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सरकारी कंपनियों के विनिवेश में वर्ल्ड बैंक की सलाह लेगी सरकार, हुआ करार

वित्त मंत्रालय के निवेश एवं सार्वजनि​क परिसंपत्ति विभाग (DIPAM) ने वर्ल्ड बैंक से एक करार किया है. समझौते के मुताबिक सरकारी कंपनियों की परिसंपत्तियों की बिक्री में विश्व बैंक सरकार को सलाह देगा. सरकार ने  DIPAM को ही यह जिम्मेदारी दी है कि केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों के नॉन-कोर एसेट के मौद्रीकरण के काम को आगे बढ़ाये.

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वर्ल्ड बैंक से हुआ करार
वर्ल्ड बैंक से हुआ करार
स्टोरी हाइलाइट्स
  • DIPAM और वर्ल्ड बैंक में हुआ करार
  • एसेट की बिक्री में सलाह देगा विश्व बैंक
  • इससे विनिवेश प्रक्रिया में आसानी होगी

सरकारी कंपनियों के विनिवेश और निजीकरण के चल रहे प्रयासों में कंपनियों के एसेट बिक्री को आसान बनाने के लिए सरकार अब विश्व बैंक (World Bank) की सलाह लेगी. इस बारे में वित्त मंत्रालय के निवेश एवं सार्वजनि​क परिसंपत्ति विभाग (DIPAM) ने वर्ल्ड बैंक से एक करार किया है. 

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समझौते के मुताबिक कंपनियों की परिसंपत्तियों की बिक्री में विश्व बैंक सरकार को सलाह देगा. इस करार के द्वारा सार्वजनिक कंपनियों के एसेट के मौद्रीकरण के विश्लेषण और बेस्ट अंतरराष्ट्रीय दस्तूर का विश्व बैंक की विशेषज्ञता का फायदा मिलेगा. 

क्या कहा वित्त मंत्रालय ने 

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'यह उम्मीद है कि इस परियोजना से नॉन-कोर एसेट की मौद्रीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा और गति मिलेगी. इससे उन कम इस्तेमाल होने वाले एसेट के वैल्यू का फायदा उठाने में मदद मिलेगी जिनसे अच्छा वित्तीय संसाधन हासिल करने की संभावना है.' 

सरकार ने  DIPAM को ही यह जिम्मेदारी दी है कि केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों के नॉन-कोर एसेट के मौद्रीकरण के काम को आगे बढ़ाये. 100 करोड़ या उससे ऊपर की वैल्यू वाले रणनीतिक विनिवेश के तहत यह हो रहा है.

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इसे देखें: आजतक LIVE TV 

एलआईसी के IPO के लिए भी लिया गया ये निर्णय 

इसके अलावा वित्त मंत्रालय ने भारतीय जीवन बीमा निगम के आईपीओ से पहले इसके वैल्यूशन के लिए एक्चू​रियल फर्मों से बिड आमंत्रित किया है. इसके लिए कंपनियां आठ दिसंबर तक अपने आवेदन जमा कर सकती हैं.

इस संबंध में सोमवार को एक निविदा जारी की गयी. सरकार की योजना एलआईसी में अल्पांश हिस्सेदारी बेचकर इसे शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने की है. इसके लिए डेलॉयट और एसबीआई कैपिटल को पहले ही आईपीओ से पहले के लेनदेन का एडवाइजर नियुक्त कर दिया है. 

विनिवेश का लक्ष्य 

गौरतलब है कि सरकार लगातार सरकारी कंपनियों के विनिवेश या निजीकरण से संसाधन जुटा रही है. इस साल सरकार का ​विनिवेश से 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य था. लेकिन कोरोना संकट की वजह से अब इस लक्ष्य को हासिल करना असंभव जैसा ही है. 

 

 

 

 


 

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