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Explainer: क्या है NSDL जिसके एक फैसले से अडानी ग्रुप को हुआ भारी नुकसान?

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) ने तीन विदेशी फंडों के एकाउंट अकाउंट पर रोक लगा दी है. इन फंडों ने अडानी ग्रुप की कंपनियों में 43,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है. आज मीडिया में यह खबर आने के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के कई शेयरों में लोअर सर्किट लग गया.

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शेयरों के डिजिटल स्वरूप का रखवाला है NSDL (प्रतीकात्मक तस्वीर: Getty Images)
शेयरों के डिजिटल स्वरूप का रखवाला है NSDL (प्रतीकात्मक तस्वीर: Getty Images)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • NSDL ने 3 विदेशी फंडों पर की कार्रवाई
  • इसकी वजह से अडानी ग्रुप को नुकसान

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) ने तीन विदेशी फंडों के अकाउंट पर रोक लगा दी है. इन फंडों ने अडानी ग्रुप की कंपनियों में 43,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसकी वजह से अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई है. आइए जानते हैं कि क्या है NSDL और यह क्यों महत्वपूर्ण है? 

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क्या है मामला 

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) ने Albula इनवेस्टमेंट फंड, Cresta फंड और APMS इनवेस्टमेंट फंड के अकाउंट फ्रीज किए हैं. डिपॉजिटरी की वेबसाइट के अनुसार ये अकाउंट 31 मई को या उससे पहले ही फ्रीज किए गए हैं. ये तीनों फंड मॉरीशस के हैं और सेबी में इन्हें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs) के रूप में रजिस्टर्ड किया गया है. 

आज मीडिया में यह खबर आने के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के कई शेयरों में लोअर सर्किट लग गया और इनके मार्केट कैप में भारी गिरावट आई है. 

क्या है NSDL

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) असल में सरकार द्वारा साल 1996 में गठित की गई कंपनी है. यह पूंजी बाजार का डिपॉजिटरी यानी एक तरह का भंडारगृह है. यह निवेशकों के शेयरों और अन्य प्रतिभूतियों को डिमैटरियलाइज्ड यानी डिजिटल रूप में सुरक्षित रखती है. 

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यह पूंजी बाजार में निवेशकों और ब्रोकर्स का सहयोग करने और उनके शेयरों की सुरक्षा करने के लिहाज से काम करती है. इसके सहयोग से ही शेयर बाजार में सक्षमता, कम जोखिम और कम लागत जैसी आसानी होती है. 

गौरतलब है कि NSDL के द्वारा पैन कार्ड भी बनाया जाता है. यह पैन से जुड़े डेटा को भी संग्रहित रखती है. इसके पास करीब 261 लाख करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां हैं. 

क्या हैं कानूनी अधिकार 

NSDL की स्थापना भारत सरकार के सितंबर 1995 में जारी डिपॉजिटरीज ऑर्डिनेंस के द्वारा की गई थी. पूंजी बाजार नियामक सेबी ने इस ऑर्डिनेंस के आधार पर अपने डिपॉजिटरी और पार्टिसिपेंट रेगुलेशन को मई 1996 में जारी किया था. इसके बाद उसी साल अगस्त में डिपॉजिटरी एक्ट को लागू किया गया.

इस एक्ट के द्वारा प्रतिभूतियों के ट्रांसफर और निपटान के लिए डिमैट रूट की व्यवस्था की गई. इस एक्ट से मिले अधिकार के तहत ही NSDL ने अपने बाइलॉज और बिजनेस रूल्स बनाए, जिसे सेबी से भी मंजूरी मिली है.

NSDL के डिस्पिलरी एक्शन कमिटी को किसी प्रतिभूति (शेयर) बाजार कारोबार के किसी भागीदार को निलंबित करने, उसे कारोबार से बाहर निकालने, या किसी प्रतिभूति को 'अपात्र' घोषित करने अधिकार है. इसके अलावा उसे किसी भागीदार के अकाउंट को फ्रीज करने या उसके बारे में जांच करने, उसके कॉल को रिकॉर्ड करने और उसे कारण बताओ नोटिस जारी करने का भी अधिकार है. 

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अडानी से जुड़े अकाउंट को फ्रीज करने की ये हो सकती है वजह 

हालांकि एनएसडीएल ने अभी इस बारे में कोई बयान नहीं जारी किया है कि अडानी से जुड़े विदेशी निवेशकों के अकाउंट फ्रीज करने की क्या वजह है, लेकिन इकोनॉमिक टाइम्स ने कुछ खास सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है कि प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत लाभार्थी के बारे में पर्याप्त जानकारी न देने की वजह से शायद ऐसा किया गया है. 

PMLA के तहत यह कहा गया है कि प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत यह बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और इंटरमीडिएटरी की जिम्मेदारी है कि वे अपने ग्राहकों के संभावित लाभार्थियों की पहचान करें. PMLA की परिभाषा के अनुसार बेनिफिशियल ओनर 'ऐसा व्यक्ति है जो अंतत: ऐसे किसी एंटिटी या व्यक्ति के क्लाइंट का स्वामी होता है या उस पर नियंत्रण रखता है, जिसकी तरफ से लेनदेन किया जा रहा हो.' 

कौन हैं इसके प्रमोटर 

NSDL के प्रमोटर यानी प्रमुख हिस्सेदार भारत सरकार, इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (IDBI), यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज आ इंडिया लिमिटेड (NSE) हैं. इसके अलावा इसमें कई प्रमुख बैंकों की भी हिस्सेदारी है. 

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