अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) का रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने वाला है. इससे पहले उन्होंने रविवार को एक इंटरव्यू में साफ कर दिया है कि ये Tariff महज कुछ देशों तक सीमित नहीं होगा, बल्कि सभी देशों पर लागू होगा. बता दें कि ट्रंप ने इसके लिए 2 अप्रैल 2025 की तारीख तय की है और इसे लागू किए जाने को 'मुक्ति दिवस' बताया है. बता दें कि पहले ही एल्युमीनियम, स्टील और ऑटोमोबाइल पर टैरिफ लगा दिया है, इसके साथ ही चीन से आयातित सभी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाया गया है.
'जिनके बारे में बात की, उन सभी पर टैरिफ'
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, Donald Trump ने एयरफोर्स वन के विमान में पत्रकारों से बात करते हुए रविवार को कहा कि रेसिप्रोकल टैरिफ की सभी देशों से शुरुआत करेंगे, अनिवार्य रूप से उन सभी देशों से जिनके बारे में हम लगातार बात कर रहे हैं. बता दें कि ट्रंप ने उन देशों पर पारस्परिक टैरिफ लागू करने की घोषणा की है जो अमेरिकी निर्यात पर शुल्क लगाते हैं, जिसका उद्देश्य उन टैरिफ को उसी के अनुसार बराबर करना है, न कम और न ज्यादा.
फरवरी में ट्रंप ने दिए थे लिस्ट तैयार के आदेश
गौरतलब है कि बीते फरवरी महीने में राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी व्यापार अधिकारियों को प्रत्येक देश का व्यक्तिगत रूप से मूल्यांकन करने टैरिफ को लेकर एक लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिया था. हालांकि, हाल ही में Trump ने ऐसे संकेत भी दिए थे कि वे अपनी रेसिप्रोकल टैरिफ की लिमिट पर पुनर्विचार भी कर सकते हैं. उन्होंने कुछ कंडीशंस में अमेरिका पर अन्य देशों द्वारा लगाए गए टैरिफ की तुलना में कम दरों पर टैरिफ लागू करने की संभावना का सुझाव भी दिया है.
'10-15 देश टैरिफ लिस्ट में सबसे आगे...'
व्हाइट हाउस के इकोनॉमिक एडवाइजर केविन हैसेट ने कहा है कि अमेरिकी प्रशासन की टैरिफ स्ट्रेटजी सबसे महत्वपूर्ण व्यापार असंतुलन वाले 10 से 15 देशों को टारगेट करेगी. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि Trump Tariff से कौन से देश सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प टैरिफ को घरेलू अर्थव्यवस्था को बचाने और देश के लिए अधिक अनुकूल व्यापार शर्तों पर बातचीत करने के लिए एक साधन के रूप में देखते हैं.
क्या है ये रेसिप्रोकल टैरिफ?
ग्लोबल ट्रेड वॉर के बीच ये जान लेना जरूरी है कि जिस रेसिप्रोकल टैरिफ या पारस्परिक टैरिफ पर ट्रंप इतना जोर दे रहे हैं, वो आखिर है क्या? तो बता दें कि टैरिफ उन करों (Taxes) को कहा जाता है, जो किसी देश द्वारा दूसरे देश से आयातित वस्तुओं पर लगाए जाते हैं. यानी जो देश अमेरिकी सामान पर जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उस देश के सामान पर उतना ही टैरिफ लगाएगा. ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के दौरान रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर कहा था, 'जैसे को तैसा, एक टैरिफ के बदले दूसरा टैरिफ, वही सटीक अमाउंट.'
रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जब एक देश किसी दूसरे देश से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ (आयात शुल्क) लगाता है, तो दूसरा देश भी उसी अनुपात में उस देश के उत्पादों पर टैरिफ लगा देता है. इसे सरल भाषा में 'जैसे को तैसा' नीति कहा जा सकता है. उदाहरण के लिए, अगर कोई देश अमेरिकी उत्पादों पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाता है, तो अमेरिका भी उस देश से आने वाले सामान पर 10 प्रतिशत का ही टैरिफ लगाएगा.
टैरिफ के जरिए ही सरकारों की आय में बढ़ोतरी होती है और इसके जरिए डॉमेस्टिक प्रोडक्शन को भी बढ़ावा देते हैं. Reciprocal Tariff यानी पारस्परिक टैरिफ, व्यापार में समानता के मकसद से लागू किया जाता है, लेकिन इसके नुकसान भी होते हैं, जो सीधे इकोनॉमी को टारगेट कर सकते हैं. दरअसल, रेसिप्रोकल टैरिफ का असर आयतित सामनों पर महंगाई के रूप में दिखता है और इसके दायरे में आने वाले देशों के आपसी व्यापारिक संबंधों पर भी नजर आता है.