कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने पहली बार कोयले के इंपोर्ट (Coal Import) के लिए टेंडर जारी किया है. देश के बिजली प्लांट्स (Power Plants) को फ्यूल की सप्लाई को पूरा करने के लिए सितंबर तक 2.416 मिलियन टन (करीब 24.16 लाख टन) कोयले का आयात किया जाएगा. कोल इंडिया को पिछले महीने बिजली मंत्रालाय (Ministry of Power) की ओर से विदेशों से कोयला इंपोर्ट करने का निर्देश दिया गया था. कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक कोल इंडिया के पास इसके इंपोर्ट का कोई अनुभव नहीं है.
कंपनी ने एक बयान में कहा कि पावर जेनरेटिंग कंपनियों (Gencos) और इंडिपेंटेंड पावर प्लांट (IPPs) की ओर से कोयला मंगाया जा रहा है, जो उनसे प्राप्त मांग पर आधारित है. बयान में कहा गया है कि यह मांग चालू वित्त वर्ष 2022-23 की जुलाई से सितंबर तक के लिए है.
बिजली प्लांट्स ने की डिमांड
अप्रैल में हुई बिजली कटौती की स्थिति फिर से न हो, इसके लिए सरकार कोयले का भंडार बनाने की कोशिश में जुटी है. कोल इंडिया के लिए कोयले का इंपोर्ट नया काम है. कंपनी ने सात सरकारी और 19 इंडिपेंटेंड पावर प्लांट्स के डिमांड के बाद तेजी से कोयले के इंपोर्ट के लिए टेंडर जारी किया है. कोल इंडिया बोर्ड ने 2 जून को विदेशों से कोयले के निर्यात की अनुमति दे दी थी.
बोली प्रक्रिया के माध्यम से चुनी गई सफल एजेंसी, पावर जेनरेटिंग कंपनियों (Gencos) और इंडिपेंटेंड पावर प्लांट (IPPs) के बिजली संयंत्रों को कोयले की डिलीवरी करेगी. बोली हासिल करने की आखिरी तारीख 29 जून है. कोल इंडिया का घरेलू कोयला उत्पादन में 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान है.
सरकार ने किया था अलर्ट
सरकार ने कंपनी को अगले 13 महीनों के लिए बिजली उपयोगिताओं के लिए 1.2 करोड़ टन कोयला आयात करने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है. बिजली मंत्रालय ने 18 मई को अलर्ट करते हुए कहा था कि अगर 31 मई तक कोयले के आयात के आदेश नहीं दिए जाते हैं और 15 जून तक बिजली प्लांट्स में विदेशी कोयला नहीं पहुंचता है, तो पावर जेनरेटिंग कंपनियों (Gencos) को अपने आयात को 15 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा.
अप्रैल में पावर कट की समस्या
हाल ही में देश के विभिन्न हिस्सों में बिजली कटौती हुई थी. पंजाब, झारखंड, ओडिशा, बिहार, उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और आंध्र प्रदेश को मुख्य रूप से इस समस्या का सामना करना पड़ा था. ये मुख्य रूप से बिजली संयंत्रों में कोयले की कम उपलब्धता और गर्मी के मौसम में अधिक मांग की वजह से हुआ था.