राजधानी दिल्ली हो या पंजाब या फिर गुजरात जैसे वे राज्य, जहां आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, सस्ती बिजली का राजनीतिक वादा एक सामान्य प्रैक्टिस बन चुका है. इससे आम लोगों को सीधे तौर पर राहत तो मिलती है, लेकिन बिजली कंपनियों और सरकारी खजाने को नुकसान उठाना पड़ता है. हालांकि यह एक ऐसा लोक-लुभावन वादा है, जिसके दम पर कई राज्यों में सरकारें बदलती देखी गई हैं. अब इस प्रचलन पर लगाम लगने वाली है. केंद्र सरकार इस संबंध में नया कानून बनाने की तैयारी में है.
बिजली संशोधन विधेयक 2022 को संसद के मौजूदा मानसून सत्र में ही पास कराने की तैयारी चल रही है. इस दिशा में आज सोमवार को विधेयक को लोकसभा में रखा जाना है. इस विधेयक के कारण सस्ती या फ्री बिजली का फायदा उठा रहे लोगों को अब बिजली का ज्यादा बिल चुकाने के लिए तैयार रहना होगा. इससे उन राजनीति दलों को भी तगड़ा झटका लगेगा, जो सस्ती या फ्री बिजली का वादा करके लोगों का वोट हासिल करते हैं. इस नए कानून से बिजली वितरण करने वाली कंपनियों के बीच मुकाबला बढ़ेगा और इस सेक्टर का भारी-भरकम कर्ज का बोझ कम होगा.
बिजली संशोधन विधेयक 2022 में कई अहम प्रस्ताव किए गए हैं. विधेयक के पारित होने के बाद इन प्रस्तावों पर मुहर लगने वाली है...
कानून के अमल में आते ही बिजली वितरण क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा निजी कंपनियों की एंट्री का रास्ता तैयार होगा. इस सेक्टर में निजी कंपनियों का दखल बढ़ने से सस्ती बिजली का दौर समाप्त होगा. सरकार इस कानून के जरिए बिजली सेक्टर के 75 अरब डॉलर के कर्ज का संकट दूर करने का प्रयास कर रही है. हालांकि कानून के बनने से पहले ही इसका विरोध शुरू हो गया है. बिजली सेक्टर के 27 लाख कर्मचारी पहले ही इस कानून के विरोध का ऐलान कर चुके हैं. कई राजनीतिक दल भी इसके विरोध में मैदान में उतर चुके हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस कानून की आलोचना की है. केजरीवाल ने आज सुबह Tweet किया, 'आज लोक सभा में बिजली संशोधन बिल लाया जा रहा है. ये कानून बेहद खतरनाक है. इससे देश में बिजली की समस्या सुधरने की बजाय और गंभीर होगी. लोगों की तकलीफें बढ़ेंगी. केवल चंद कंपनियों को फायदा होगा. मेरी केंद्र से अपील है कि इसे जल्दबाजी में ना लाया जाए.' आपको बता दें कि केजरीवाल सरकार पहले ही दिल्ली में सब्सिडी पर बिजली दे रही है. पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बनते ही ऐसी व्यवस्था लागू की गई है. केजरीवाल ने हाल ही में गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान वहां भी सस्ती बिजली का वादा किया है.
आइए जानते हैं कि प्रस्तावित कानून किस तरह से बिजली क्षेत्र में बदलाव लाने वाला है...