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महंगे तेल से सिर्फ आम लोग ही नहीं, इन सरकारी कंपनियों को भी लगा इतना चूना

नवंबर से मार्च 2022 तक की बात करें तो इस दौरान क्रूड ऑयल की औसत कीमत 111 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास रही. इस दौरान रिकॉर्ड साढ़े चार महीने तक डीजल-पेट्रोल के भाव में कोई बदलाव नहीं किया गया.

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कई सालों के उच्च स्तर पर क्रूड ऑयल (Photo: Reuters)
कई सालों के उच्च स्तर पर क्रूड ऑयल (Photo: Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रूस-यूक्रेन जंग के चलते 100 डॉलर के पार है क्रूड
  • करीब साढ़े चार महीने तक नहीं बढ़े डीजल-पेट्रोल के दाम

ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतों (Crude Oil Prices) में रिकॉर्ड तेजी आने के बाद भी करीब 4 महीने तक डीजल-पेट्रोल की कीमतें (Diesel-Petrol Prices) नहीं बढ़ने से सरकारी कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. महंगा क्रूड ऑयल न सिर्फ आम लोगों को चपत लगा रहा है, बल्कि इससे सरकारी तेल विपणन कंपनियों (OMCs) को भी चूना लगा है.

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मूडीज इन्वेस्टर सर्विस की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जब ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल तेजी से ऊपर जा रहा था, भारत में करीब 4 महीने तक डीजल-पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया. इससे IOC, BPCL और HPCL जैसी कंपनियों को संयुक्त तौर पर 2.25 बिलियन डॉलर यानी करीब 19 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. डीजल-पेट्रोल की खुदरा बिक्री करने वाली इन सरकारी कंपनियों को यह नुकसान नवंबर 2021 से मार्च 2022 के दौरान हुआ है.

नवंबर की शुरुआत में क्रूड ऑयल की कीमत 82 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास थी. इसके बाद विभिन्न कारणों से क्रूड ऑयल की कीमत 120 डॉलर के पार निकल गई. पहले रूस और यूक्रेन के तनाव से इसके भाव बढ़े. बाद में जग रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया तो अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों ने कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सहारा लिया. अभी अमेरिका और कई यूरोपीय देश रूस के तेल व गैस पर प्रतिबंध लगा चुके हैं.

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चूंकि रूस तेल व गैस के सबसे मुख्य उत्पादकों के साथ ही बड़े निर्यातकों में शामिल है, इन प्रतिबंधों ने फिर से क्रूड के भाव को चढ़ा दिया. गुरुवार को भी ब्रेंट क्रूड का ग्लोबल भाव 120 डॉलर प्रति बैरल के पार रहा. नवंबर से मार्च 2022 तक की बात करें तो इस दौरान क्रूड ऑयल की औसत कीमत 111 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास रही.

डीजल और पेट्रोल की कीमतें देश के कई हिस्सों में 100 रुपये लीटर के पार निकल जाने के बाद केंद्र सरकार ने 4 नवंबर को एक्साइज में कटौती की. इसने आम लोगों को महंगे डीजल-पेट्रोल से राहत दी. इसके बाद रिकॉर्ड साढ़े चार महीने तक डीजल-पेट्रोल के भाव में कोई बदलाव नहीं किया गया.

कई एनालिस्ट मानते हैं कि ऐसा पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के कारण हुआ. चुनाव का परिणाम आने के दो सप्ताह के भीतर ही दाम फिर से बढ़ने लगे. लंबे इंतजार के बाद सरकारी कंपनियों ने इस सप्ताह 22 तारीख को पेट्रोल और 23 तारीख को डीजल की कीमतें 80-80 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दी.

मूडीज ने रिपोर्ट में कहा कि क्रूड ऑयल की मौजूदा कीमतों के हिसाब से देखा जाए तो सरकारी कंपनियों को पेट्रोल पर प्रति बैरल करीब 25 डॉलर प्रति बैरल और डीजल पर 24 डॉलर प्रति बैरल का नुकसान हो रहा है. इंडियन करेंसी के टर्म में यह नुकसान करीब 1,900 रुपये प्रति बैरल बैठता है. अगर क्रूड ऑयल की औसत कीमत 111 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास बनी रहती है तो IOC, BPCL, HPCL को डेली आधार पर 65 से 70 मिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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