
कोरोना की दूसरी लहर के चलते मई का महीना सिर्फ लोगों की जिंदगियों पर भारी नहीं पड़ा, बल्कि इसने उद्योगों को भी नुकसान पहुंचाया. पिछले साल कोरोना की शुरुआत से इसका खामियाजा भुगत रहे एविएशन सेक्टर पर इसकी मार अब भी बरकरार है. मई में यात्रियों की संख्या में इस सेक्टर को इतने प्रतिशत का नुकसान हुआ है..
मई में गिरी यात्रियों की संख्या
कोविड की दूसरी लहर के चलते मई में हवाई यात्रियों की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज की गई. एविएशन सेक्टर रेग्युलेटर ‘नागर विमानन महानिदेशालय’ (DGCA) के आंकड़े बताते हैं कि मई में कुल 21.15 लाख यात्रियों ने घरेलू हवाई मार्गों पर यात्रा की.
ये संख्या अप्रैल के 57.25 लाख घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या से 63% कम है. जबकि मार्च में देश के भीतर 78.22 लाख हवाई यात्रियों ने उड़ान भरी थी.
सबसे अधिक यात्री IndiGo के
देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस IndiGo की हिस्सेदारी मई में सबसे अधिक रही. कंपनी की फ्लाइट्स से मई में 11.69 लाख यात्रियों ने उड़ान भरी. ये कुल घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या का 55.3% है.
जबकि SpiceJet से इस दौरान 1.99 लाख, Air India से 4.29 लाख, GO FIRST (पहले Go Air) से 1.38 लाख, Vistara से 97,000 और AirAsia India से 64,000 यात्रियों ने उड़ान भरी.
IndiGo की सबसे अधिक फ्लाइट ‘ऑन-टाइम’
DGCA के आंकड़ों के हिसाब से देश की 6 प्रमुख एयरलाइंस में IndiGo की सबसे अधिक 98.7% फ्लाइट ऑन-टाइम रही. इस मामले में 98.1% फ्लाइट के साथ विस्तारा दूसरे और 97.4% फ्लाइट के साथ एयरएशिया तीसरे नंबर पर रही. ऑन-टाइम फ्लाइट के आंकड़े बेंगलुरू, दिल्ली, हैदराबाद और मुम्बई हवाईअड्डों से चलने वाली फ्लाइट्स के आधार पर जुटाए जाते हैं.
सबसे कम खाली सीटें SpiceJet की फ्लाइट्स में
देश में सबसे कम खाली सीटों के साथ स्पाइसजेट ने उड़ान भरी. इसका मतलब उसकी फ्लाइट्स में कुल उपलब्ध सीटों में से 64% सीटें भरी (ऑक्युपाई) रहीं. जबकि गो फर्स्ट का ऑक्युपेंसी रेट 63.3%, इंडिगो का 51.2%, एयरएशिया इंडिया का 44.4%, विस्तारा का 40.9% और एयर इंडिया का 39.3% रहा.
बीते साल से झेल रहा कोरोना की मार
कोरोना से पहले देश का घरेलू एविएशन सेक्टर तेजी से वृद्धि कर रहा था. लेकिन कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन ने इस सेक्टर की कमर तोड़ दी. बाद में कम ऑक्युपेंसी के साथ शुरू हुई हवाई सेवाओं से हालत थोड़े बेहतर हुए, लेकिन कोरोना को लेकर अलग-अलग राज्यों के प्रतिबंध, बार-बार होने वाले लॉकडाउन और अब दूसरी लहर ने इस सेक्टर को उबरने का मौका ही नहीं दिया.
ऐसे में एयरलाइंस कंपनियों ने लागत घटाने के कई उपाय किए हैं. स्टाफ की सैलरी कट की है और उनकी संख्या भी घटाई है. कई सारी प्रक्रियाओं को ऑटोमेटेड बनाया है.
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