देश- दुनिया में कायम मौजूदा चिप संकट (Chip Shortage) का कई इंडस्ट्री पर काफी बुरा असर हुआ है. ऑटो इंडस्ट्री (Auto Industry) को तो इस संकट ने कोरोना महामारी से ज्यादा बड़ा झटका दिया है. इसके अलावा स्मार्टफोन (Smartphone) से लेकर टीवी और वॉशिंग मशीन बनाने वाली कंपनियां भी सेमीकंडक्टर (Semiconductor) की कमी से परेशान हैं. चिप के लिए अन्य देशों पर निर्भरता के चलते यह संकट भयावह हो गई है. संकट के दूसरे पहलू को देखें तो इसने चिप के मामले में देश को आत्मनिर्भर (Aatmanirbhar Bharat) बनने का मौका दिया है. अच्छी बात यह है कि सरकार के साथ-साथ प्राइवेट सेक्टर भी इस दिशा में प्रयासरत है.
कैबिनेट ने दी है एक बड़ी स्कीम को मंजूरी
सेंट्रल कैबिनेट ने बुधवार को इस दिशा में एक बड़ा फैसला लिया. कैबिनेट ने देश को चिप मैन्यूफैक्चरिंग का हब (Chip Manufacturing Hub) बनाने के लिए 76 हजार करोड़ की एक स्कीम (Incentive Scheme) को मंजूरी दी. मौजूदा चिप शॉर्टेज से हुई परेशानियों के बाद यह योजना शुरू की जा रही है. ऐसा माना जा रहा है कि यह स्कीम चिप के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है.
सब्सिडी समेत कई प्रोत्साहन देगी सरकार
इस स्कीम के तहत सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग इकोसिस्टम (Semiconductor Manufacturing Ecosystem) तैयार करने के लिए कई प्रोत्साहन दिए जाएंगे. सेमीकंडक्टर वेफर फैब्रिकेशन यूनिट (Semiconductor Wafer Fabrication Unit) लगाने में खर्च होने वाली पूंजी पर कंपनियों को 25 प्रतिशत सब्सिडी (Subsidy) मिलेगी. इसी तरह एसेम्बलिंग (Assembling), टेस्टिंग (Testing), पैकेजिंग (Packaging) और चिप डिजाइन (Chip Design) के लिए भी प्रोत्साहन दिए जाएंगे.
टाटा समूह 2250 करोड़ निवेश की तैयारी में
दूसरी ओर भारत के सबसे पुराने कॉरपोरेट घरानों में से एक टाटा समूह (Tata Group) ने भी चिप इंडस्ट्री में उतरने की तैयारी कर ली है. टाटा समूह सेमीकंडक्टर एसेम्बलिंग प्लांट लगाने की तैयारी में है और इसके लिए 2250 करोड़ रुपये निवेश किए जा सकते हैं. खबरों के अनुसार, इसके लिए टाटा समूह तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना की राज्य सरकारों से बातचीत कर रहा है. टाटा समूह जमीन अधिग्रहण होते ही OSAT प्लांट पर काम तेज कर देगा.
स्मार्ट डिवाइसेज के दिमाग हैं चिप
उल्लेखनीय है कि सभी स्मार्ट डिवाइस के लिए चिप यानी सेमीकंडक्टर सबसे जरूरी हिस्सा होता है. इसे स्मार्ट डिवाइसेज का दिमाग भी कहा जा सकता है. किसी डिवाइस या मशीन में जितने ऑटोमैटिक फीचर होंगे, उसे बनाने में चिप की उतनी अधिक जरूरत होती है. यही कारण है कि आज के समय में स्मार्टफोन से लेकर कारों तक में चिप का इस्तेमाल जरूरी हो गया है.