पिछले 15 दिनों से लगभग हर रोज डीजल और पेट्रोल के दाम (Diesel Petrol Prices) बढ़ रहे हैं. इन 15 दिनों में डीजल-पेट्रोल दोनों 10-10 रुपये प्रति लीटर महंगे हो चुके हैं. हालांकि तेल के दाम ऐसे समय बढ़ाए जा रहे हैं, जब ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल (Crude Oil) की कीमतें कम हो रही हैं. ऐसे में हर कोई सवाल उठा रहा है कि जब क्रूड सस्ता हो रहा है, तब डीजल-पेट्रोल लगातार महंगा क्यों हो रहा है? इसका कारण दरअसल करीब चार महीने तक इनकी कीमतें स्थिर रखना है. तब क्रूड के दाम रिकॉर्ड हाई पर चले जाने के बाद भी डीजल-पेट्रोल के भाव नहीं बढ़ाए जा रहे थे और अब सरकार इसी की कसर पूरी कर रही है. आइए जानते हैं कि अभी डीजल और पेट्रोल के दाम कितने और बढ़ने वाले हैं...
22 मार्च से हर रोज बढ़ रहे डीजल-पेट्रोल के दाम
डीजल और पेट्रोल की कीमतें देश के कई हिस्सों में 100 रुपये लीटर के पार निकल जाने के बाद केंद्र सरकार ने 4 नवंबर को एक्साइज (Excise Duty) में कटौती की थी. इससे आम लोगों को महंगे डीजल-पेट्रोल से राहत मिली थी. इसके बाद रिकॉर्ड साढ़े चार महीने तक डीजल-पेट्रोल के भाव में कोई बदलाव नहीं किया गया. कई एनालिस्ट मानते हैं कि ऐसा पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के कारण हुआ. चुनाव का परिणाम आने के दो सप्ताह के भीतर ही दाम फिर से बढ़ने लगे. लंबे इंतजार के बाद सरकारी कंपनियों ने 22 मार्च को डीजल-पेट्रोल के दाम फिर से बढ़ाने की शुरुआत कर दी. तब से लगभग हर रोज इनके दाम बढ़ाए गए हैं.
जून 2017 में लागू हुई डेली रिविजन की व्यवस्था
सरकारी तेल विपणन कंपनियां कुछ साल पहले तक पखवाड़े में एक बार डीजल-पेट्रोल के दाम में बदलाव करती थी. जून 2017 से इस पॉलिसी को बदल दिया गया और क्रूड के ग्लोबल मूवमेंट से सांमजस्य बिठाने के लिए डेली रिविजन की व्यवस्था शुरू की गई. इस बार जब करीब चार महीने के बाद 22 मार्च को डीजल-पेट्रोल के दाम में 80 पैसे की बढ़ोतरी की गई, तो यह डेली रिविजन की व्यवस्था आने के बाद एक दिन की सबसे बड़ी तेजी थी. हालांकि उसके बाद से लगभग हर रोज दाम 80-80 पैसे बढ़ाए गए हैं.
सस्ता होने के बाद भी नवंबर से इतना महंगा है क्रूड
जब नवंबर में एक्साइज में कटौती की गई थी, तब दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 110.04 रुपये लीटर और डीजल की कीमत 98.42 रुपये लीटर है. अभी 15 दिनों में दाम 10-10 रुपये बढ़ाए जाने के बाद दिल्ली में पेट्रोल 105.41 रुपये और डीजल 96.67 रुपये लीटर बिक रहा है. दूसरी ओर क्रूड की बात करें तो यह 5 नवंबर 2021 को 82.74 डॉलर प्रति बैरल पर था और अभी यह 106.71 डॉलर प्रति बैरल पर है. रूस-यूक्रेन जंग का समाधान निकलने की उम्मीद में भले ही क्रूड 120 डॉलर के स्तर से नीचे आ चुका है, लेकिन अब भी यह नवंबर के भाव से करीब 30 फीसदी ऊपर है.
अभी इतना और बढ़ सकते हैं डीजल-पेट्रोल के दाम
अगर यह मानकर चलें कि क्रूड का भाव आने वाले समय में 105 डॉलर के आस-पास बना रहता है तो डीजल-पेट्रोल के दाम में नवंबर के स्तर से करीब 30 फीसदी बढ़ोतरी की गुंजाइश है. नवंबर में पेट्रोल 95.41 रुपये पर और डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर पर था. इन्हें 30 फीसदी बढ़ा दें तो पेट्रोल के भाव को करीब 28 रुपये और डीजल को करीब 26 रुपये बढ़ाने का स्कोप है. इनकी तुलना में अभी इनके दाम 10-10 रुपये ही बढ़े हैं. इस कैलकुलेशन के हिसाब से जनता के सिर पर अभी और महंगे डीजल-पेट्रोल का खतरा बरकरार है. कंपनियों ने इस तरह से मार्जिन निकाला और क्रूड मौजूदा स्तर पर बना रहा तो अभी पेट्रोल 18 रुपये और महंगा हो सकता है. इसी तरह डीजल के दाम अभी 16 रुपये और बढ़ाए जा सकते हैं.
सरकारी कंपनियों को हो चुका इतना ज्यादा नुकसान
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर सर्विस की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जब ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल तेजी से ऊपर जा रहा था, भारत में करीब 4 महीने तक डीजल-पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया. इससे IOC, BPCL और HPCL जैसी कंपनियों को संयुक्त तौर पर 2.25 बिलियन डॉलर यानी करीब 19 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. डीजल-पेट्रोल की खुदरा बिक्री करने वाली इन सरकारी कंपनियों को यह नुकसान नवंबर 2021 से मार्च 2022 के दौरान हुआ है. सरकारी कंपनियां इस भारी-भरकम नुकसान की भरपाई का प्रयास भी कर सकती हैं.