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Gautam Adani Exclusive: क्यों दूसरी कंपनियों से अलग है अडानी की कंपनियां? गौतम अडानी ने गिनाईं ये 3 खूबियां

अडानी विल्मर को शेयर बाजार तक पहुंचने में 22 साल से ज्यादा का वक्त लग गया. अडानी विल्मर लिमिटेड की स्थापना 1999 में हुई थी. यह अडानी ग्रुप और सिंगापुर की कंपनी विल्मर का ज्वाइंट वेंचर है. गौतम अडानी ने अपने इंटरव्यू में इस कंपनी का उदाहरण दिया.

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गौतम अडानी ने बताया अपना बिजनेस प्लान (Photo: File)
गौतम अडानी ने बताया अपना बिजनेस प्लान (Photo: File)

भारतीय शेयर बाजार (Share Market) में अडानी ग्रुप (Adani Group) की कुल सात कंपनियां लिस्टेड है. गौतम अडानी (Gautam Adani) की पहली कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज ने साल 1994 में शेयर बाजार में दस्तक दी थी. उन्होंने अपनी सातवीं कंपनी अडानी विल्मर (Adani Wilmar) को इसी साल शेयर बाजार में लिस्ट कराया है.

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दरअसल, बुधवार को इंडिया टुडे से खास बातचीत में अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने अपने बिजनेस प्लान (Adani Business Plan) और अगले साल यानी 2023 की रणनीति को लेकर जानकारी दी. उनसे जब पूछा गया कि साल 2022 तमाम कंपनियों के लिए बेहतर साबित नहीं रहा. लेकिन अडानी ग्रुप की कंपनियों में तेजी बरकरार रही. इसके पीछे क्या कारण है?

लिस्टिंग से पहले कंपनी के लिए पैमाना  

गौतम अडानी (Gautam Adani) की मानें तो किसी भी कंपनी को सफल कराने के लिए कोई सीक्रेट फॉर्मूला नहीं है. लेकिन वो अपनी किसी भी कंपनी को हड़बड़ी में लिस्ट कराने के पक्ष में नहीं रहते हैं. उन्होंने कहा कि अडानी विल्मर को शेयर बाजार तक पहुंचने में 22 साल से ज्यादा का वक्त लग गया. अडानी विल्मर लिमिटेड की स्थापना 1999 में हुई थी. यह अडानी ग्रुप और सिंगापुर की कंपनी विल्मर का ज्वाइंट वेंचर है. कंपनी खाने के तेल समेत बासमती चावल, आटा, मैदा, सूजी, रवा, दालें और बेसन जैसे आइटम भी बनाती और बेचती है. जबकि आज के दौर में कुछ कंपनियां कारोबार शुरू करते ही बाजार से पैसे उठाने के लिए आईपीओ लेकर आ जाती हैं. 

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हड़बड़ी में लिस्ट कराने का कोई प्लान नहीं 

अडानी ग्रुप के प्रमुख का कहना है कि उनकी कंपनियों की सफलता के पीछे एक खास बिजनेस मॉडल है. जिसमें खासकर तीन चीजों का ध्यान रखा जाता है. पहला- अडानी ग्रुप हमेशा अपने बिजनेस मॉडल के तहत किसी कंपनी को शुरू करता है. यानी कंपनी के भविष्य का रोडमैप तैयार रहता है. दूसरा- कंपनी शुरू करने के बाद उसे धीरे-धीरे मुनाफे के लायक बनाई जाती है. जब कंपनी की बैलेंसशीट मजबूत हो जाती है. या फिर साल दर साल ग्रो करने लगती है. तब तीसरा कदम उठाया जाता है, तब उसे शेयर बाजार में लिस्ट कराने की तैयारी होती है. सीधे किसी कंपनी को बनाते ही शेयर बाजार में लिस्ट कराने की उनकी रणनीति नहीं रही है.

सीमेंट सेक्टर में अडानी ग्रुप का वर्चस्व 

इसके अलावा वो ऐसे बिजनेस में हाथ डालते हैं जिसमें ग्रोथ की संभावना है. इसके लिए उन्होंने सीमेंट सेक्टर का उदाहरण दिया. उन्होंने सबसे पहले ACC सीमेंट फिर अंबुजा सीमेंट का अधिग्रहण किया. जो कि उनकी तरफ से अब तक की सबसे बड़ी डील है. इस अधिग्रहण के साथ अडानी ग्रुप देश के दूसरे सबसे बड़े सीमेंट उत्पादक बन गया है. 

गौरतलब है कि गौतम अडानी ने साल 1988 में कमोडिटी का एक्सपोर्ट—इम्पोर्ट करने वाली कंपनी के रूप में अडानी एक्सपोर्ट्स की शुरुआत की थी, जिसका बाद में नाम बदलकर अडानी एंटरप्राइजेज कर दिया गया था. अडानी एक्सपोर्ट्स की स्थापना सिर्फ 5 लाख रुपये की पूंजी से की गई थी. अडानी एंटरप्राइजेज को 1994 में शेयर बाजार में लिस्ट कर दिया गया. फिलहाल गौतम अडानी की शेयर बाजार में अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी टोटल गैस, अडानी पावर, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पोर्ट, अडानी ट्रांसमिशन और अडानी विल्मर कंपनी लिस्टेड है. 

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