सबसे रईस इंसान Elon Musk अपने Tweet को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं. इसके चलते वह कई बार मुसीबतों से भी घिर चुके हैं. साल 2018 में उनके एक Tweet से ऐसा बखेड़ा खड़ा हो गया था कि उन्हें 3 साल के लिए अपनी कंपनी टेस्ला का चेयरमैन पद छोड़ना पड़ गया था. साढ़े तीन साल पहले उस Tweet को अफवाह मान लिया गया था. हालांकि अब कोर्ट में उनके वकील ने कुबूल किया है कि मस्क की वह बात झूठ या अफवाह नहीं थी.
इस Tweet से हुआ था बहुत बखेड़ा
मस्क ने अगस्त 2018 में Tweet के जरिए बताया था कि वह टेस्ला को पब्लिक कंपनी के बजाय प्राइवेट करने जा रहे हैं. इसके बाद टेस्ला के शेयर एक झटके में 13 फीसदी तक चढ़ गए थे. इस Tweet के बाद इन्वेस्टर्स धड़ाधड़ टेस्ला के शेयर खरीदने लग गए थे. हालांकि यह तेजी कुछ ही दिनों में गायब हो गई, जब एनालिस्ट मस्क की इस बात पर संदेह जताने लगे. इसके कुछ सप्ताह बाद मस्क ने एक ब्लॉगपोस्ट में बताया था कि वह टेस्ला को शेयर मार्केट में लिस्टेड रखने वाले हैं.
मस्क के खिलाफ कोर्ट गए थे इन्वेस्टर्स
इस पूरे प्रकरण में कई इन्वेस्टर कंगाल हो गए थे. इन्वेस्टर्स ने इस बात को लेकर मस्क के खिलाफ कोर्ट में केस कर दिया था. इन्वेस्टर्स का कहना है कि वे Tweet दरअसल गलतबयानी थे. इस मामले में 31 मई को कोर्ट में ट्रायल होने वाला है. उससे पहले मार्च में भी इस मामले पर एक सुनवाई होने वाली है.
भरना पड़ा था 4 करोड़ डॉलर
मस्क के Tweet से न सिर्फ शेयरहोल्डर्स को करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ था, बल्कि उन्हें खुद भी भारी-भरकम जुर्माना भरना पड़ा था. अमेरिकी बाजार नियामक सिक्योरिटीज एक्सचेंज कमीशन ने इसके लिए मस्क और टेस्ला पर 4 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगा दिया था. इसके अलावा नियामक ने मस्क को 3 साल के लिए कंपनी के चेयरमैन के पद से भी हटा दिया था.
वकील ने कोर्ट में किया ये दावा
Elon Musk के वकील Alex Spiro ने इस मामले को लेकर कोर्ट में अपने क्लाइंट का पक्ष रखा है. उन्होंने दावा किया है कि मस्क की बात पूरी तरह से सच थी. वकील के अनुसार, मस्क की बात गलत नहीं थी. वह टेस्ला को प्राइवेट करने के लिए गंभीर थे. उन्होंने इसके लिए फंडिंग का भी इंतजाम कर लिया था. वे 420 रुपये प्रति शेयर की दर से कंपनी को प्राइवेट करने वाले थे. इसके लिए मस्क को पीआईएफ से फंडिंग को लेकर भरोसा था और इसी कारण उन्होंने आश्वस्त होकर Tweet किया था.