कोरोना संकट के दौर में अब कुछ राहत देने वाली खबरें आने लगी हैं. 20 सितंबर को खत्म हफ्ते में बेरोजगारी में गिरावट आई है. इस दौरान देश की बेरोजगारी दर सिर्फ 6.4 फीसदी रही. निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के सर्वे से यह बात सामने आई है.
हालांकि यह बहुत खुश होने वाली खबर इसलिए नहीं है, क्योंकि सितंबर महीने में लेबर मार्केट के कई आंकड़े अगस्त की तुलना में खराब रहे हैं. गौरतलब है कि अगस्त महीने में बेरोजगारी दर 8.35 फीसदी और जुलाई में 7.43 फीसदी थी. लॉकडाउन की वजह से अप्रैल में बेरोजगारी दर अब तक के रिकॉर्ड 27.1 फीसदी तक पहुंच गई थी.
क्या कहा CMIE ने
सीएमआईई ने कहा, 'अगस्त महीने में सुधार प्रक्रिया ठहरी हुई रही है. लॉकडाउन की वजह से अप्रैल में भारी गिरावट देखी गई थी. श्रम भागीदारी दर और बेरोजगारी दर से ऐसा लगता है कि अर्थव्यवस्था में सुधार की प्रक्रिया उम्मीद के मुताबिक नहीं है.'
गौरतलब है कि CMIE के अनुसार, सितंबर के पहले तीन हफ्तों में श्रम भागीदारी दर महज 40.7 फीसदी रही है. इसी तरह 20 सितंबर तक के आंकड़ें देखें तो 30 दिन का मूविंग एवरेज 40.3 फीसदी रहा है. अगस्त में यह 40.96 फीसदी था.'
घटी श्रम भागीदारी दर
इसी तरह, जून से मध्य अगस्त तक औसत श्रम भागीदारी दर 40.9 फीसदी थी, जो कि मध्य अगस्त से मध्य सितंबर तक गिरकर 40.45 फीसदी रह गई. रिपोर्ट में कहा गया है, '16 अगस्त के हफ्ते में श्रम भागीदारी दर शीर्ष पर थी. लेकिन इसके बाद इसमें काफी गिरावट आ गई.'
CMIE के सीईओ महेश व्यास ने कहा, 'श्रम भागीदारी दर में गिरावट से यह संकेत निकलता है कि कार्यशील जनसंख्या का कम हिस्सा ही काम में लगा है. ये लोग बेरोजगार हैं और अभी रोजगार की तलाश में हैं. श्रम बल में वे सभी लोग आते हैं जो रोजगार में हैं या बेरोजगार हैं और सक्रियता से रोजगार की तलाश में लगे हुए हैं.'
उन्होंने कहा, 'कुल कार्यशील जनसंख्या की तुलना में श्रम बल का सिकुड़ता जाना इस बात का संकेत है कि श्रम बाजार में क्षरण हो रहा है. यह इस बात का संकेत है कि लोग हालात को देखते हुए घर बैठना पसंद कर रहे हैं और नौकरी के बाजार में हिस्सेदारी नहीं कर रहे हैं.'