सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात कर (Import Tax) घटाने के प्रस्ताव को फिलहाल रोक दिया है. खाद्य तेलों की कीमतों में कमी लाने के लिए दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है. गौरतलब है कि लोगों की रसोई में इस्तेमाल होने वाले सरसों तेल, पाम ऑयल, रिफाइंड, सोया ऑयल आदि की कीमतें पिछले दिनों आसमान छूने लगी थीं. सरसों का तेल तो 200 रुपये लीटर के आसपास पहुंच गया था.
इसे लेकर सरकार की काफी आलोचना होने लगी कि सरकार इनके दाम पर अंकुश लगाने के लिए कुछ नहीं कर रही. इस बीच यह खबर आई कि सरकार इन तेलों के दाम में कमी लाने के लिए आयात कर में कटौती कर सकती है. भारत खाद्य तेलों का दुनिया में सबसे बड़ा आयातक है और यहां की खाद्य तेल जरूरतों का करीब दो-तिहाई हिस्सा आयात से पूरा होता है.
कीमतों में आई नरमी
लेकिन हाल के कुछ दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार और घरेलू बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में कमी आने लगी है. केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा कि सरसों का तेल जहां 10% तक सस्ता हुआ है, वहीं कुछ मामलों में कीमतों में ये कटौती 20% तक है.
सरकार ने अपने बयान में कहा कि देश में सरसों तेल की कीमत 16 मई 2021 को 175 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो अब लगभग 10% घटकर 157 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है. इसी तरह सोयाबीन का तेल भाव 20 मई को मुंबई में 162 रुपये प्रति किलोग्राम था जो अब 138 रुपये पर आ गया है.
देश में पाम तेल की कीमत भी गिरी है. 7 मई को इसका भाव 142 रुपये प्रति किलोग्राम थी जो अब 115 रुपये प्रति लीटर पर आ गई है. इस तरह के इसका भाव 19% घटा है. वहीं सूरजमुखी का तेल भी 16% सस्ता होकर 157 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया. जिसका 5 मई को भाव 188 रुपये प्रति किलोग्राम था.
फिलहाल आयात कर में कटौती नहीं
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा, 'हम फिलहाल आयात कर में कटौती नहीं कर रहे, इसकी जगह कोई स्थायी समाधान तलाशा जाएगा.' ऐसा लगता है कि कीमतों में कमी आने की वजह से ही सरकार ने आयात कर को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
एक अधिकारी ने कहा, 'अब सोच यह है कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों और आपूर्ति पर नजर रखी जाए और यदि हालात की जरूरत हो तो किसानों और उपभोक्ताओं के हितों को देखते हुए आयात कर में कमी लाई जाए.'