केंद्र सरकार की वित्तीय हालत काफी खराब है. देश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7 फीसदी पर पहुंच जाने का अनुमान है. एक रिपोर्ट के अनुसार इससे तय सरकारी योजनाओं के बजट में भी कटौती की जाती है.
रिपोर्ट के अनुसार आयकर और जीएसटी संग्रह में इस साल भारी गिरावट आई है. गौरतलब है कि इस वित्त वर्ष के बजट में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन कोरोना संकट ने हालत बेहद खराब कर दी है.
क्या कहा गया रिपोर्ट में
ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये 'लॉकडाउन' से आर्थिक गतिविधियों काफी प्रभावित हुई हैं और राजस्व काफी कम हो सकती है. इसको देखते हुए राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक ब्रिकवर्क रेटिंग्स में कहा गया है, 'लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीने के राजस्व संग्रह में झलकता है.'
आयकर और जीएसटी संग्रह में भारी गिरावट
महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार का राजस्व संग्रह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले काफी कम रहा. आयकर (व्यक्तिगत और कंपनी कर) से प्राप्त राजस्व जून तिमाही में 30.5 फीसदी और वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी लगभग 34 फीसदी कम रहा.
दूसरी तरफ लोगों के जीवन और आजीविका को बचाने और आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत राहत पैकेज से खर्च में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि (13.1 फीसदी) हुई है.
पहली तिमाही में घाटा लक्ष्य का 83 फीसदी
रिपोर्ट के अनुसार, 'इससे राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बजटीय लक्ष्य का 83.2 प्रतिशत पर पहुंच गया. गौरतलब है कि कोरोना संकट से इकोनॉमी और लोगों को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने करीब 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था.