Crypto currencies bill: देश में क्रिप्टोकरेंसीज पर सख्ती के लिए संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले या सत्र के दौरान ही केंद्रीय मंत्रिमंडल (Cabinet) के समक्ष मंजूरी के लिए एक व्यापक बिल रखा जाएगा. गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र की शुरुआत 29 नवंबर से हो रही है.
सूत्रों के मुताबिक इस बिल में क्रिप्टोकरेंसीज को रेगुलेट करने, उनके वर्गीकरण और उन पर टैक्स लगाने के बारे में विस्तार से प्रावधान हैं. एक बार कैबिनेट से इसे मंजूरी मिलने के बाद इसे संसद के शीतकालीन सत्र में ही पारित किया जा सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर टैक्स लगाने के बारे में प्रावधानों को मंजूरी मिलने के बाद बजट सत्र में पेश होने वाले फाइनेंस बिल में इसका ऐलान किया जा सकता है. बजट सत्र आमतौर पर जनवरी के अंतिम हफ्ते में शुरू होता है.
बजट में हो सकता है ऐलान
वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में ऐसे कुछ ऐलान कर सकती हैं जिनसे देश में क्रिप्टोकरेंसी के बारे में उठ रहे तमाम सवालों पर तस्वीर साफ हो सकती है.
सूत्रों के अनुसार, भारत क्रिप्टो पर बैन लगाने की जगह बीच का कोई रास्ता अपना सकता है. क्रिप्टोकरेंसी के बारे में रेगुलेशन को सख्त करते हुए इससे होने वाली कमाई पर टैक्स लगाया जा सकता है.
सरकार इस बारे में कुछ बोलने को तैयार नहीं है. लेकिन क्रिप्टो को भारत में करेंसी का दर्जा हासिल नहीं है. सभी करेंसी और नोट को रिजर्व बैंक के द्वारा सरकार की सलाह से वैधानिक दर्जा दिया जाता है. रिजर्व बैंक ने पहले क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की कोशिश भी की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि इस बारे में सरकार द्वारा नियम-कायदे बनाए बिना कोई कदम नहीं उठाया जा सकता.
जोखिम का खेल
क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी संप्रभु देश भला करेंसी का दर्जा कैसे दे सकता है? यह सवाल है. अगर कोई देश इसे करेंसी का दर्जा दे दे तो इसकी गारंटी कौन लेगा? इसकी वजह ये है कि ये इंटरनेट के तहखाने में चलने वाली ऐसी करेंसी हैं, जिनके बारे में कुछ पता नहीं होता कि कौन, कहां से संचालित कर रहा है? रिजर्व बैंक क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर देशवासियों को लगातार चेतावनी देता रहा है.