भारतीय अरबपति और अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) को अमेरिका से एक बड़ा झटका लगा है. पोर्ट से लेकर हवाई अड्डों, घर की रसोई से लेकर एनर्जी सेक्टर तक बड़े साम्राज्य वाले अडानी पर US में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने और एक सोलर एनर्जी कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को हजारों करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है. ये पूरा मामला अडानी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) और एन्य अन्य फर्म एज्योर पावर से जुड़ा हुआ है. आइए जानते हैं इस मामले से जुड़ी एक-एक जानकारी...
गौतम अडानी पर लगे क्या आरोप?
सबसे पहले बात कर लेते हैं उन आरोपों के बारे में, जो अमेरिका में गौतम अडानी और उनकी कंपनी पर लगाए गए हैं. तो बता दें कि न्यूयॉर्क फेडरल कोर्ट में सुनवाई के दौरान Gautam Adani पर कथित तौर पर US में उनकी कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (Adani Green Energy Ltd) को सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट से जुड़ा कॉन्ट्रेक्ट दिलाने के लिए 265 मिलियन डॉलर (करीब 2236 करोड़ रुपये) की रिश्वत ऑफर करने और इसे अमेरिकी बैंकों और इन्वेस्टर्स से छिपाने का आरोप लगाया गया है. अमेरिकी अभियोजकों ने दावा किया है कि कंपनी के अन्य सीनियर ऑफिशियल्स ने कॉन्ट्रेक्ट पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को ये पेमेंट करने पर सहमति जताई थी.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रीन एनर्जी ने झूठे बयानों के आधार पर गुमराह किया और 2021 में बॉन्ड की पेशकश के साथ अमेरिका समेत अन्य इंटरनेशल इन्वेस्टर्स और अमेरिकी बैंकों से पैसे जुटाए. अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस का कहना है कि अरबों डॉलर के कॉन्ट्रेक्ट को हासिल करने के लिए भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की एक बड़ी योजना तैयार की गई थी. ऐसा भी कहा गया है कि गौतम अडानी ने भी इस संबंध में कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों से व्यक्तिगत मुलाकात की थी.
2020-24 में किया गया था हेर-फेर!
ऐसा दावा किया गया है कि 2020 से 2024 के बीच अडानी ग्रीन और एज्योर पावर ग्लोबल को ये सोलर प्रोजेक्ट दिलाने के लिए गलत रूट से भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी गई. इस कॉन्ट्रेक्ट के जरिए 20 साल में दो अरब डॉलर से ज्यादा मुनाफे का अनुमान लगाया गया था और इसका लाभ लेने के लिए झूठे दावे करते हुए लोन और बॉन्ड्स जुटाए गए. अटॉर्नी ब्रॉयन पीस का कहना है कि अरबों डॉलर के कॉन्ट्रेक्ट को हासिल करने के लिए भारत के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की गोपनीय योजना बनाई गई और इसे लेकर सभी को अंधेरे में रखा गया.
जांच के घेरे में कौन-कौन?
अमेरिका में सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने बुधवार को इस मामले में गौतम अडानी के अलावा उनके भतीजे सागर अडानी, विनीत जैन के साथ ही एज्योर पावर के सीईओ रहे रंजीत गुप्ता और कंपनी के सलाहकार रूपेश अग्रवाल समेत सात लोगों को शामिल किया है. ऐसा दावा किया गया है कि अपनी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट दिलाने और भारत की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना विकसित करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को लगभग 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने पर सहमति जताई थी.
अमेरिकी अथॉरिटीज इस मामले की जांच कर रही हैं कि क्या Adani Group ने अपने फायदे के लिए रिश्वत देने की कोशिश की और एनर्जी कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए क्या उन्होंने भारत सरकार के अधिकारियों को गलत पेमेंट्स किए हैं? एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में अमेरिका की कोर्ट में सुनवाई के बाद गौतम अडानी और उनके भतीजे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुए हैं.
किस प्रोजेक्ट को लेकर घेरे में अडानी
अब बात करते हैं कि आखिर गौतम अडानी के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला ये प्रोजेक्ट है क्या और कहां का है? अमेरिकी अभियोजकों के मुताबिक, गौतम अडानी की कंपनी ने राज्य के स्वामित्व वाली सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 12 गीगावाट सोलर एनर्जी देने के लिए कॉन्ट्रेक्ट हासिल किया. हालांकि, SECI को सौर ऊर्जा खरीदने के लिए भारत में खरीदार नहीं मिल पा रहे थे और बायर्स के बिना सौदा आगे नहीं बढ़ सकता था. ऐसे में अडानी ग्रीन एनर्जी और एज्योर पावर ने सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की योजना बनाई. रिपोर्ट की मानें तो इसका एक बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश के अधिकारियों को दिया गया.
अमेरिकी अभियोजकों ने ये भी कहा कि इस पूरे हेर-फेर में अपनी संलिप्तता को छिपाने के लिए Code Name का इस्तेमाल किया गया था. उदाहरण के लिए गौतम अडानी को 'न्यूमेरो यूनो' या 'द बिग मैन' कहा जाता था. इस मामले से जुड़ा पूरा कम्युनिकेशन एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग के जरिए किया गया था. इन दोनों कंपनियों ने कथित तौर पर अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से 175 मिलियन डॉलर से अधिक जुटाए थे.
अडानी ग्रीन ने बयान जारी कर कही ये बात
इस पूरे मामले पर अब अडानी ग्रुप का बयान भी आ गया है. इसमें कहा गया है कि अमेरिकी न्याय विभाग और SEC ने हमारे बोर्ड के सदस्यों गौतम अडानी और सागर अडानी के खिलाफ न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने एक अभियोग जारी किया है.US स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने हमारे बोर्ड के सदस्य विनीत जैन को भी इसमें शामिल किया है. इन घटनाक्रमों के मद्देनजर, हमारी सहायक कंपनियों ने फिलहाल प्रस्तावित USD नामित बॉन्ड पेशकशों के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया है. ब्लूमबर्ग के मुताबिक, अमेरिका से लगे आरोपों के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों ने 600 मिलियन डॉलर के बॉन्ड को रद्द कर दिया है.
अडानी पर फिर शुरू राजनीतिक घमासान
उद्योगपति गौतम अडानी अमेरिका में धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के आरोपों पर घिरे, तो भारत में राजनीतिक घमासान शुरू हो गया.कांग्रेस महासचिव (कम्युनिकेशन) जयराम रमेश ने कहा है कि अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम अडानी और उनसे जुड़े अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाना उस मांग को सही ठहराता है जो कांग्रेस जनवरी 2023 से विभिन्न घोटालों की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) जांच के लिए कर रही है.
It is always good to read before one reacts. The document you quote says, “The charges in the indictment are allegations and the defendants are presumed innocent unless and until proven guilty.”
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 21, 2024
But be as it may, the essence of the charge is that US and Indian companies agreed… https://t.co/Y3UivigtTx pic.twitter.com/MkMri2fPQs
दूसरी ओर कांग्रेस पर पलटवार करते हुए बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा, आरोप लगाने से पहले पढ़ लेना चाहिए. अनावश्यक उत्साहित होने की जरूरत नहीं है. उन्होंने सोशल मीडिया पर इस संबंध में एक पोस्ट करते हुए कहा कि आपने जिस दस्तावेज़ का हवाला दिया है, उसमें लिखा है, अभियोग में आरोप हैं और प्रतिवादियों को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक कि वे दोषी साबित ना हो जाएं.
अमित मालवीय ने अपनी पोस्ट में लिखा कि चूंकि बिजली महंगी थी, एसडीसी खरीदने को तैयार नहीं थे. इसलिए अडानी ने (अमेरिकी कंपनी Azure Power के साथ) जुलाई 2021 से फरवरी 2022 के बीच ओडिशा (तत्कालीन बीजेडी शासित), तमिलनाडु (डीएमके), छत्तीसगढ़ (तत्कालीन कांग्रेस) और आंध्र प्रदेश (तत्कालीन वाईएसआरसीपी) में स्थित SDC को 265 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर भुगतान किया. यहां बताए गए सभी राज्य उस दौरान विपक्ष शासित थे. इसलिए, उपदेश देने से पहले कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा ली गई रिश्वत पर जवाब दें.
हिंडनबर्ग जैसा असर दिखा
इससे पहले साल 2023 में अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने भी अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट जारी कर अडानी ग्रुप पर स्टॉक्स में हेर-फेर और कर्ज को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए थे. इसके जारी होने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में सुनामी आ गई थी और ग्रुप को 150 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था. कुछ ऐसा ही हाल गुरुवार को बाजार में Adani Stocks पर दिखा. अडानी ग्रीन और अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस के शेयर 20 फीसदी तक टूट गए, तो शेयर बाजार में लिस्टेड बाकी शेयरों में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है.