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तेल से लेकर दाल तक के दाम आसमान पर, 70 से 80% मुनाफा कमा रहे रिटेल कारोबारी! 

सरसों का तेल 200 रुपये के करीब पहुंच रहा है तो अरहर दाल फिर से 150 रुपये का दायरा पार करने को बेताब दिख रही है. जानकारों का कहना है कि थोक बाजार में इन वस्तुओं की कीमत ज्यादा नहीं है, लेकिन खुदरा कारोबारियों के द्वारा भारी मुनाफे पर बेचने की वजह से दाम आसमान छू रहे हैं. 

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तेलों और दालों के दाम आसमान पर (फाइल फोटो: Getty Images)
तेलों और दालों के दाम आसमान पर (फाइल फोटो: Getty Images)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • खाद्य तेलों और दालों के दाम में उछाल
  • कोरोना काल में महंगाई की मार

एक तरफ कोरोना संक्रमण ने आम आदमी की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ कर रख दिया है, वहीं दूसरी तरफ लगातार बढ़ रही महंगाई से लोग त्रस्त हैं. पेट्रोल-डीजल के दाम तो पहले से ही आसमान छू रहे हैं, अब रसोई के सामान की बढ़ती कीमतें लोगों को रुलाने लगीं हैं. 

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सरसों का तेल 200 रुपये के करीब पहुंच रहा है, तो अरहर दाल फिर से 150 रुपये का दायरा पार करने को बेताब दिख रही है. जानकारों का कहना है कि थोक बाजार में इन वस्तुओं की कीमत ज्यादा नहीं है, लेकिन खुदरा कारोबारियों के द्वारा भारी मुनाफे पर बेचने की वजह से दाम आसमान छू रहे हैं. 

खासकर दालों में तो खुदरा कारोबारी 70 से 80 फीसदी का मुनाफा कमा रहे हैं. महंगाई का असर यह है कि अब गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों की रसोई से दाल दूर होने लगी है. दिल्ली के रिटेल दुकानदारों की मानें तो बाजार में नॉन ब्रांडेड दालों के दाम में 5 से 7 फीसदी का इजाफा हुआ है, तो वहीं ब्रांडेड दालों में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है. 

पिछले साल सरसों तेल का दाम 110 से 120 रुपये प्रति किलो था, जो इस समय बढ़कर 185 से 195 रुपये तक हो गया है. इसी तरह रिफाइंड भी 150 से 165 रुपये तक बिक रहा है.  इसका सीधा असर रसोई के बजट पर पड़ रहा है. 

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दिल्ली में रहने वाली शालनी अरोड़ा  बताया कि रोजमर्रा की कोई भी चीज महंगी होने से उसका असर रसोई पर पड़ता है. पहले गैस का  दाम लगातार बढ़ा, अब तेल व दाल ने पूरी रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. सरकार को चाहिए कि रोजमर्रा में काम आने वाली चीजों के दाम बढ़ोतरी पर अंकुश लगाएं.

दाल ब्रांडेड     रेट साल 2020 रेट साल 2021
अरहर 110     140
मूंग               110       135
राजमा       130     170
उड़द 122     140
चना 72   100


खुदरा दुकानदार ले रहे ज्यादा मुनाफा! 

पल्सेज ऐंड बीन्स इम्पोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप जिंदल बताते है, 'थोक बाजार में दालों के दाम कभी ज्यादा नहीं बढ़े हैं. इसमें 15 से 20 फीसदी का जो अंतर आया है वह रिटेल बाजार में आया है. रिटेल बाजार 70 फीसदी का मुनाफा कमा रहे हैं. दिल्ली के होलसेल बाजार में आज भी बढ़िया दाल 95 रुपए किलो है.' 

दिल्ली ग्रेन मर्केंटाइल एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट गौरव गुप्ता का कहते हैं, 'अगर  सरकार को महंगाई कम करनी हैं, तो रिटेल बाजारों में जो ब्रांडेड दालें मिलती हैं.उनके प्राइस पर कैप लगानी चाहिए. जिस तरह कोरोना काल में सरकार की तरफ से टेस्टिंग पर कैपिंग लगाई गई उसी तरह से अगर रिटेल में भी कैपिंग हो जाए तो महंगाई नहीं बढ़ेगी. गौरव का कहना है कि रिटेल बाजार में महंगाई बढ़ती है, लेकिन सरकार थोक कारोबारियों पर नकेल कसती है. हमारे स्टॉक की डिटेल मंगवाती है जो नहीं होना चाहिए. 

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इंटरनेशनल मार्केट में तेजी 

दिल्ली के नया बाजार में तेल का कारोबार करने वाले कारोबारी हेमंत गुप्ता बताते हैं कि देश में हर साल 200 लाख टन खाद्य तेल की खपत होती है. उसमें से 140 से 150 लाख टन हमें दूसरे देशों जैसे मलेशिया, इंडोनेशिया से आयात करना पड़ता है. हेमंत बताते हैं कि इंटरनेशनल मार्केट में तेजी आने की वजह से दिनोंदिन दाम बढ़ रहे हैं. इसके साथ ही एक मुख्य वजह यह भी है कि चीन अपनी खपत से 3 गुना फूड ऑयल दूसरे देशों से लगातार खरीद रहा है. 

70 से 80 फीसदी का मुनाफा 

कारोबारियों की मानें तो कोरोना के चलते लोग घरों से कम निकल रहे और ऑनलाइन शॉपिंग को ज्यादा प्रेफरेंस दे रहे हैं. यही वजह है कि ऑनलाइन कंपनियां होलसेल मंडियों से अनाज खरीद कर 70 से 80 फ़ीसदी मुनाफा लेकर रिटेल में बेच रही है जिसकी वजह से रिटेल बाजार में दाल के दाम में भी इजाफा है. ब्रांडेड दाल बेचने वाली कंपनियां मोटा मुनाफा कमा रही है, लेकिन किसानों को इसका कोई फायदा नहीं मिल पा रहा. 

 

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