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Survey: मंदी आकर लौट जाएगी, लेकिन महंगाई को लेकर दुनिया रहेगी परेशान!

दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने महंगाई रोकने के लिए जिस सबसे भरोसेमंद हथियार ब्याज दर में इजाफे का इस्तेमाल किया है उसके ही उच्चतम स्तर तक वो नहीं पहुंचे हैं. केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की कुल गुंजाइश का दो तिहाई ही बढ़ाया है.

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कई देशों में मंदी के प्रभाव
कई देशों में मंदी के प्रभाव

रॉयटर्स (Reuters) के एक सर्वे (Survey) ने ग्लोबल इकोनॉमी की चिंता बढ़ा दी है. इसमें दावा किया गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे मंदी की तरफ जाने लगी है. सर्वे के मुताबिक दुनिया की दिग्गज अर्थव्यवस्थाओं में विकास दर पहले के मुकाबले कम हो गई है. विकास दर के कम होने की वजह ब्याज दरों में बढ़ोतरी को बताया जा रहा है. 

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दरअसल, महंगाई घटाने के लिए दुनिया के ज्यादातर सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में इजाफा कर रहे हैं, जिसका सीधा असर इकोनॉमी के ग्रोथ रेट पर पड़ रहा है. इस सर्वे के नतीजों में जो दावा किया है वो वैश्विक मंदी की आशंका को बढ़ा रहा है, क्योंकि इसमें कहा गया है कि कुछ देश में मंदी अपने पैर पसार चुकी है. वहीं कुछ देशों में मंदी का काला साया तेजी से गहराने का भी अंदेशा जताया गया है.

मंदी आकर लौटेगी, महंगाई देर तक रहेगी मेहमान
हाल ही में आए KPMG के सर्वे की तरह रॉयटर्स के सर्वे में भी दावा किया गया है कि मंदी की मियाद शॉर्ट टर्म के लिए होगी. इसके साथ ही मंदी का असर भी पिछली कई मंदी के मुकाबले कम रहेगा. लेकिन अनचाहे मेहमान की तरह अपने पांव जमा चुकी महंगाई से फिलहाल राहत नहीं मिलेगी. इससे समझा जा सकता है कि अगर महंगाई लंबे समय तक टिकी रही तो ब्याज दरों में कमी का आगाज नहीं होगा जिससे ग्रोथ रेट बढ़ने की रफ्तार भी ना के बराबर रह सकती है.

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खैर ब्याज दरों में कमी की तो सोचना भी फिलहाल दूर का सपना है, क्योंकि अभी तो दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने महंगाई रोकने के लिए जिस सबसे भरोसेमंद हथियार ब्याज दर में इजाफे का इस्तेमाल किया है उसके ही उच्चतम स्तर तक वो नहीं पहुंचे हैं. केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की कुल गुंजाइश का दो तिहाई ही बढ़ाया है. ऐसे में ब्याज दरों में इजाफे का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है. मुश्किल इस बात है कि जिस उम्मीद के साथ ब्याज दरों में इजाफा किया गया है वो अभी तक पूरी नहीं हुई है और महंगाई की मुश्किल बरकरार है.

0.75% बढ़ सकता है ब्याज
रॉयटर्स के एक पोल में दावा किया गया है कि 2 नवंबर को होने वाली अपनी अगली बैठक में US फेड ब्याज दरों 0.75 फीसदी का इजाफा कर सकता है. रॉयटर्स के इस पोल में शामिल अर्थशास्त्रियों की राय है कि फेड को ब्याज दरों में बढ़ोतरी तब तक नहीं थामनी चाहिए जबतक कि महंगाई दर मौजूदा स्तर से घटकर आधी ना रह जाए. 

पोल में शामिल 90 में से 86 अर्थशास्त्रियों ने ब्याज दरों में 0.75% की बढ़ोतरी का अनुमान जताया है. केवल 4 अर्थशास्त्रियों को अनुमान है कि फेड आधा फीसदी का इजाफा करेगा. इसके बाद दिसंबर में भी आधा फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने लगाया है.
 
महंगाई कम करने में चूक जाएंगे ज्यादातर देश
वापस से रॉयटर्स के सर्वे की बात करें तो अर्थशास्त्रियों के मुताबिक महंगाई को कम करने में ज्यादातर देशों के केंद्रीय बैंक असफल साबित होंगे. इस सर्वे में जिन 22 केंद्रीय बैंकों की राय जानी गई उनमें से महज 6 सेंट्रल बैंक ही अगले साल तक महंगाई के लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब हो पाएंगे. इससे पहले जुलाई के सर्वे में 18 सेंट्रल बैंकों को शामिल किया गया था, जिसमें से 12 को महंगाई का लक्ष्य हासिल करने का भरोसा था. लेकिन अब एक तिहाई से भी कम बैंकों को ही भरोसा है कि वो महंगाई दर को अपने टारगेट के भीतर ला पाएंगे. भारत में भी हाल ही में RBI की MPC के एक सदस्य ने कहा था कि महंगाई अगली 5 से 6 तिमाहियों तक काबू में नहीं आएगी. भारत में महंगाई दर का संतोषजनक लक्ष्य 4-6 फीसदी है. लेकिन बीते कई महीनों से रिटेल महंगाई दर 7 प्रतिशत से ज्यादा के स्तर पर बनी हुई है.

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दुनियाभर में होंगी छंटनी, बढ़ेगी बेरोजगारी

हालात के नाजुक होने की एक वजह ग्लोबल इक्विटी और बॉन्ड मार्केट में जारी उतार-चढ़ाव है. डॉलर के कई साल की ऊंचाई पर पहुंचने से भी वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची हुई है. डॉलर के सामने दुनिया की कई करेंसी लुढ़क गई हैं. भारत में भी रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले 83 से नीचे लुढ़क गई है. रॉयटर्स के सर्वे में शामिल 257 में 179 अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आने वाले समय में बेरोजगारी में तेज इजाफा होगा.

अगले 6 महीनों में बिगड़ेंगे आर्थिक हालात
47 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर नजर रखने वाले अर्थशास्त्रियों के रॉयटर्स पोल के मुताबिक 2023 में वैश्विक विकास दर लुढ़ककर 2.3 फीसदी रह सकती है. हालांकि इसके पहले अनुमान था कि ग्लोबल ग्रोथ रेट 2.9 फीसदी रहेगा. वैसे 2023 के बाद 2024 में वैश्विक विकास दर बढ़कर 3.0 परसेंट तक जा सकती है 70 फीसदी से ज्यादा अर्थशास्त्रियों के मुताबिक वो जिन अर्थव्यवस्थाओं को करीब से देखते हैं उनमें अगले छह महीनों में हालात ज्यादा खराब हो सकते हैं.

 

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