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Parle-G से जुड़ीं कई कहानियां... क्या आपको पता है 'G' का मतलब? Genius तो बिल्कुल नहीं

Parle-G Inside Story: पारले-जी बिस्किट का इतिहास आजादी से पहले का है और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तो इसकी सेल चरम पर थी. वहीं आज भी इसका बिजनेस लगातार आगे बढ़ रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर इसके नाम में 'G' का क्या मतलब है.

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पारले-जी ने कोरोना काल में बिक्री का 8 दशक का रिकॉर्ड तोड़ा था
पारले-जी ने कोरोना काल में बिक्री का 8 दशक का रिकॉर्ड तोड़ा था

बच्चे हों, बूढ़े हों या फिर जवान, अगर बात बिस्कुट चलती है, तो फिर जुबां पर सबसे पहले जो नाम आता है और वो है 'Parle-G'. सभी इस नाम से अच्छी तरह परिचित होंगे. अगर आप भी ये बिस्किट खाते हैं, तो इसके कवर पर लिखे नाम को देखकर कभी न कभी तो ये सवाल जरूर उठा होगा, कि आखिर पारले-जी में 'G' का क्या मतलब होता है. इसके जवाब में ज्यादातर लोग कहेंगे जीनियस (Genius) जो सही नहीं है. दरअसल, इसका मतलब कुछ और ही है. आइए जानते हैं...

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समय बदला, लेकिन स्वाद नहीं
पारले-जी (Parle-G) बिस्किट का स्वाद आज भी लोगों की जुबां पर बरकार है और इसे केवल एक बिस्किट ब्रांड समझना या कहना सही नहीं, क्योंकि इसके साथ लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. जब भी पारले-जी बिस्किट का जिक्र होता है, हम अपने बचपन में लौट जाते हैं. समय के साथ पारले-जी बिस्किट के साइज  में कई बदलाव देखने को मिले हैं, लेकिन इसका स्वाद नहीं बदला. द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के दौरान भारतीय और ब्रिटिश दोनों ही सैनिकों का यह सबसे पंसदीदा बिस्कुट हुआ करता था.

Parle-G से जुड़ीं कई कहानियां
पारले की शुरुआत की अगर बात करें , तो ये साल 1929 में हुई थी. 90 के दशक के बच्चों को तो अपना वह दौर भी याद होगा, जब चाय के साथ पारले-जी का कॉम्बिनेशन सबसे ज्यादा फेमस हुआ करता था. उस समय कंपनी की ओर से इसके प्रमोशन के लिए जो ऐड जारी किए जाते थे, वो भी काफी लोकप्रिय थे. यही नहीं Parle-G के पैकेट पर छपी लड़की की तस्वीर को लेकर भी कई तरह की कहानियां हैं. वहीं अगर नाम की बात करें, तो ऐसा कहा जाता है कि कंपनी ने पारले नाम मुंबई के विले-पार्ले इलाके से लिया है. लेकिन हम यहां पारले-जी में 'G' के मतलब के बारे में बात कर रहे हैं. 

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पारले के आगे ऐसे लगा 'G'
पारले ने पहली बार 1938 में पारले-ग्‍लूको (Parle-Gluco) नाम से बिस्किट का उत्पादन शुरू किया था. आजादी से पहले पारले-जी (Parle-G) का नाम ग्लूको बिस्किट (Gluco Biscuit) ही हुआ करता था. लेकिन, आजादी के बाद ग्लूको बिस्किट का प्रोडक्शन बंद कर दिया गया था. दरअसल, इसे बनाने के लिए गेंहू का इस्तेमाल किया जाता था और देश में उस समय अन्न का संकट उत्पन्न हो गया था, जिस कारण इसका उत्पादन बंद करना पड़ा था.

कॉम्पिटीशन के चलते दिया Parle-G नाम
अन्न संकट खत्म होने पर जब दोबारा इसका प्रोडक्शन शुरू हुआ, तब तक इस सेक्टर में कई कंपनियों की एंट्री हो चुकी थी और मार्केट में कॉम्पिटीशन बढ़ गया था. खासकर ब्रिटानिया ने ग्लूकोज-डी (Glucose-D) बिस्किट के जरिए बाजार में अपनी धमक जमानी शुरू कर दी. तब पारले ने ग्लूको बिस्किट को दोबारा लॉन्च किया और इसे नया नाम दिया 'Parle-Gluco', फिर 1980 के बाद पारले ग्लूको बिस्‍किट के नाम को शॉर्ट कर पारले-जी किया गया था.

हालांकि, साल 2000 में 'G' का मतलब 'Genius' प्रमोट जरूर किया गया था. लेकिन, असल मायने में Parle-G में दिए 'G' का मतलब 'ग्लूकोज' (Glucose) से ही था. जिसे सिर्फ उस समय मार्केट में ग्लूकोज बिस्किट के बढ़ते कारोबार में अपनी अलग पहचान बनाने के लिए यूज किया गया था और ये इतना फेमस हुआ कि अब तक जलवा कायम है. 

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कॉम्पिटीशन में भी कम नहीं हुई डिमांड
आज अगर बिस्किट मार्केट पर नजर डालें तो ये काफी बड़ा हो चुका है, लेकिन Parle_G अभी भी अपना दबदबा कायम रखे हुए हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि द्वितीय विश्व युद्ध की तरह ही कोरोना (Corona) काल में भी पारले-जी ने बिक्री के पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे और कंपनी के मुताबिक सेल 8 दशकों में सबसे ज्यादा दर्ज की गई थी. 

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