प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चाइनीज लोन ऐप के मामले से संबंधित बेंगलुरु के छह परिसरों में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत तलाशी अभियान चला रहा है. यह मामला साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, बेंगलुरु सिटी द्वारा कई संस्थाओं और व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज की गई 18 प्राथमिकी पर आधारित है. यह मामला उन संस्थाओं और व्यक्तियों के खिलाफ है, जो मोबाइल ऐप के माध्यम से छोटी राशि का लोन लेने वाले लोगों से जबरन वसूली और उनका उत्पीड़न कर रहे थे.
जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल
पूछताछ के दौरान पता चला कि इन संस्थाओं को चीनी व्यक्तियों द्वारा कंट्रोल और ऑपरेट किया जाता है. ये संस्थाएं भारतीय नागरिकों के जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर और उन्हें संस्थाओं के डमी निदेशक बना रही थीं. इसके बाद वो आपराधिक तरीके से इनकम जेनरेट कर रही थीं. यह पता चला है कि ये संस्थाएं अपना अवैध व्यवसाय विभिन्न मर्चेंट आईडी और बैंक अकाउंट से कर रही थीं.
17 करोड़ रुपये की राशि जब्त
रेजरपे प्राइवेट लिमिटेड, कैशफ्री पेमेंट्स, पेटीएम पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड और चीनी व्यक्तियों द्वारा संचालित संस्थाओं के परिसरों की तलाशी ली गई. तलाशी अभियान के दौरान पाया गया कि ये नकली एड्रेस के आधार पर काम कर रही हैं. चीनी व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित संस्थाओं के मर्चेंट आईडी और बैंक खातों से 17 करोड़ रुपये की राशि जब्त की गई है.
कई मामले आ चुके हैं सामने
भारत में लोन ऐप धोखाधड़ी और बेइज्जत होने के बाद आत्महत्या के कई मामले सामने आ चुके हैं. इनमें चीनी नागरिकों की संलिप्तता सामने आई है. हाल ही में तमिलनाडु पुलिस ने लोन ऐप रैकेट का भंडाफोड़ किया था. पुलिस ने चीन के 2 नागरिक समेत 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया था.
चेन्नई पुलिस की गिरफ्त में आए चारों शख्स ऐप के जरिए अधिक ब्याज पर लोन देते थे और वसूली के लिए धमकी भरे कॉल भी करते थे. इनके निशाने पर वित्तीय संकट का सामना कर रहे लोग होते थे. ये उन्हें ज्यादा ब्याज पर लोन देते थे और पेमेंट के लिए धमकी देते थे. हैदराबाद पुलिस ने कुछ दिन पहले एक चीनी नागरिक को गिरफ्तार किया था.
लोगों अपनी जाल में फंसा रहे हैं लोन ऐप
देश में तेजी से साइबर क्राइम के मामले बढ़े हैं और लोग बड़ी संख्या में वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं. ऐप से तुरंत मिल रहे लोन लोगों को कर्ज की जाल में फंसा रहे हैं. इंडिया टूडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी और फरवरी 2021 के बीच 81 ऐप स्टोर की जांच में पाया गया कि उस समय भारत में 1,100 से ज्यादा डिजिटल लोन ऐप मौजूद थे. इसमें से आरबीआई ने लगभग 600 ऐप को गैरकानूनी माना. आरबीआई के निर्देश के बाद गूगल प्ले स्टोर ने इन ऐप को प्ले स्टोर से हटा भी दिया था.
(इनपुट- करिश्मा असूदानी)