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माधबी पुरी बुच के बाद सेबी प्रमुख कौन? तलाश तेज... इतनी मिलती है सैलरी!

SEBI Chief Selection Process: इस पद पर नियुक्ति अधिकतम पांच साल के लिए होगी या फिर अगर उम्मीदवार की उम्र पहले ही 65 साल की हो जाएगी तो भी उनका कार्यकाल पूरा हो जाएगा.

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SEBI chief Madhabi Puri Buch
SEBI chief Madhabi Puri Buch

मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के लिए नए चेयरपर्सन की तलाश शुरू हो गई है. सरकार ने इस महत्वपूर्ण पद के लिए बाकायदा विज्ञापन निकालकर आवेदन मांगे हैं. दरअसल, मौजूदा चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच का कार्यकाल 28 फरवरी को खत्म हो रहा है और सरकार इस पद पर एक नया चेहरा लाने की तैयारी में है. इस कदम से ये भी साफ हो गया है कि सेबी की पहली महिला चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को विस्तार नहीं मिलेगा. माधबी पुरी बुच ने 2 मार्च 2022 को सेबी चेयरपर्सन का पद संभाला था. वो निजी क्षेत्र से इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली व्यक्ति हैं. उनके नेतृत्व में कई बड़े फैसले लिए गए, लेकिन उनका कार्यकाल विवादों से भी अछूता नहीं रहा है. 

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वित्त मंत्रालय ने जारी किया विज्ञापन
सोमवार को वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने सार्वजनिक विज्ञापन जारी कर इस पद के लिए आवेदन मांगे. इस पद पर नियुक्ति अधिकतम पांच साल के लिए होगी या फिर अगर उम्मीदवार की उम्र पहले ही 65 साल की हो जाएगी तो भी उनका कार्यकाल पूरा हो जाएगा. इस पोजीशन पर आवेदन के लिए आखिरी तारीख 17 फरवरी तय की गई है. इस पद के लिए दो तरह के वेतन विकल्प दिए गए हैं. जिनमें पहला है, केंद्र सरकार के सचिव के वेतन के बराबर सैलरी या फिर ₹5,62,500 प्रति माह की तनख्वाह जिमें घर और कार की सुविधा नहीं मिलेगी. बुच से पहले सेबी चेयरपर्सन के पद पर अजय त्यागी ने मार्च 2017 से फरवरी 2022 तक 5 साल इस जिम्मेदारी को निभाया था जबकि यू.के. सिन्हा ने फरवरी 2011 से मार्च 2017 तक 6 साल काम किया था.  

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आवेदन के लिए मुख्य शर्तें
सरकार की तरफ से जारी किए गए विज्ञापन में उम्मीदवार के लिए जो योग्यताएं और शर्तें रखी गई हैं उनमें शामिल हैं 

    1.    उम्मीदवार की उम्र 50 साल से ज्यादा होनी चाहिए.
    2.    उम्मीदवार के पास न्यूनतम 25 साल का प्रोफेशनल अनुभव होना चाहिए.
    3.    उम्मीदवार को प्रतिभूति बाजार, कानून, वित्त, अर्थशास्त्र या अकाउंटेंसी में विशेष ज्ञान या अनुभव होना चाहिए.
    4.    उम्मीदवार में उच्च स्तर की ईमानदारी और प्रतिष्ठा होनी चाहिए.

विज्ञापन में ये भी साफ किया गया है कि उम्मीदवार के पास ऐसी कोई वित्तीय या दूसरे इंटरेस्ट नहीं होने चाहिएं, जो उनके कामकाज को प्रभावित कर सकें. 

बुच का कार्यकाल 'उपलब्धियां और विवाद'
माधबी पुरी बुच ने सेबी चेयरपर्सन बनने से पहले अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर काम किया था. इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए. हालांकि, उनका कार्यकाल कई विवादों से भी घिरा रहा. इनमें से सबसे बड़ा विवाद अदाणी ग्रुप से जुड़ी कथित गड़बड़ियों का था. विपक्षी पार्टियों, खासतौर पर कांग्रेस ने सेबी पर अदाणी ग्रुप के मामलों में निष्पक्षता की कमी का आरोप लगाया था. इसके अलावा, हिन्डनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद सेबी की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए थे. माधबी पुरी बुच के कार्यकाल के दौरान, सेबी के कुछ कर्मचारियों ने उन पर 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' बनाने का आरोप लगाया था जिसे बाद में सुलझा लिया गया था. 

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नए चेयरपर्सन की नियुक्ति क्यों है महत्वपूर्ण?
सेबी चेयरपर्सन का पद बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि ये संस्था देश के शेयर बाजार और निवेशकों के हितों की रक्षा करती है. इसके अलावा, सेबी का कामकाज भारत की आर्थिक स्थिरता और वित्तीय पारदर्शिता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है. ऐसे में सरकार के सामने चुनौती है कि इस पद के लिए एक ऐसा व्यक्ति चुना जाए जो पारदर्शिता और सुधारों को आगे बढ़ाने के साथ ही निवेशकों का विश्वास भी कायम रखे. साफ है कि माधबी पुरी बुच के बाद आने वाले चेयरपर्सन के सामने सेबी की साख को मजबूत बनाए रखने की जिम्मेदारी होगी.

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