अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने हाल ही में एक नई और महत्वाकांक्षी योजना 'गोल्ड कार्ड वीजा' का ऐलान किया है. इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति 5 मिलियन डॉलर यानी करीब 41 करोड़ रुपये का भुगतान करके अमेरिका में स्थायी निवास (Permanent Residency) और काम करने की मंजूरी हासिल कर सकता है.
ट्रंप का दावा है कि इस योजना से दुनियाभर के अमीर लोग अमेरिका की तरफ आकर्षित होंगे, जिससे US के आर्थिक घाटे को कम करने में मदद मिलेगी. हालांकि, इस योजना को लेकर दुनिया भर के अरबपतियों की प्रतिक्रिया कुछ और ही कहानी बयां करती है.
अरबपतियों ने ठुकराई योजना!
दिग्गज मैगजीन फोर्ब्स ने दावा किया है कि दुनिया के बड़े-बड़े अरबपतियों ने इस योजना को सिरे से नकार दिया है. फोर्ब्स ने 18 अरबपतियों से बात की जिसमें से करीब तीन-चौथाई यानी 13 लोगों ने साफ कहा कि उन्हें इस गोल्ड कार्ड वीजा योजना में कोई दिलचस्पी नहीं है. बाकी 5 में से 3 लोग अभी इस पर विचार कर रहे हैं और केवल 2 रईसों ने कहा है कि वो इसे खरीदने पर विचार कर सकते हैं.
एक रूसी अरबपति ने अपनी राय रखते हुए कहा, 'जो व्यक्ति बिजनेस करना चाहता है, वो मौजूदा समय में सस्ते और आसान तरीकों से अमेरिका में ऐसा कर सकता है तो फिर 41 करोड़ रुपये खर्च करने की क्या जरूरत है?' वहीं, भारत के जाने-माने बिजनेसमैन अभय सोई ने कहा, 'मैं भारत छोड़कर कहीं और की नागरिकता लेने की सोच भी नहीं सकता. मेरा देश ही मेरी पहचान है.' एक कनाडाई अरबपति ने भी तंज कसते हुए कहा, 'अरबपतियों को इस तरह की योजना की जरूरत ही नहीं है. हमारे पास पहले से ही बेहतर विकल्प मौजूद हैं.'
ट्रंप का दावा: अमेरिका को होगा फायदा
ट्रंप इस योजना को अमेरिका के लिए एक बड़ा आर्थिक मौका मानते हैं. उनका कहना है कि अगर 10 लाख लोग भी इस गोल्ड कार्ड (Gold Card) को खरीदते हैं तो अमेरिका को 5 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 41 लाख करोड़ रुपये की भारी-भरकम रकम मिल सकती है. उनका मानना है कि इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिलेगी और देश का कर्ज का बोझ कम होगा. लेकिन अरबपतियों का नजरिया इससे एकदम उलट है और उनका कहना है कि ये योजना उनके लिए बेकार है. कई अरबपतियों ने ये भी कहा कि जिस देश में उन्होंने अपना बिजनेस खड़ा किया, परिवार बसाया और जड़ें जमाईं, उसे छोड़कर वो कहीं और नहीं जाना चाहते.
टैक्स सिस्टम बना बड़ी अड़चन
इस योजना के प्रति अरबपतियों की उदासीनता की एक बड़ी वजह अमेरिका का टैक्स सिस्टम भी है. अमेरिका में रहने वाले नागरिकों को अपनी ग्लोबल इनकम पर टैक्स देना पड़ता है फिर भले ही वो दुनिया के किसी भी कोने में रहें. ये नियम अरबपतियों के लिए सबसे बड़ी परेशानी की वजह है. हालांकि, ट्रंप ने वादा किया है कि गोल्ड कार्ड धारकों को अमेरिका के बाहर की कमाई पर टैक्स से छूट दी जाएगी. लेकिन अरबपतियों को इस वादे पर भरोसा नहीं है. उनका मानना है कि इस छूट को लागू करने के लिए अमेरिकी संसद की मंजूरी जरूरी होगी, जो कि आसान नहीं है. ऐसे में वो इस योजना को जोखिम भरा मान रहे हैं.
गोल्ड कार्ड वीजा और EB-5 प्रोग्राम
ये 41 करोड़ रुपये की गोल्ड कार्ड वीजा योजना पुराने EB-5 वीजा प्रोग्राम की जगह लेने के लिए लाई गई है. EB-5 प्रोग्राम के तहत विदेशी निवेशक अमेरिकी बिजनेस में पैसा लगाकर ग्रीन कार्ड हासिल करते हैं. लेकिन गोल्ड कार्ड वीजा में सीधे तौर पर एक बड़ी रकम का भुगतान करना होगा. कई अरबपति मानते हैं कि अगर उन्हें अमेरिका में रहना भी हो तो वो 41 करोड़ रुपये खर्च करने के बजाय दूसरे रास्ते तलाश सकते हैं जिनमें शादी के जरिए नागरिकता या अपनी खास स्किल्स के आधार पर वीजा हासिल करना जैसे विकल्प शामिल हैं.
क्या होगा योजना का भविष्य?
इस योजना की पूरी जानकारी अगले कुछ हफ्तों में सामने आने की उम्मीद है. लेकिन अभी तक जो तस्वीर उभरकर सामने आई है उससे साफ है कि दुनिया के सबसे अमीर लोग इस गोल्ड कार्ड वीजा को लेकर खास उत्साहित नहीं हैं. ऐसे में ट्रंप की यह महत्वाकांक्षी योजना कितनी सफल होगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. फिलहाल ये योजना चर्चा में जरूर है. लेकिन अरबपतियों के बीच इसकी स्वीकार्यता बेहद कम नजर आ रही है.