आईटी सेक्टर (IT Sector) में फ्रेशर्स की सैलरी, नौकरी छोड़ने की रफ्तार (IT Sector Attrition Rate), मूनलाइटिंग (Moonlighting) आदि को लेकर जारी बहस में अब एक और बड़ा नाम जुड़ गया है. इंफोसिस के पूर्व डायरेक्टर मोहनदास पई (Ex Infosys Director Mohandas Pai) ने बुधवार को आईटी सेक्टर को लेकर खुलकर बातें की. उन्होंने कहा कि आईटी सेक्टर में पिछले 10 सालों से फ्रेशर्स का उत्पीड़न हो रहा है. उन्होंने सीनियर अधिकारियों और फ्रेशर्स की सैलरी की तुलना करते हुए आईटी कंपनियों से कहा कि वे नए लोगों को छोटा नहीं समझें, बल्कि उनके साथ भी इंसानों की तरह व्यवहार करें.
मोहनदास पई ने उठाए ये गंभीर सवाल
मोहनदास पई फिलहाल आरिन कैपिटल (Aarin Capital) के चेयरमैन है. उन्होंने आज तक की सहयोगी वेबसाइट बिजनेस टुडे से बातचीत में कहा कि पिछले 10 सालों से आईटी सेक्टर में फ्रेशर्स का उत्पीड़न हो रहा है. नौकरी छोड़ने की बढ़ी रफ्तार, नियमित जॉब के बाद मूनलाइटिंग, ऑफिस वापस लौटने में आनाकानी समेत कई अन्य समस्याओं का कारण यही उत्पीड़न है. उन्होंने कहा कि रुपये की वैल्यू कम हो रही है और आईटी कंपनियां बढ़िया मुनाफा कमा रही हैं. उन्होंने कहा, 'रुपये की वैल्यू गिरने से आईटी कंपनियों का राजस्व 13-14 फीसदी बढ़ा है. वे बढ़िया पैसे कमा रही हैं और सीनियर अधिकारियों को मोटी सैलरी भी दे रही हैं. फिर वे फ्रेशर्स और नए लोगों को अधिक पैसे क्यों नहीं दे रही हैं?'
सीईओ को ऐसे मोटे पैकेज दे रही कंपनियां
पई ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है, जब कई कंपनियों के सीईओ को भारी-भरकम सैलरी देने की जानकारी सामने आई है. उदाहरण के लिए आईटी कंपनी एचसीएल टेक (HCL Tech) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया कि वह अपने सीईओ सी विजयकुमार (C Vijaykumar) को सालाना 123 करोड़ रुपये की टेक होम सैलरी दे रही है. इसी तरह इंफोसिस की सालाना रिपोर्ट से पता चला कि उसके सीईओ सलिल पारेख (Salil Parekh) की सैलरी को 88 फीसदी बढ़ाया गया है. अब पारेख का टोटल कंपनसेशन 42 करोड़ रुपये से बढ़कर 79 करोड़ रुपये हो गया है. इसी तरह विप्रो अपने सीईओ थिएरी डेलापोर्टे (Thierry Delaporte) को सालाना 79.8 करोड़ रुपये दे रही है.
10 साल से नहीं बढ़ी फ्रेशर्स की सैलरी
पई ने आगे कहा, 'आईटी इंडस्ट्री पिछले 10 सालों से फ्रेशर्स का उत्पीड़न कर रहा है. नए लोगों की सैलरी में कोई इजाफा नहीं हुआ है. उन्हें अभी भी 3.5-3.8 लाख रुपये दिए जा रहे हैं, जो आईटी कंपनियां फ्रेशर्स को 2008-09 में भी ऑफर कर रही थीं.' उन्होंने कहा कि अगर किसी को कुर्बानी देनी ही है, तो यह सीनियर लोगों को करना चाहिए. कोई सीनियर इंसान कैसे अपनी सैलरी में हाइक ले सकता है, जबकि उनके जूनियर्स को हाइक नहीं मिल रहा है? फ्रेशर्स को तुच्छ नहीं समझा जाना चाहिए. आईटी कंपनियों को उनके साथ भी इंसानों जैसा व्यवहार करना चाहिए.
मूनलाइटिंग पर पई ने दी ये नसीहत
विप्रो के एक्सीक्यूटिव सीईओ रिशद प्रेमजी (Rishad Premji) की एक हालिया टिप्पणी ने आईटी इंडस्ट्री में मूनलाइटिंग को लेकर बहस की शुरुआत कर दी है. प्रेमजी ने पिछले सप्ताह शनिवार को कहा था कि मूनलाइटिंग वास्तव में धोखा देना है. दरअसल जब कोई एम्पलॉई फुल-टाइम जॉब करने के बाद कोई फ्रीलांसर के तौर पर कोई और काम उठाता है, तो उसे मूनलाइटिंग कहा जाता है. प्रेमजी की टिप्पणी पर पई ने भी सख्त प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था, 'आईटी कंपनियों को यह समझने की जरूरत है कि मैं अपने फ्री टाइम में कुछ भी कर सकता हूं, जो करने का मेरा मन होगा.'