जी-20 समिट भारत के लिए बड़ी उपलब्धियों वाली समिट रही. इस समिट से कई देशों से नजदीकियां बढ़ी हैं, इस लिस्ट में पहला नाम सऊदी अरब है. भारत और सऊदी अरब की दोस्ती से चीन और पाकिस्तान अंदर ही अंदर घुट रहा है. क्योंकि पाकिस्तान को लग रहा है कि इन दोनों देशों की बढ़ती नजदीकियों की वजह से वो कहीं दूर न हो जाए.
दरअसल, G20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आए सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की यात्रा से पाकिस्तान सरकार की सांसें अटकी हुईं हैं. सम्मेलन में शामिल लगभग सभी बड़े नेता वापस लौट चुके हैं. लेकिन सऊदी के क्राउन प्रिंस सोमवार देर रात लौटे. क्योंकि क्राउन प्रिंस भारत के राजकीय दौरे पर भी थे और सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोहम्मद बिन सलमान के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई.
बता दें, हाल के वर्षों में पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस के बीच जो नजदीकी बढ़ी है, उसका असर दुनिया के कई बड़े मंचों पर दिखाई दे रहा है. पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी का खाड़ी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने पर विशेष जोर रहा है, जिसमें सबसे ज्यादा सऊदी अरब के रिश्ते बेहतर हुए हैं. पीएम मोदी साल 2016 और 2019 में दो बार सऊदी अरब का दौरा कर चुके हैं.
कॉरिडोर पर सहमति बड़ी डील
G20 के मंच पर भारत से सऊदी अरब से होते हुए यूरोप तक बनने वाले कॉरिडोर के निर्माण का समझौता हुआ है. पीएम मोदी ने 9 सितंबर को दिल्ली में 'इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर' लॉन्च किया. इस परियोजना में अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ-साथ सऊदी अरब की अहम भूमिका है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद सामान दुबई से इजराइल में स्थित हाइफा बंदरगाह तक ट्रेन से जा सकता है और उसके बाद आसानी से यूरोप में एंट्री पा सकता है.
इसके अलावा भी G20 Summit के तीसरे दिन भारत और सऊदी अरब के बीच कई बड़े करार हुए. इनमें सबसे बड़ा करार सोलर पावर को लेकर है. दोनों देशों के बीच एनर्जी सेक्टर को लेकर एक करार हुआ है. इसके तहत सउदी अरब के साथ समुद्र के नीचे से पावर ट्रांसमिशन लाइन जोड़ी जाएगी. ये करार एनर्जी ट्रांसमिशन और स्टोरेज के लिए हो रहा है. इस करार के तहत दोनों देश के बीच ग्रिड कनेक्शन जोड़ा जाएगा. ये कनेक्शन समुद्र के नीचे से डीसी केबल बिछाने के चलते संभव हो सकेगा. इससे सूरज डूबने के बाद भी सऊदी अरब से सोलर पावर भारत को मिलता रहेगा. इस डील से एनर्जी सेक्टर में डिजिटल इंफ्रा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा दिया जाएगा.
भारत-सऊदी अरब के बीच गहरी दोस्ती
बता दें, 2019 में भारत यात्रा के बाद क्राउन प्रिंस का यह दूसरा दौरा है. जानकारों के मुताबिक इस द्विपक्षीय वार्ता दोस्ती और प्रगाढ़ होने वाली है. भारत और सऊदी अरब के बीच सालाना व्यापार 5000 करोड़ डॉलर से ज्यादा का है. भारत ने साल 2022-23 में करीब 1000 करोड़ डॉलर का निर्यात और करीब 400 डॉलर का सऊदी से आयात किया है. यह व्यापार पिछले 5 साल में दोगुना हो गया है.
भारत की 700 से ज्यादा कंपनियां सऊदी अरब में काम कर रही हैं, जिन्होंने करीब 200 करोड़ अमेरिकी डॉलर की निवेश किया हुआ है. इनमें एलएनटी, टाटा, विप्रो, TCS, शापूरजी जैसे बड़ी कंपनियां शामिल हैं. वहीं सऊदी अरब की कंपनी अरामको, सबिक और ई-हॉलिडे भारत में पांव पसार रही हैं. इतना ही नहीं, सऊदी ने फर्स्टक्राइ, ग्रोफर्स, ओला, ओयो, पेटीएम और पॉलिसीबाजार जैसे भारतीय स्टार्ट-अप में बड़े पैमाने पर निवेश किया है.
भारत-सऊदी अरब के बीच बड़ा कारोबार
जानकारों की मानें को सऊदी अरब तेल इकोनॉमी से हटकर मैन्युफैक्चरिंग, पर्यटन और टेक्नॉलजी जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं. ऐसे में उनके सामने भारत एक इमर्जिंग मार्केट है, इसलिए भारत का साथ आना उनके लिए जरूरी है. सऊदी अरब को पता है कि उसके लिए निवेश की लिहाज से भारत एक बेहतरीन जगह है.
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले 4 से 5 साल में भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने की बात कर रहे हैं. ऐसे में दुनिया भारत को एक बड़े बाजार के तौर पर भी देख रही है.
पाकिस्तान क्यों बौखलाया?
इसके अलावा महाराष्ट्र में 4400 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ‘वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल्स प्रोजेक्ट’ लगाने की तैयारी हो रही है, जिसमें सऊदी अरब की अरामको, अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी और भारत की इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन मिलकर काम कर रही हैं.
आखिर में आपको बताते हैं कि पाकिस्तान की बौखलाहट की असली वजह क्या है. बीते दिनों सऊदी अरब ने पाकिस्तान में अगले 5 वर्षों में 25 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान किया था. लेकिन भारत से बढ़ती नजदीकियों की वजह से पाकिस्तान को डर है कि कहीं सऊदी अरब अपना ये फैसला न पलट दे. क्योंकि काफी दिनों से सऊदी अरब ने इस मसले चुप्पी साध रखी है.