पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम (Ex CEA Arvind Subramanian) ने सोमवार को स्वीकार किया कि भारत में अभी रोजगार का संकट है. उन्होंने कहा कि स्टार्टअप और यूनिकॉर्न रोजगार पैदा कर रहे हैं, लेकिन फिर भी यह संकट गंभीर है. इस बारे में लंबे समय की रणनीति बनाने की जरूरत है. वह आज तक के सहयोगी चैनल इंडिया टुडे के कार्यक्रम बजट राउंडटेबल 2022 में अर्थव्यवस्था के हालात पर चर्चा कर रहे थे.
पूर्व सीईए ने बजट 2022 को बताया अच्छा
बजट को लेकर पूर्व सीईए ने कहा कि पिछले 2 साल में प्रक्रिया पारदर्शी हुई है. उन्होंने कहा, पिछले 2 साल के दौरान बजट बनाने की प्रक्रिया पारदर्शी हुई है और आंकड़े अधिक विश्वसनीय हुए हैं. यह एक अच्छा बजट है और मैं इसे बेहतर नंबर दूंगा. इस बजट में यह मानकर चला गया है कि आने वाले समय में चीजें बेहतर होंगी. अगर ऐसा नहीं हुआ तो दिक्कतें आएंगी और तब मनरेगा जैसी स्कीम में आवंटन बढ़ाना होगा.
अर्थव्यवस्था अभी भी कमजोर
अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में सुब्रमण्यम ने कहा कि महामारी का प्रकोप शुरू होने से पहले ही इंडियन इकोनॉमी की सेहत कमजोर थी. देश की आर्थिक स्थिति अभी भी ठीक नहीं है. एक के बाद एक लगे झटकों से लेबर मार्केट और एमएसएमई सेक्टर बहुत कमजोर हो गया है. दूसरी ओर देश में रोजगार का संकट उपस्थित है. जब अर्थव्यवस्था कमजोर हो, तो यह चुनौती और गंभीर हो जाती है. कमजोर अर्थव्यवस्था के लिए जॉब क्रिएशन बहुत मुश्किल काम है.
नहीं आ रहा प्राइवेट इन्वेस्टमेंट
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने सरकार को प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को लेकर आगाह किया. उन्होंने कहा कि प्राइवेट इन्वेस्टमेंट नहीं आ रहा है और सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है. सरकार इस पर गौर करना होगा कि देश का आर्थिक माहौल अभी भी न तो विदेशी और न ही घरेलू इन्वेस्टर को अट्रैक्ट कर पा रहा है.
विनिवेश पर सरकार का काम बढ़िया
विनिवेश के मोर्चे पर सरकार ने इस बार बजट में टारगेट को काफी कम कर दिया. पिछले बजट में 2021-22 के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा गया था. सरकार ने इसे घटाकर 78 हजार करोड़ रुपये कर दिया है. हालांकि पूर्व सीईए इस मोर्चे पर सरकार के परफॉर्मेंस से खुश नजर आए. उन्होंने कहा कि एअरइंडिया के सफल विनिवेश का पूरा श्रेय सरकार को जाता है. अगर एलआईसी के मामले में सफलता हाथ लगती है तो यह वाकई में शानदार होगा. मेरे हिसाब से एलआईसी और सरकारी बैंकों को प्राइवेटाइजेशाइन के लिए प्राथमिकता में रखा जाना चाहिए.