केयर रेटिंग का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी जून तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पिछले साल की तुलना में 20 की फीसदी की भारी गिरावट आ सकती है. कोरोना वायरस संक्रमण और उसकी उसकी रोकथाम के लिए मार्च से लागू सार्वजनिक पाबंदियों के चलते आर्थिक कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
गौरतलब है कि इसके पहले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने जून में खत्म चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 16.5 की फीसदी गिरावट की आशंका जताई है. इससे पहले, मई में एसबीआई रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 20 फीसदी से अधिक की गिरावट की आशंका जताई गई थी.
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31 अगस्त को आएगा आंकड़ा
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय अप्रैल-जून 2020-21 के जीडीपी के आंकड़े 31 अगस्त को जारी करने वाला है. उसमें कोविड-19 के आर्थिक दुष्प्रभाव का असर दिखेगा.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, केयर रेटिंग ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि लॉकडाउन के प्रतिकूल प्रभावों के चलते पहली तिमाही के आर्थिक प्रदर्शन को लेकर अनिश्चितताएं हैं. पर हम इन प्रतिकूल प्रभावों को ध्यान में रखते हुए चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 20 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगा रहे हैं.
क्या कहा गया है रिपोर्ट में
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की अर्थव्यवस्था में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में चालू वित्त वर्ष की प्रथम तिमाही में करीब 19.9 प्रतिशत का संकुचन दिख सकता है. इस दौरान कृषि, वानिकी, मत्स्यपालन और लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं के क्षेत्र में वृद्धि और बाकी क्षेत्रों में संकुचन रहने का अनुमान है.
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इस वित्त वर्ष में भारी गिरावट का अनुमान
इसके पहले तमाम रेटिंग एजेंसियों ने इस वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट का अनुमान लगाया है. रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने कहा है कि कोरोना की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच फीसदी की गिरावट आएगी. दूसरी तरफ, रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने चेतावनी दी है कि भारत में आजादी के बाद चौथी मंदी आने वाली है और यह अब तक की सबसे भयानक मंदी होगी.
भारतीय रिजर्व बैंक ने भी यह स्वीकार कर लिया है कि इस वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में नेगेटिव ग्रोथ यानी गिरावट आ सकती है.