शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में मचे हाहाकार के बाद निवेशकों के बीच डर और बढ़ गया है कि आखिर मार्केट (Stock Market) किस करवट बैठेगा? अगर ओभर ऑल बीएसई मार्केट कैप (BSE Market Capitalization) देखा जाए तो पिछले पांच महीने में यह 92 लाख करोड़ रुपये कम हो चुका है. वहीं लगातार पांच महीने से हो रहे गिरावट ने करीब 30 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. मार्केट कल सेंसेक्स 1400 अंक से ज्यादा टूट गया था, जबकि निफ्टी में 420 अंकों की गिरावट आई थी.
इस भारी गिरावट के बाद निवेशकों को ट्रंप-जेलेंस्की की मुलाकात (Trump-Zelensky Meeting) से रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए भू-राजनीतिक तनाव को खत्म करने का रोडमैप मिलने की उम्मीद थी और अनुमान था कि सोमवार को भारतीय बाजार में थोड़ी तेजी आ सकती है, लेकिन ट्रंप-जेलेंस्की के बीच बहस (Trump-Zelensky) ने चिंता पैदा कर दी है. क्योंकि रूस के साथ अमेरिकी सरकार का रुख यूरोपीय देशों की भू-राजनीतिक शांति और भारतीय कारोबार के लिए नुकसान पैदा कर सकता है.
एक्सपर्ट्स का क्या है मानना है?
शेयर बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप-जेलेंस्की की बैठक नॉर्थ ब्लॉक के लिए नई टेंशन पैदा कर सकती है, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध ने भारत को रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदने और यूरोपीय देशों को एक्सपोर्ट करने का मौका दिया था. अब डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी सरकार को सपोर्ट देकर रूस-यूक्रेन युद्ध से खुद को अलग कर लिया है. ऐसे में भारत के लिए कारोबार को लेकर झटका लग सकता है.
एक्सपर्ट्स ने डिफेंस डील को लेकर भी भारत के समझौते (India Defence Deal) की क्षमता पर भी दबाव की आशंका जताई है, क्योंकि अमेरिका द्वारा रूस के लिए यह नया रुख अमेरिका या किसी भी यूरोपीय देश के साथ डिफेंस डील को बढ़ा सकती है, जिससे भारत से डील प्रभावित हो सकती है. कहा कि ट्रंप-जेलेंस्की की बैठक का नतीजा डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के मुकाबले भारतीय शेयर बाजार के लिए ज्यादा चोंट पहुंचा सकती है.
भारत पर क्या हो सकता है असर?
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार में इस गिरावट को लेकर अभी इंतजार करना चाहिए. अभी किसी भी तरह की खरीदारी से बचना चाहिए. वहीं SIP करने वालों को अपना इन्वेस्टमेंट बंद नहीं करना चाहिए. अगर कोई स्टॉक खरीदना भी चाहते हैं तो फंडामेंट स्टॉन्ग शेयरों पर नजर रखें, वह भी बिना एक्सपर्ट्स की सलाह के खरीदारी ना करें.