्चे पर भी कठोर कदम उठाने की चेतावनी दी है. इन सब घटनाक्रमों से इस बात का अंदेशा हो रहा है कि कहीं फिर से ट्रंप के दौर वाला ट्रेड वार लौट न जाए. ट्रंप के कार्यकाल के दौरान चीन और अमेरिका के बीच चले ट्रेड वार से दुनिया की दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान उठाना पड़ा था. उस दौरान चीन के ऊपर लगी कई पाबंदियां अभी तक हटी भी नहीं हैं और उससे पहले ही नया संकट सामने आ गया है.
ऐसा होगा चीन की अर्थव्यवस्था का हाल
चीन की बात करें तो उसकी अर्थव्यवस्था एक्सपोर्ट पर बेस्ड है. चीन सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट अमेरिका को ही करता है. ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के आंकड़ों के अनुसार, इस साल जून में चीन ने अमेरिका को 55.97 मिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया था. चीन के एक्सपोर्ट डेस्टिनेशंस में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर हांगकांग है. इसी तरह जापान तीसरे, वियतनाम चौथे, भारत पांचवें, जर्मनी छठे, नीदरलैंड सातवें, मलेशिया आठवें, ताइवान नौवें और थाइलैंड 10वें स्थान पर है. अगर युद्ध की स्थिति आती है तो टॉप10 में से ज्यादातर देशों को चीन का निर्यात ठप हो जाएगा. कोरोना महामारी की मार से अब तक नहीं उबर पाई चीन की अर्थव्यवस्था के लिए यह बेहद त्रासद साबित होगा. वहीं ताइवान का व्यापार बाधित होने से दुनिया भर की टेक, स्मार्टफोन व ऑटो कंपनियां को प्रोडक्शन रोकना पड़ सकता है.